पीएम मोदी अपने आप में एक उत्कृष्ट जन नेता हैं, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण कल ही देखने को मिला था, जब जनता कर्फ्यू एक अप्रत्याशित सफलता के रूप में उभरकर सामने आई। कल शाम पांच बजे, एकता का एक बेमिसाल उदाहरण पेश करते हुए देश भर में राष्ट्र की सुरक्षा में लगे लोगों के लिए आभार प्रकट किया गया।
धर्म, क्षेत्र, जात-पात, कुछ मायने नहीं रखा, और कारगिल से लेकर चेन्नई तक, मिज़ोरम से लेकर गुजरात तक, सब जगह शंखनाद से लेकर, घंटियां, तालियां और थालियां सब एक साथ बजाई गई। परन्तु देश में कुछ अच्छा हो रहा हो, और लिबरल लोग शांत बैठे, ऐसा हो सकता है क्या? कुछ लिबरल लोग इस पर भी बिदक गए और उन्होंने इस जनता कर्फ्यू को हिन्दुत्व प्रोमोट करने की एक्सरसाइज घोषित करने की कोशिश की।
सर्वप्रथम निखिल वागले तंज कसते हुए ट्वीट किए, “मैं हैरान नहीं हूं, जो यह इवेंट इतना सफल रहा। आधे से ज़्यादा भारत तो। हमेशा महा आरती मोड, और ये मोदी से बेहतर कौन जान सकता है“।
I am not surprised ‘Thali bajao’ is a total success. Most of the India is always in ‘Maha Aarti’ mode. Who knows this better than Modi! #JantaCurfew #ThaliBajao
— nikhil wagle (@waglenikhil) March 22, 2020
इसपर एक प्रत्युत्तर में एक ट्विटर यूज़र निखिल की कुंठा पे मीम ट्वीट करते हैं, “आग ऐसी लगाई मज़ा आ गया“।
— सनातनी काफिर-ए -आजम – जॉनी (@jonyboltay) March 22, 2020
परन्तु निखिल महोदय अकेले नहीं थे। अपने अज्ञातवास से बाहर निकलती हुई आरजे सायेमा ट्वीट करती हैं, “मेरी थाली तुम्हारी थाली से तेज़ कैसे? ये सब अभी हो रहा है“।
Meri thaali tumhari thaali se tez kaise?
Happenning right now :)#JantaCurfew #CheerForOurHealthCareProfessionals— Sayema (@_sayema) March 22, 2020
ऐसे ही सबा नकवी ने जनता कर्फ्यू में तालियां और थालियां बजाए जाने का मजाक उड़ाते हुए कहा, “सोच रही थी कि अब तक वायरस चीन भाग गया होगा?” फिर तुरंत ही अपनी घटिया सेंस ऑफ ह्यूमर को जस्टिफाई करते हुए कहीं, “आई वाज जोकिंग“।
That's humour sarcasm.a joke etc.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) March 22, 2020
देखिए, ये डायलॉग आखरी पास्ता के मुंह से ही अच्छा लगता है, और ट्विटर पर घटिया सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए कुणाल कामरा जैसे लोगों की कमी नहीं है। सो प्लीज, डोंट ट्राई।
अब बात भारत को बेइज्जत करने की हो, और राना अय्यूब का नाम ना ले, ऐसा हो सकता है क्या? मोहतरमा भारतवासियों के उत्साह और वुहान वायरस को खत्म करने की जिजीविषा को पागलपन बता रही थी। फिर शायद उन्हें अपने बिरादरी की क्लासिक धुलाई याद आती, और उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।
https://twitter.com/_DurgaSaptShati/status/1241695856216006657
इसी भांति कांग्रेस के ओवर enthusiastic, स्वघोषित प्रवक्ता उदित राज भारत की संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट करते हैं-
“भारी मन से कहना पड़ रहा है कि 130 करोड़ की आबादी वाला देश शायद ही कोरोना की दवा बना पायेगा। दूसरे देश वाले ही करेंगे। वजह है कि सरकार से लेकर तमाम संगठन वैज्ञानिक सोच के खिलाफ खड़े हैं। कोई मूत्र से ठीक करने की बात कर रहा है तो कोई थाली– ताली बजाने से कह रहा है“।
सच कहें तो हमारे वामपंथी ब्रिगेड उस मिट्टी के बने हैं, कि इन्हें भगवान अमर भी बना दे, तो इस बात की शिकायत करेंगे, कि भगवान क्यों नहीं बनाया। जिस नकारात्मकता में ये दिन रात लोटते हैं, उसी का नतीजा है कि ये किसी भी अच्छे काम को हमेशा गलत ही ठहराते हैं।