दिल्ली हिंसा की फेक न्यूज फैलाने के मामले में वॉल स्ट्रीट जर्नल को इस बार लेने के देने पड़ने वाले हैं। आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या पर वॉल स्ट्रीट जर्नल की आपत्तिजनक कवरेज के खिलाफ दिल्ली पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें वॉल स्ट्रीट जर्नल के झूठी रिपोर्टिंग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
PBNS Breaking:
Police complaints filed against The Wall Street Journal @WSJ with @DelhiPolice & Maharashtra Police for "defaming particular religion & spreading communal tension" with respect to alleged misreporting on #DelhiViolence & murder of IB official Ankit Sharma. pic.twitter.com/lmAh6Cyy2B— PB-SHABD (@PBSHABD) February 28, 2020
बता दें की वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पश्चिमी मीडिया के कई अहम पोर्टल्स की तरह ही पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों का आरोप हिंदुओं के सिर मढ़ दिया था। परंतु वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ये आरोप लगाया कि अंकित शर्मा के भाई के अनुसार अंकित की हत्या करने वाले लोगों ने अंकित को बाहर घसीटते हुए ‘जय श्री राम के नारे भी लगाए थे।
‘भारत की सत्ताधारी पार्टी को दिल्ली की हिंसा के लिए लताड़ा गया’ शीर्षक से प्रकाशित वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख में मृतक अंकित शर्मा के भाई से बातचीत करने का दावा किया गया, जिसमें ये बताया गया कि कैसे हिंदुवादी भीड़ ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए अंकित को घसीटते हुए ले गए और फिर उसकी हत्या कर दी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के एक extract के अनुसार, “वे तलवार, लाठी, चाकू और पत्थरों से लैस थे, वे ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे, और कुछ तो हेलमेट भी पहने थे”।
परंतु वॉल स्ट्रीट का यह प्रोपगेंडा उन्ही पर भारी पड़ गया, और लोगों ने जमकर इस पोर्टल को उसके पक्षपाती कवरेज के लिए लताड़ा। इतना ही नहीं, कई लोग अंकित शर्मा के समर्थन में सामने आते हुए यह कहने लगे कि अंकित के परिजनों ने हर बार आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन और उसके दंगाई समर्थकों का नाम लिया, पर एक बार भी उन्होंने दंगाइयों द्वारा ‘जय श्री राम’ का उल्लेख नहीं किया।
The mother of all propaganda and deliberate spreading of fake news – in @WSJ, whose Editor-in-Chief is @murraymatt. The article is written by three writers whose name appears in the screenshot.
An entire body of evidence, on video camera, directly contradicts this article. 1/3 pic.twitter.com/IDK8Z4Ha8R
— Akhilesh Mishra (मोदी का परिवार) (@amishra77) February 26, 2020
प्रसार भारती के अनुसार स्वयं अंकित के भाई अंकुर ने इस बात का खंडन किया है। उन्होंने कहा था कि मैंने कभी ऐसी कोई बात नहीं की। मेरे नाम से कोई झूठी खबरें चला रहा है, उन्होंने आगे कहा कि जो भी फेक न्यूज फैलाया है उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए।
In conversation with PBNS, Ankur Sharma, Brother of killed IB official discredited @WSJ report, "I never gave such a statement to Wall Street Journal. This is a ploy to defame my brother and my family. Wall Street Journal is lying."#DelhiViolence pic.twitter.com/0peViwzkjE
— PB-SHABD (@PBSHABD) February 28, 2020
परंतु ऐसा पहली बार नहीं है जब वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस तरह की भ्रामक और आपत्तिजनक पोस्ट किए हों। नवंबर में माननीय सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ ने राम जन्मभूमि केस में अयोध्या की विवादित भूमि रामलला को सौंप दी। पर जहां देश भर में इस निर्णय को सराहा गया, और सुप्रीम कोर्ट के इन न्यायाधीशों को उनके सूझबूझ से भरे निर्णय के लिए प्रशंसित किया गया, तो वहीं विदेशी मीडिया ने अपनी पक्षपाती कवरेज से इस मुद्दे पर भ्रमित करने का प्रयास किया।
वॉल स्ट्रीट जर्नल का इस विषय पर शीर्षक था, ‘भारत के शीर्ष न्यायालय ने एक धार्मिक स्थल पर विवाद में हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय दिया’। इतना ही नहीं, उन्होंने इस निर्णय में भी 2002 का मुद्दा उछालने का प्रयास किया।
लेख में कहा गया था, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारत की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को आकार देने का काम करेगा। दशकों तक अलग–अलग राजनीतिक पार्टियों ने मामले से जुड़ी भावनाओं को राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करने की कोशिश की। लेकिन भाजपा ने इसका इस्तेमाल सबसे प्रभावी तरीके से किया”।
विदेशी मीडिया अक्सर भारत के मामलों में ‘अधजल गगरी छलकत जाय’ वाली अवधारणा पर भारत को कवर करती है, और इस संदर्भ में वॉल स्ट्रीट जर्नल का लेख भी कोई अपवाद नहीं है। जब से मोदी सरकार दोबारा सत्ता में काबिज हुई है, तब से वैश्विक मीडिया मानों भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी है। भारत में कुछ भी अच्छा होगा तो मानो ये इनकी निजी हार है, पर भारत में किसी भी त्रासदी पर इनकी प्रसन्नता तो देखते ही बनती है।