कमलनाथ के MP में POK ‘आजाद कश्मीर’ बन गया है, 10वीं की परीक्षा के सवाल में कांग्रेस का पाक प्रेम

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए मानो मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। एक ओर जनाब अपनी सरकार को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं, तो वहीं उनकी सरकार राजकीय बोर्ड परीक्षा में पीओके को ‘आज़ाद कश्मीर’ के नाम से संबोधित करने के लिए आलोचना का शिकार हो रही है।

हाल ही में मध्य प्रदेश में 10वीं कक्षा के राजकीय बोर्ड परीक्षा का एक प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ, क्योंकि सोशल साइन्स के प्रश्नपत्र में एक प्रश्न था, जिसके विकल्पों में आज़ाद कश्मीर भी उपस्थित था। विद्यार्थियों को भारत के मानचित्र पर आज़ाद कश्मीर को चिन्हित करने के लिए कहा गया था।

प्रिय कांग्रेस, इतना पाकिस्तान प्रेम सेहत के लिए ठीक नहीं है। लगता है इन लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनाव से कोई सबक नहीं लिया है, जहां इसी पाकिस्तान प्रेम के कारण कांग्रेस को इतिहास में पहली बार लगातार दो बार लगातार सत्ता से बाहर बैठना पड़ा। ‘आज़ाद कश्मीरी’ पाकिस्तानी शब्दकोश की उपज है, और ऐसा प्रतीत होता है कि कमलनाथ जैसे लोग अपने पाकिस्तानी आकाओं की खुशामद करने में कुछ ज़्यादा ही आगे चले गए हैं। इसी मुद्दे पर पीटीआई से बातचीत करते हुए राज्य के भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने पूछा, “कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। भारतीय सरकार ने इसी परिप्रेक्ष्य में एक संकल्प पारित करवाया है। क्या मध्य प्रदेश की कांग्रेस आज़ाद कश्मीर जैसे बकवास सिद्धान्त को मान्यता देती है?”

अब इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले दोनों पार्टियों के कश्मीर पर विचार पर एक दृष्टि डालते हैं। भाजपा का मानना है कि सम्पूर्ण कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है और अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार निष्क्रिय करना कश्मीर को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए काफी अहम है। गृहमंत्री अमित शाह ने कई अवसरों पर स्पष्ट किया है कि वे हर कीमत पर पीओके को वापस लेकर रहेंगे। पर इस प्रश्न पत्र को देखकर लगता है कि मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार के लिए आज भी पाकिस्तान प्रेम सर्वोपरि है।

भाजपा के दबाव बनाने पर प्रश्नपत्र निकालने वाले शिक्षक और निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। परंतु ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस द्वारा शासित किसी भी सरकार को इस प्रकार की गलतियों के लिए जनता ने निशाने पर लिया हो। सावरकर की बात छोड़िए, इन लोगों ने अपने एजेंडे को प्रसारित करने के चक्कर में महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा। एक मॉड्यूल बुक के कुछ पन्ने पिछले वर्ष दिसंबर में लीक हुए, जिसमें महात्मा गांधी को कुबुद्धि की संज्ञा दी गई थी।

ऐसे ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सत्ता ग्रहण करते ही वीर सावरकर को अपने एजेंडे अनुसार कायर की संज्ञा देनी शुरू कर दी है। न केवल उन्होंने ‘वीर सावरकर’ के नाम से ‘वीर’ हटवाया, बल्कि उन्हें महात्मा गांधी की हत्या का दोषी सिद्ध करने का भी प्रयास किया। ऐसे में आज़ाद कश्मीर का विवाद कांग्रेस शासित राज्य में उठना कोई हैरानी की बात नहीं है, और ये राज्य में कांग्रेस की अंतर्कलह को भी उजागर कर रहा है।

सच कहें तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ के दिन अब लद गए हैं। जो मध्य प्रदेश 2018 तक ‘बीमारू’ के कलंक से मुक्त हो चुका था, उसे अपने कुशासन से वे फिर उसी टैग की ओर धकेलना चाहते हैं। परंतु जिस तरह से कांग्रेस सरकार एक के बाद एक कई विवादों में फंसती जा रही है, उससे किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए, यदि आने वाले कुछ महीनों में कमलनाथ की सरकार को जनता प्रेम से विदा कर दे, और मध्य प्रदेश के ‘मामाजी’ एक बार फिर से सत्ता संभालते हुए दिखाई दें।

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