हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा में रिक्त पड़ी सीटों को भरने के लिए कुछ लोगों को नामांकित किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई भी शामिल हैं। परंतु यह निर्णय क्या सार्वजनिक हुआ, हमारे वामपंथी ब्रिगेड के छाती पर मानो सांप लोटने लगे।
Former CJI Justice Ranjan Gogoi nominated to the Rajya Sabha. Notification issued. pic.twitter.com/w92ObjQsU1
— Marya Shakil (@maryashakil) March 16, 2020
पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी, फिर न्यायालय ने गौतम नवलखा समेत कई अर्बन नक्सलियों की जमानत की याचिका रद्द कर दी, और अब श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामांकित कर दिया गया है। जिससे कांग्रेसियों का हाल भींगी बिल्ली जैसा हो गया है।
सर्वप्रथम तो हमारे परम प्रिय वामपंथी पत्रकारों का समूह रुदाली पर उतर आया। द वायर की स्टार पत्रकार रोहिणी सिंह ट्वीट करती हैं, “अब हम उस पॉइंट पर पहुंच चुके हैं जहां बेशर्म होना बड़े गर्व की बात है”।
No other institution has collapsed as much as the judiciary in the last few years. https://t.co/LrGlGsmCaD
— Rohini Singh (@rohini_sgh) March 16, 2020
इसके अलावा महोदया ट्वीट की थीं, “बड़ी जल्दी इनाम मिल गया”। ठीक ही तो है रोहिणी दीदी, कम से कम हारे हुए पार्टी को प्रोमोट करने के लिए आपकी तरह 2 बीएचके तो नहीं मिला था लखनऊ में।
बता दें कि रंजन गोगोई एसए बोबड़े से पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हुआ करते थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई अहम निर्णय दिए थे, परंतु उनका सबसे अहम निर्णय था अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर के स्वामित्व का निर्णय श्री राम जन्मभूमि न्यास के पक्ष में सुनाना। इस के कारण जहां देशभर में उनकी सराहना हुई, वहीं कुछ वामपंथियों को ज़बरदस्त मिर्ची लगी।
अब वैसे भी, जो व्यक्ति देश में शांति स्थापित करने के लिए एक अच्छा निर्णय ले, वो भला वामपंथियों को कैसे प्रिय लग सकता है? यही तो कारण था कि जब एक महिला ने रंजन गोगोई पर अभद्रता का आरोप लगाया, तो इन्हीं वामपंथियों ने उन्हें नीचा दिखाने और उनका चरित्र हनन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
अब रोहिणी सिंह अकेली नहीं हैं। लिबरल पत्रकारिता के कन्हैया कुमार श्री प्रशांत कनौजिया ट्वीट करते हैं “अब तो खुल्लम खुला रिश्वत दी जा रही है”।
खुल्लम-खुल्ला रिश्वत दी जा रही है। https://t.co/8UYCF9udjj
— Prashant Kanojia (@KanojiaPJ) March 16, 2020
अब ऐसे में राणा अय्यूब कैसे चुप रह सकती हैं? वह भी कूद पड़ी, और ट्वीट की– “स्वतंत्र न्यायपालिका एक मिथ्या है”। इस पर एक यूजर ने करारा जवाब देते हुए लिखा, “बिलकुल ठीक वैसे ही, जैसे निष्पक्ष पत्रकारिता एक मिथ्या है। बधाई हो, आपको कंपनी मिल गयी”।
Independent judiciary is a myth
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 17, 2020
परंतु केवल वामपंथी पत्रकार ही इस निर्णय में शामिल नहीं थे। उनके अलावा कुछ बुद्धिजीवी और विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी भी इस विलाप में शामिल हुई, आखिर पूर्व न्यायाधीशों को राजनीतिक पद देना तो कांग्रेस का कॉपीराइट है, भला भाजपा ने ऐसा करने की हिम्मत कैसे की? वामपंथी ये भूल रहे हैं कि रंजन गोगोई एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसके कांग्रेस के साथ बड़े घनिष्ठ संबंध रहे हैं। उनके पिता केशब चंद्र गोगोई तो 1982 में कुछ समय के लिए असम के मुख्यमंत्री भी रहे हैं।
पर कांग्रेस के लिए जो राष्ट्रवादी है, वो किसी अपराधी से कम नहीं। कांग्रेस आईटी सेल के सदस्य श्रीवत्सा के अनुसार, “गोगोई के जजमेंट देख लीजिये। अयोध्या में मस्जिद गिराना अच्छा नहीं था, पर ज़मीन दंगाइयों को। कश्मीर में मानवाधिकार आवश्यक है, परंतु पेटीशन सुनने का समय नहीं है। ऑपरेशन कमल में हॉर्स ट्रेडिंग गलत है, परंतु विधायक चुनाव लड़ सकते हैं। राफेल पर कोई इंवेस्टिगेशन नहीं। मोदी को क्लीन चिट। यूं ही नहीं राज्यसभा की टिकट मिली है इन्हें”।
JUDGEMENTS OF GOGOI
Ayodhya
🔸Demolition was criminal. But land is yoursKashmir
🔸Human Rights matter. But no time to hear petitionsOperation Kamala
🔸Horse trading bad. But MLAs can contest electionRafale
🔸No investigation. Clean Chit to ModijiQuid Pro Quo = Rajyasabha
— Srivatsa (@srivatsayb) March 16, 2020
जो भी हो, महोदय ने मेहनत तो बहुत की है facts ढूंढने में, और सारे के सारे गलत। इससे पहले महोदय ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्हें अयोध्या और राफेल मामले में पीठ के सदस्यों की संख्या गलत गिनाई थी। उसके अलावा जनाब शायद भूल गए कि राफेल में झूठे दलीलों और द हिन्दू जैसे वामपंथी अखबारों के झूठे रिपोर्टों के चक्कर में रंजन गोगोई से राहुल गांधी को काफी फटकार झेलनी पड़ी थी। परंतु रंजन गोगोई अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं है, जिनकी नियुक्ति से कांग्रेस बुरी तरह तिलमिला गयी है।
2014 में केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित को हटाकर उसी समय सेवानिर्वृत्त हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। पी सतशिवम ने कई अहम निर्णयों की अध्यक्षता की थी, और जब वे मुख्य न्यायाधीश नहीं थे, तब भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर ग्राहम स्टेंस हत्याकांड में हिन्दूफोबिया पर करारा प्रकार किया था।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकन से सबसे ज़्यादा आघात कांग्रेस और वामपंथियों को पहुंचा है, जिन्होंने उन्हे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।