कैसे केजरीवाल ने एक माइग्रेंट संकट रचकर उत्तर प्रदेश और बिहार को आपदा के मुहाने पर ला दिया

'चलो यूपी बिहार तक छोड़ेंगे कहकर आनंद विहार में फेंक दिया'

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भारत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का एक संघ है जहां शक्ति केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच बंटी होती है। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों का काम होता है कि वह केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य की जनता के लिए काम करे। जब किसी प्रकार की आपदा-विपदा आती है तो यह ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है। लेकिन अभी कोरोना के समय में दिल्ली की हालत कुछ और ही है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने ऐसी तबाही मचाई जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। केजरीवाल ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के लोगों की भी जान खतरे में डाल दी है।

दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने कोरोना जैसी विपदा के समय में भी अपनी गंदी राजनीति नहीं छोड़ी और दिल्ली में रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के मन में ऐसी भय और घर जाने का लालच दिया कि देखते ही देखते UP और दिल्ली के बार्डर पर हजारों की तादाद में अपने घर जाने वाले जमा हो गए।

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देश में लॉकडाउन लगा हुआ है और दिल्ली ने तो केंद्र सरकार से भी पहले लॉकडाउन लगा दिया था लेकिन फिर भी ऐसा माहौल बनाया गया जिससे दिल्ली में काम करने वाले सभी, गरीब से लेकर पढ़ने वाले और अमीर तक घर जाने की चाहत में आ गए।

लॉकडाउन के चलते देशभर में लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं। अकेले दिल्ली से ही पांच लाख से ज्यादा पिछले लोग दो दिन में यूपी में दाखिल हो चुके हैं। शनिवार को भी दिल्ली से गाजियाबाद तक बच्चों को गोद में लिए व सामान सिर पर लादे लोगों की कतारें लगी रहीं। इससे लॉकडाउन के विफल होने की आशंका बढ़ गई और ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमण के एकाएक बढ़ने की संभावना भी जताई जाने लगी है।

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इसके बाद एक और बात का खुलासा हुआ और इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूपी सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि इन लोगों का दिल्ली सरकार ने बिजली-पानी के कनेक्शन काट दिए हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन, दूध, पानी नहीं मिला जिस कारण भूखे लोग सड़कों पर उतर आए। यहां तक कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसमेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें यूपी और बिहार ले जाएँगी। इसके बाद बहुत सारे लोगों को मदद के नाम पर डीटीसी की बसों से बॉर्डर तक पहुँचाकर छोड़ दिया गया।

इस बीच जैसे ही दिल्ली में बसें चलने का एनाउंसमेंट कर अफवाह फैलाया गया वैसे ही शनिवार सुबह से ही यूपी, बिहार और झारखंड जाने वाले लोग आनंद विहार और कौशांबी बस अड्डे पर जमा हो गए।

 

माहौल ऐसा हो चुका था कि अगर एक भी कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति होता तो यह महामारी देश के 2 सबसे बड़े आबादी वाले राज्य में तबाही मचा सकते थे। कई दावे किए गए थे जिसमें यह कहा गया था कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कोरोना वायरस की स्थिति सँभालने के लिए बढ़िया काम किया है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इतने सारे प्रवासी एक साथ दिल्ली छोड़कर जाने को मजबूर हुए।

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बड़ी संख्या में पलायन की ख़बरें 24 मार्च से ही आने शुरू हुए, तबसे लेकर अगले 4 दिनों तक किसी भी तरह के का कोई कदम वापस जाने वालों के लिए नहीं उठाया गया। इसके उलट अफवाह फैलाई गयी कि उन्हें घर छोड़ने वाली बसें उनका इंतज़ार कर रही हैं।

जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्थिति को और बिगड़ने नहीं दिया और  भीड़ को देखते हुए तुरंत बसों को लगाया तब केजरीवाल यह कहते फिर रहे हैं कि वो दिल्ली छोड़कर न जाएं और यह भी दावा कर रहे है कि दिल्ली में पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं।

जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्य नाथ को यह खबर मिली तो उन्होंने 1000 बसें लगाकर सभी प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की है। शुक्रवार व शनिवार रात भर बसों से लोगों को उनके जिले पहुंचाया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी मॉनिटरिंग करते रहे। रात में ही मजदूरों और बच्चों के लिए भोजन का इंतज़ाम भी कराया गया। साथ ही दिल्ली से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग भी की गयी और यह सुनिश्चित किया गया कि जो स्वस्थ होगा, उसे निगरानी में घरों को भेजा जाएगा। जिसमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं, उन्हें जिलों के वार्डों में क्वारंटीन किया जाएगा।

बावजूद इसके केजरीवाल के मंत्री योगी सरकार के बारे में अफवाह फैलाते रहे। राघव चड्डा ने तो यह आरोप लगा दिया कि दिल्ली से जाने वाले लोगों को योगी पुलिस से पिटवा रहे हैं। हालांकि जब लोगों ने खरीखोटी सुनाना प्रारम्भ किया तो ट्वीट डिलीट कर भाग गए। उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज करा लिया गया है।

https://twitter.com/ippatel/status/1244162566634393601?s=20https://twitter.com/ANINewsUP/status/1244119760809283584?s=20

अरविंद केजरीवाल के इस दोमूही राजनीति के लिए लोगों ने ट्विटर पर जाम कर कोसा और खूब खरी खोटी सुनाई।

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जिस दिल्ली को इन प्रवासियों की ऐसे आपदा के समय मदद करनी चाहिए वैसे समय में केजरीवाल ने उल्टा DTC बसे लगा कर UP बार्डर पार पहुंचा दिया और उन्हें वापस जाने पर मजबूर कर दिया। यह सभी को पता है कि कोरोना के समय में कहीं भी आना जाना किसी खतरे से खाली नहीं है लेकिन फिर भी इस तरह से राजनीति कर अरविंद केजरीवाल ने फिर से अपना रंग दिखा दिया है। जिस तरह से केजरीवाल ने लाखों लोगों की जान के साथ खेला उसे देखते हुए प्रधानमंत्री को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

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