अगर देश में Internal Movement को ना रोका गया, तो Corona आप तक कब पहुंच जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं

केंद्र सरकार तो जाग गयी, राज्य सरकारों को भी अब जागना होगा

कोरोना, राज्य, भारत,

चीन में उत्पन्न वुहान वायरस एक घातक महामारी का रूप ले चुकी है। अब तक यह महामारी विश्वभर में कुल मिलाकर 3 लाख से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर चुकी है और 13,000 से ज़्यादा लोग इस बीमारी की भेंट चढ़ चुके हैं। जो विश्व युद्ध और कई देशों में गृह युद्ध ना कर सका, वो वुहान वायरस ने कर दिखाया है, और वो है पूरी दुनिया को लॉकडाउन में डाल देना। भारत भी इस महामारी से अछूती नहीं है और अब तक 340 से भी ज़्यादा लोग इस महामारी से संक्रमित बताए जा चुके हैं, 20 से ज्यादा लोग ठीक भी हो चुके हैं। वहीं 5 लोगों को इस बीमारी के चलते अपनी जान भी गंवानी पड़ी है।

फिलहाल, सरकार ने देश के अधिकतर क्षेत्रों में कई प्रकार के रोक लगाए हैं, जिनमें से कुछ हैं मॉल, सिनेमाघर, रेस्टोरेंट इत्यादि को बंद करना, एक जगह पर बीस से ज़्यादा लोग ना इकट्ठे होने देना, और हाल ही में एकदिवसीय जनता कर्फ्यू लगाना।

परन्तु इतने प्रबंध शायद काफी ना हो। दो तीन दिन पहले भारत के कुल केस 175 भी नहीं थे। परन्तु परसों जैसे ही 200 का आंकड़ा पार हुआ, संक्रमण के कुल केसों में एक जबरदस्त उछाल आया और आज सुबह तक यह आंकड़ा 300 पार चला गया। ऐसे में भारत को आवश्यकता है एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की, ताकि वुहान वायरस का असर भारत में उतना घातक ना हो। कुछ जगह तो इस नीति की शुरुआत भी हो चुकी है।

सर्वप्रथम तो केंद्र सरकार ने और केस इंपोर्ट ना होने के लिए मार्च के अंत तक सभी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही मार्च के अंत तक भारतीय रेलवे ने मालगाड़ी छोड़कर सभी प्रकार के ट्रेनों की आवाजाही को रद्द कर दिया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि 12 लोग इस महामारी से संक्रमित पाए गए जिससे पैसेंजर ट्रेनों को अब रद्द कर दिया गया है।

यदि ऐसा ना किया गया होता, तो रेलवे इस बीमारी का एक बहुत बड़ा कैरियर बनता, जैसे इटली में हुआ। यह इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि भारत भूमि के कोने-कोने में यदि बीमारी फैलती, तो कितना भयावह परिणाम होता, यह कोई नहीं पता लगा सकता। लॉकडॉउन की संभावना के चलते कई लोग अपने गांव भाग रहे हैं, और ऐसे में ये इस महामारी के बहुत बड़े कारक बन सकते हैं।

यूएस के मेडिकल डिपार्टमेंट के अनुसार युवा लोग इस बीमारी के ज़्यादा बड़े कारक हो सकते हैं। उन्हें ज़्यादा  खतरा भले ना हो, परन्तु वे ग्रामीण क्षेत्रों में इस मुसीबत को काफी बढ़ा सकते हैं, जहां हर समय मेडिकल सुविधा हो, ऐसा जरूरी नहीं है। ऐसे में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाना बहुत ज़रूरी है।

इस दिशा में काम प्रारंभ भी हो चुका है। बिहार सरकार ने जहां राजकीय ट्रांसपोर्ट सेवा पर रोक लगा दी है, तो वहीं राजस्थान, तमिलनाडु, ओड़िशा, कर्नाटक इत्यादि जैसे राज्यों ने पूर्ण लॉक डॉउन का ऐलान किया है। ख़ाली कुछ आवश्यकताओं वाले दुकान ही खुले रहेंगे।

महाराष्ट्र में भी इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से लागू करना चाहिए। क्योंकि महाराष्ट्र में भारत के कोने-कोने से लोग काम करने आते हैं, इसलिए यहां पर लॉकडाउन बहुत ही जरुरी है। यहां पर वुहान वायरस के सबसे ज़्यादा केस है, और दुर्भाग्यवश यहां का रिस्पॉन्स सबसे सुस्त रहा है।

कई राजनीतिज्ञों ने भी सुझाव दिया है कि देश में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन तत्काल प्रभाव से घोषित कर दिया जाए। सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार, ” मेरे एक मित्र ने सुझाव दिया है कि एक सप्ताह के लिए  देशभर में सरकार कर्फ्यू लगा दे, जिससे उन सभी मरीजों की पहचान हो जाए, हो इस बीमारी से संक्रमित है। यह काम उनके साथ भी होना चाहिए, जो हाल ही में विदेश से आए हैं। ”

फिलहाल के लिए वुहान वायरस से लड़ने हेतु सोशल distancing ही एक कारगर उपाय दिख रहा है। भारत भाग्यशाली है कि केंद्र में उनके पास एक मजबूत सरकार है, जो इस महामारी को भीषण रूप में फैलने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

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