लोक सभा चुनाव में BJP के बढ़ते कदम को देखते हुए ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर फिर से एक बार चुनावी मोड में आ गए हैं। पहले तो उन्होंने ने CAA विरोधी अभियानो को हवा दे कर माहौल BJP के खिलाफ बनाने की कोशिश की और अब आगामी नगर निकाय चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनसंपर्क अभियान ‘बांग्लार गोर्बो ममता’ (बंगाल की गौरव ममता) की सोमवार को शुरुआत की है। हालांकि, यह पहला अभियान नहीं है। इससे पहले प्रशांत किशोर ने ममता दीदी के बोलो कार्यक्रम शुरू किया था जो असफल हो गया था।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी रविवार को ‘आर नोए अन्याई’ नाम से चुनावी अभियान शुरू किया था। उन्होंने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि वे ‘आर नोए अन्याई’ अभियान में शामिल हों, जिसे हम आज शुरू कर रहे हैं और इस राज्य को अत्याचार मुक्त राज्य बनाइए।” ‘आर नोए अन्याई’ का अर्थ होता है अब और अन्याय नहीं। ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में अब चुनावी माहौल गरमा चुका है और अभी से ही TMC बैकफूट पर दिखाई दे रही है। शायद यही वजह है कि जनता के बीच पहुंचने वाले प्रोग्राम ‘दीदी के बोलो’ को बदलकर ‘बांग्लार गोर्बो ममता’ करना पड़ा है।
अमित शाह ने भी ममता बनर्जी के इस कार्यक्रम पर जबरदस्त हमला बोला और कहा कि, “ममता दीदी हर गांव में जाती हैं और ‘दीदी के बोलो’ पूछती हैं, लोगों को आश्चर्य है कि क्या जवाब दिया जाए। आज मैं आपको बताने आया हूं कि शांत मत बैठिए। जब भी वह ‘दीदी के बोलो ’पूछती हैं, तो आप कहिए आर नाई अन्याय, जिसका मतलब है कि हम इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
सीएए के मुद्दे पर अमित शाह ने ममता बनर्जी के दोहरे रुख पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, “ममता दी जब विपक्ष में थी तो उन्होंने खुद शरणार्थियों के नागरिकता का मुद्दा उठाया था। जब पीएम मोदी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आए तो वह (ममता) कांग्रेस और वामदलों के साथ खड़ी हो गईं। ये लोग अल्पसंख्यकों को डरा रहे हैं कि उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी। मैं अल्पसंख्यक समुदाय के हर शख्स को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि सीएए नागरिकता देने का कानून है। इससे आप पर किसी भी तरह से असर नहीं होगा।”
पश्चिम बंगाल में BJP और TMC के बीच एक कड़ा मुक़ाबला देखने को मिल सकता है लेकिन फिर भी TMC बैकफूट पर ही रहेगी। इसका कारण है ममता की तुष्टीकरण की राजनीति के कारण राज्य में सत्ता विरोधी लहर बनी हुई है।
बता दें कि प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज “दीदी के बोलो” पूरी तरह से फ्लॉप रहा था। ‘दीदी के बोलो’ यानी ‘दीदी से बात करो’ कैंपेन के अंतर्गत राज्य में किसी भी प्रकार की समस्या के निवारण के लिए एक विशेष हेल्पलाइन नंबर एवं वेबसाइट की सुविधा शुरू की गयी थी, जिसमें जनता की समस्त समस्याएँ सीधे ममता दीदी को रिपोर्ट जाती थी। कार्यक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के जनसंपर्क अभियान में पार्टी के नेता और मंत्री गांवों में जाते रहे हैं, लेकिन इस दौरान उन्हें आम जनता के कई सवालों का जवाब देना पड़ता था। जनता जब तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का दुर्व्यवहार और उन पर लगे भ्रष्टाचार के बारे में सवाल पूछती है तो पार्टी के नेताओं के पसीने छूट जाते थे। IPAC के प्रशांत किशोर ने भी यह स्वीकार किया था कि 80 MLA इस कार्यक्रम को सही से लागू नहीं कर पाये थे।
जब रविवार को अमित शाह ने रैली की और भारी संख्या में समर्थक जुटे तब ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर दोनों को अपना प्लान बदलना पड़ा है और अब एक नए नाम ‘बांग्लार गोर्बो ममता’ के साथ शुरू करना पड़ा।
‘बांग्लार गोर्बो ममता’ अभियान के तहत मुख्यमंत्री और पार्टी कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में यात्रा करने की योजना बनाई है। अभियान के माध्यम से ममता बनर्जी को “चीफ आर्किटेक्ट” के रूप में प्रोजेक्ट किया जाएगा जो बंगाली संस्कृति, गरिमा और गर्व को बहाल कर सकता है। इससे यही पता चलता है कि ममता बनर्जी अपनी गिरती लोकप्रियता से परेशान हैं। इसी वजह से उनके राजनीतिक रणनीतिकर प्राशांत किशोर ने अब रणनीति बदलने का फैसला लिया है। हालांकि, BJP और अमित शाह के रैलियों में जुटते भीड़ से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ममता बनर्जी यह भी कार्यक्रम सफल नहीं होगा।