वुहान वायरस से निपटने के लिए जहां भारत सरकार दिन रात एक किए हुए हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जिन्हे केवल अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति करनी है। इन्हीं में शामिल हैं दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्होंने दिहाड़ी मजदूरों के पलायन को न रोककर उत्तरप्रदेश, हरियाणा और बिहार के लिए गंभीर संकट खड़ा दिया।
इसके पीछे जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल को हर जगह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं केंद्र सरकार ने भी अरविंद केजरीवाल को ज़बरदस्त फटकार लगाई है।न्यूज़ स्टेट की रिपोर्ट के अनुसार, “उच्च सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार को गृह मंत्री अमित शाह की उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद रविवार शाम दिल्ली के सीएम केजरीवाल को पत्र भेजा गया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा गया कि किसी भी प्रवासी मजदूर को पलायन को अनुमति नहीं दी जाए”।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 24 मार्च को रात 12 बजे के बाद से पूरे देश में 21 दिनों का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन होगा। इसमें किसी प्रकार की परिवहन सुविधा आवश्यक वस्तुओं या व्यक्तियों की आवाजाही के अलावा कहीं प्रयोग में नहीं लायी जाएगी। परंतु इस नियम की धज्जियां उड़ाते हुए कई दिहाड़ी मजदूरों को रातों रात दिल्ली से यूपी के बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया गया। कल्पना कीजिये कि यदि इनमें से एक भी व्यक्ति वुहान वायरस से संक्रमित पाया जाता, तो देश भर में ये महामारी कितना विकराल रूप धरण कर लेती।
बतौर गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से इस पर कोई बयान नहीं दिया है, परंतु उनका मंत्रालय निष्क्रिय भी नहीं है। इस लापरवाही के लिए हाल ही में गृह मंत्रालय ने दो प्रमुख आईएएस अधिकारियों को निलंबित भी किया था। उत्तर प्रदेश की सीमा तक लोगों को ले जाने के लिए डीटीसी बसों के इस्तेमाल पर गृह सचिव अजय भल्ला ने दिल्ली के मुख्य सचिव को दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि पलायन करने वाले लोगों को 14 दिनों के लिए अलग रखें और उसके बाद ही उन्हें घर जाने दिया जाए। गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इसे पूरी तरह से टालना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार को चिंता है कि पलायन से देश को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पर केजरीवाल सरकार वास्तव में कितनी प्रतिबद्ध थी, इसका अंदाज़ा आप राघव चड्ढा वाले मामले से लगा सकते हैं। राघव चड्ढा ये अफवाह फैलाने में लग गए कि योगी सरकार दिल्ली से आने वाले मजदूरों को दौड़ा दौड़ा कर पीट रही है, और जब सोशल मीडिया पर जनता ने उन्हें इस झूठ के लिए आड़े हाथों लिया, तो जनाब ट्वीट डिलीट कर चलते बने। सच कहें तो दिल्ली सरकार पर केंद्र सरकार को सख्त रुख अपनाना ही पड़ेगा, अन्यथा वुहान वायरस से लड़ाई में दिल्ली की लापरवाही केंद्र सरकार के लिए बड़ा अवरोध बन सकती है।