दुनिया में कुछ भी हो सकता है, पर जो एक चीज नहीं बदल सकती, या फिर बदलना चाहती है, वह है हमारे देश के वामपंथी पत्रकारों की घटिया मानसिकता। अभी द क्विंट वाले विवाद को ठंडा हुए एक दिन भी नहीं हुआ कि एक और वामपंथी पत्रकार का विवादास्पद लेख सुर्खियों में आ गया है। वाशिंगटन पोस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाने को इच्छुक अमेरिकी मैगज़ीन द एटलांटिक के लिए विवादास्पद मैग्जीन कारवां की पत्रकार विद्या कृष्णन ने एक लेख लिखा, जिसके बारे में मोहतरमा ट्वीट करती हैं-
“द एटलांटिक के लिए लिखे लेख में मैंने बताया है कि कैसे भारत का COVID–19 के प्रति रिस्पॉन्स काफी घटिया और असंतोषजनक रहा है। औरों की भांति stockpiling करने के बजाए भारत सरकार देश के सोशल फैब्रिक को तोड़ने में जुटी रही“।
Everything that's wrong with #India's #COVID19 response flows from Jan/Feb.
Instead of stockpiling, like all nations, Modi govt was tearing apart the social fabric with a pogrom & police brutality that set the tone for it
I write for @TheAtlantichttps://t.co/zeNPDJEr2O
— Vidya (@VidyaKrishnan) March 27, 2020
परन्तु ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ था। द एटलांटिक ने बेशर्मी की सभी हदें पार करते हुए भारत के राष्ट्र ध्वज को एक बेहद आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया।
यहां राष्ट्र ध्वज में अशोक चक्र के स्थान पर वुहान वायरस का एक प्रतीकात्मक चिन्ह दिखाया गया है। ये ना केवल अपमानजनक है, अपितु एक दंडनीय अपराध भी। परन्तु ये विद्या कृष्णन है, जिनको लगता है कि वे दूसरी बरखा दत्त हैं।
इसके अलावा विद्या कृष्णन ने इस लेख में ये बताने की कोशिश की कि कैसे केंद्र सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून वुहान वायरस से लड़ने में बाधा के रूप में सामने आ रहा है। आपने ठीक पढ़ा, विद्या कृष्णन वुहान वायरस जैसी महामारी को CAA से जोड़ने का प्रयास कर रही थीं। वुहान वायरस तो बस बहाना था, एजेंडा जो चलाना था। लगता है विद्या कृष्णन ने बरखा दत्त से काफी अच्छी शिक्षा ली है।
यही नहीं, विद्या कृष्णन ने यह भी बताया कि कैसे पीएम मोदी द्वारा घोषित लॉकडाउन अपने आप में गरीबों पर एक करारा प्रहार है, और अमीर वर्ग व मिडिल क्लास को इससे कोई हानि नहीं होगी। इसी को कहते हैं, नाच ना जाने तो आंगन टेढ़ा।
हालांकि ये ओछी पत्रकारिता कोई नई बात नहीं है। अभी कल ही द क्विंट ये अफवाह फैला रही थी कि भारत इस महामारी के तीसरे स्टेज में पहुंच चुकी है, जिसे सिद्ध करने के लिए उन्होंने पीएम मोदी के टास्क फोर्स का हिस्सा माने जाने वाले एक डॉक्टर का उदाहरण दिया। परन्तु द क्विंट ने जो भी बातें बताई, उसे स्वयं गिरधर ज्ञानी ने झूठ सिद्ध कर दिया।
ANI के संवाददाता ईशान प्रकाश से बातचीत के दौरान पता चला कि गिरधर ज्ञानी ने ऐसी कोई बात नहीं बोली, जिससे यह सिद्ध हो कि भारत वुहान वायरस महामारी के तीसरे स्टेज में पहुंच चुका है। गिरधर ज्ञानी के अनुसार अभी जो केस बढ़ रहे हैं, वह केवल गणित का फेर है, पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन में संक्रमण की मामले रुकने का नाम ही नहीं लेते –
ANI's health reporter @journo_priyanka reached out to Dr Girdhar Gyani who says this headline was blown out of proportion. Dr Girdhar clarified, "luckily till today increase in No. of cases is pure arithmetic while in community spread its goes geometrically or exponentially" https://t.co/bDkRbvnmGP
— ishaan prakash (@ishaan_ANI) March 27, 2020
ऐसे में भारत अभी भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन वाले स्टेज में नहीं पहुंचा है। परन्तु द क्विंट को इससे क्या? उन्हें तो अपने एजेंडे से वास्ता है। पूनम अग्रवाल ने यह काम पहली बार नहीं किया है। कुछ वर्ष पहले इसी पत्रकार पर एक आर्मी जवान को आत्महत्या करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था, और हाल ही में वह अभी ज़मानत पर बाहर आई हैं।
अपने आप को बरखा दत्त की उत्तराधिकारी समझने वाली विद्या कृष्णन अवश्य ही अपने आराध्य के मार्ग पर चल रही हों, पर शायद उसे भी पता नहीं होगा कि ये 2010 नहीं 2020 है, यहां एजेंडावादी पत्रकारिता को कोई घास तक नहीं डालता।