‘पैसे’ और ‘जान’ में से एक चुनना था, बिजनेसमैन ट्रम्प ने पैसा चुना, स्टेट्समैन मोदी ने जान चुनी

इतना बड़ा फैसला लेने में 56 इंच का सीना चाहिए होता है

पीएम, मोदी, ट्रंप, कोरोना, व्यापार, बिजनेस, लॉक डाउन,

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया, जो कि 25 मार्च 12 बजे से लेकर अगले तीन हफ़्तों यानि 21 दिनों तक जारी रहेगा। भारतीय इतिहास को छोड़िए, पीएम मोदी ने कल दुनिया के इतिहास के सबसे बड़े लॉकडाउन की घोषणा की।

कोरोनावायरस के फैलाव पर एक हफ्ते से भी कम समय में दूसरी बार टीवी पर आकर सम्बोधन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह बड़ा ऐलान किया। भारत की 133 करोड़ की आबादी अगले 21 दिनों तक घरों में ही रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कल अपने सम्बोधन में बताया कि आखिर इतने कड़े कदम क्यों उठाए जा रहे हैं।

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के इन कदमों से देश को आर्थिक नुकसान तो होगा, लेकिन अभी उनके लिए लोगों की जान पहले है। दूसरी ओर अमेरिका में जब राष्ट्रपति ट्रम्प से पूछा गया कि क्या वे भी देश में लॉकडाउन के पक्ष में हैं, तो ट्रम्प ने साफ कहा “किसी बीमारी का इलाज़ उस बीमारी से भी खतरनाक नहीं हो सकता”।

इस प्रकार ट्रम्प ने देश की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन ना करने का ही निर्णय लिया, वो भी तब जब अमेरिका का न्यू यॉर्क शहर दुनिया का नया वुहान बनता जा रहा है।

पीएम मोदी ने कल अपने सम्बोधन में कहा था कि “इस लॉकडाउन से देश को आर्थिक नुकसान होगा। लेकिन एक-एक भारतीय का जीवन बचाना इस समय भारत सरकार की सबसे बडी प्राथमिकता है। इसलिए मैं हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि आप इस समय देश में जहां कहीं हैं, वहीं रहे। अभी के हालात को देखते हुए देश में यह लॉकडाउन 21 दिनों का होगा”। 21 दिनों के लॉकडाउन से भारत को बड़ा आर्थिक नुकसान होना तय है, लेकिन यह नुकसान उस नुकसान से तो कम ही होगा जो इस महामारी फैलने के बाद देश को उठाना पड़ेगा।

पीएम मोदी ने कल यह भी कहा कि अगर इन 21 दिनों में हम नहीं संभले, तो देश और आपका परिवार 21 सालों पीछे चला जाएगा”। इसके अलावा पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि अभी लोगों की जान बचाना ही उनकी सरकार की प्राथमिकता है।

पीएम मोदी कोई व्यापारी नहीं हैं, ऐसे में उन्होंने देश के लोगों के जीवन की परवाह करते हुए ही इतना बड़ा फैसला लिया, हालांकि ट्रम्प इस मामले में एक सच्चे नेता की तरह फैसला नहीं ले पाये, जिसकी वजह से अमेरिकावासियों को बहुत बड़ा मोल चुकाना पड़ सकता है।

ट्रम्प एक व्यापारी हैं और उनके लिए अर्थव्यवस्था पहले आती है, फिर चाहे उसके लिए लोगों की जान की बलि ही क्यों ना देनी पड़े। यहां ट्रम्प यह बात भी भूल गए कि अगर उनके लोगों की सेहत बिगड़ती चली जाएगी और अमेरिका का हेल्थ केयर सिस्टम लचर हो जाएगा तो ऐसी हालत में वे उनकी अर्थव्यवस्था को और भी ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

यह बात सही है कि अमेरिका का हैल्थ केयर सिस्टम भारत से कहीं ज़्यादा बेहतर है, और वह किसी महामारी से निपटने में ज़्यादा सक्षम है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अभी कोरोना के सामने अमेरिका भारत से भी ज़्यादा बेबस है क्योंकि अमेरिका में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या 800 पार करने वाली है जबकि इस वायरस से ग्रसित कुल लोगों की संख्या 55 हज़ार पार कर चुकी है।

अमेरिका का न्यू यॉर्क राज्य इस वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित माना जा रहा है, जहां पर अकेले 20 हज़ार से ज़्यादा केस पॉज़िटिव मिल चुके हैं। इन 20 हज़ार मामलों में से भी 12 हज़ार मामले तो केवल न्यूयॉर्क शहर में मिले हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा न्यू यॉर्क राज्य में आपातकाल घोषित कर दिया गया है, इसके साथ ही US आर्मी को जल्दी-जल्दी नए अस्पताल बनाने को कहा गया है। न्यू यॉर्क सिटी के मेयर पहले ही कह चुके हैं कि न्यू यॉर्क सिटी वुहान वायरस का नया केंद्र बन चुका है।

न्यू यॉर्क शहर के मेयर बिल डे ब्लासियो ने न्यू यॉर्क शहर में खत्म होते वेंटीलेटर्स पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर 7 दिन में वेंटिलेटर प्रदान नहीं किए गए तो बड़ी संख्या में लोग मारे जाएंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा एक सप्ताह के अंदर-अंदर और ज़्यादा वेंटिलेटर नहीं मिलते हैं तो उन लोगों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगी जिनकी जान अभी बचाई जा सकती है”।

उन्होंने आगे यह भी जानकारी दी कि न्यू यॉर्क शहर में मेडिकल स्टाफ़ और मास्क की भी भयंकर कमी हो गयी है। यह सब दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका का हाल है, इससे समझा जा सकता है कि अमेरिका में अभी लॉकडाउन की कितनी ज़्यादा ज़रूरत है, लेकिन ट्रम्प अब भी इस खतरे को कम आंक रहे हैं। दूसरी ओर भारत में पीएम मोदी ऐसी हालत पैदा नहीं होने देना चाहते जिसके कारण उन्होंने देश में तीन हफ्तों के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया।

कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में यह स्पष्ट हो गया कि एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए पैसा पहले आता है, तो वहीं भारत के प्रधानमंत्री के लिए लोगों की जान पहले आती है। बिजनेसमैन ट्रम्प तो देश को लॉकडाउन करने का फैसला नहीं ले पाये, लेकिन स्टेट्समैन मोदी ने देश के लोगों की परवाह करते हुए यह बड़ा फैसला समय रहते ले दिखाया।

Exit mobile version