गृहमंत्री अमित शाह सदन में जब गरजते हैं तो विरोधियों की चुप्पी देखते बनती है। कल यानि बुद्धवार को लोकसभा में दिल्ली दंगों पर सरकार और विपक्ष में जमकर बहस हुई, इस दौरान शाह ने कई तथ्यों से विपक्ष पर प्रहार किया जिससे विरोधी चारो खाने चित्त हो गए।
‘दिल्ली हिंसा में कितने हिंदू और कितने मुसलमान मारे गए’ जैसे बेतुके सवालों पर केंद्रीय गृहमंत्री ने विपक्ष के नेताओं को करारा जवाब दिया। शाह ने कहा कि मैं दंगों में हुए नुकसान का आंकड़ा तो दे सकता हूं। इसमें सरकार हिंदू मुसलमान नहीं करेगी। केंद्रीय गृहमंत्री ने विपक्षी सांसदों को इस मसले पर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि माननीय सदस्य आपको भी ऐसा नहीं करना चाहिए। यह क्या तरीका है कि बताएं कि हिंसा में कितने मुसलमानों का नुकसान हुआ या कितने हिंदू बर्बाद हुए। दंगे में जिनका भी नुकसान हुआ हमारी नजर में वे सभी भारतीय हैं।
अमित शाह ने दिल्ली पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि, ‘मैं दिल्ली पुलिस की प्रशंसा करना चाहता हूं और शाबाशी देना चाहता हूं। दिल्ली में जहां दंगा हुआ, उस इलाके की आबादी 20 लाख है। पुलिस ने इस दंगे को पूरी दिल्ली में नहीं फैलने दिया। दिल्ली पुलिस को 24 फरवरी को पहली सूचना मिली, जबकि अंतिम सूचना 25 फरवरी की रात 11:00 बजे मिली। 36 घंटे तक दिल्ली में दंगे हुए हैं। दिल्ली के दंगों को 36 घंटे में समेटने का काम दिल्ली पुलिस ने ही किया।’
गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यक्रम में बैठा था। मेरा वहां जाना भी पहले से ही तय था। मैं जिस दिन गया, उस दिन कोई घटना नहीं हुई। मैं उसी दिन शाम को 6:30 बजे दिल्ली वापस आ गया था। जो सवाल उठाए जा रहे हैं कि मैं ताजमहल गया था, वो गलत हैं। मैं ताजमहल देखने नहीं गया था। मैं सीधे दिल्ली आया था। उसके बाद दूसरे दिन राष्ट्रपति भवन में डोनाल्ड ट्रंप की अगवानी हुई, मैं वहां भी नहीं गया। दोपहर को लंच हुआ, मैं वहां भी नहीं गया। रात को डिनर हुआ, मैं डिनर में भी नहीं गया। मैं पूरे समय दिल्ली पुलिस के साथ बैठकर मामले की समीक्षा करता रहा।’
विपक्ष के NSA को भेजने के सवाल पर जवाब देते अमित शाह ने कहा कि मैंने ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से कहा था कि आप दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में जाइए और पुलिस का मनोबल बढ़ाइए। मैं इसलिए नहीं गया क्योंकि अगर मैं जाता, तो मेरे जाने से पुलिस मेरे पीछे लगती और पुलिस दंगे रोकने में अपने बल को नहीं लगा पाती इसलिए मैंने NSA अजीत डोभाल को भेजा था।
केंद्रीय गृह मंत्री ने विपक्ष की बखिया उधेड़ते हुए बताया कि, “दिल्ली में जहां दंगे हुए, वो भारत की घनी आबादी वाला एरिया है, वहां संकरी गलियां हैं और दोनों समुदायों की सबसे ज्यादा मिली-जुली आबादी है। यहां पर दंगों का पुराना इतिहास रहा है। अपराधिक तत्वों का भी काफी समय से यहां पर पुराना इतिहास रहा है। यह इलाका उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से लगा हुआ है।” उन्होंने बताया कि दंगा वाले इलाके में 22 और 23 फरवरी को CRPF की 30 कंपनियां और 24 फरवरी को 40 कंपनियां भेजी थीं। 25 फरवरी को सीआरपीएफ की और 50 कंपनियां भेजीं गयी। इसके बाद दंगा प्रभावित इलाकों में 26, 27, 28 और 29 फरवरी को CRPF की 80 से ज्यादा कंपनियां तैनात की गईं। CRPF की ये कंपनियां अब भी वहीं पर तैनात हैं।
दिल्ली दंगों पर किए गए कारवाई के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि-
“दिल्ली दंगों के गुनहगारों को पकड़ने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। 27 फरवरी से अब तक 700 से ज्यादा FIR दर्ज की जा चुकी हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली दंगा साजिश के तहत किया गया था। दंगा करने के लिए 300 से ज्यादा लोग यूपी से दिल्ली आए थे। दिल्ली पुलिस Face Recognization Softwere की मदद से एक–एक दंगाइयों को पकड़ेगी। किसी को नहीं छोड़ा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली और देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि दंगों में जो लोग शामिल थे, उनको किसी भी कीमत में बख्शा नहीं जाएगा। साइंटिफिक सबूतों के आधार पर दोषियों के खिलाफ पूरी कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में बयान दर्ज किए जा रहे हैं। किसी भी निर्दोष को कोई तकलीफ नहीं होने दी जाएगी। हमने एसआईटी की टीमें बनाई हैं, जिसने आर्म्स एक्ट के तहत करीब 49 केस दर्ज किए हैं। दिल्ली पुलिस ने 152 हथियारों को भी बरामद किया है।
शाह ने आगे कहा-‘कुछ लोगों ने कहा कि CRPF, मिलिट्री भेजनी चाहिए थी। 23 तारीख को 17 कंपनी दिल्ली पुलिस की, 13 कंपनी CRPF की कुल 30 कंपनी क्षेत्र में पहले से ही तैनात थी। 27 फरवरी से आज तक 700 से ज्यादा FIR हमने दर्ज की हैं। 2,647 लोग हिरासत में लिए गए हैं। CCTV फुटेज 25 से ज्यादा कम्प्यूटर पर एनालिसिस हो रहा है।‘
सदन में हंगामें के बीच शाह ने कहा- ‘हमने लोगों से, मीडिया से दंगों का फुटेज मांगा है और मुझे यह कहते हुए आनंद है कि दिल्ली की जनता ने हजारों की तादात में पुलिस को वीडियो भेजे हैं। मुझे आशा है कि अंकित शर्मा के खून का भेद भी उन्हीं वीडियो में से बाहर आने वाला है।’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली के अंदर जनवरी के बाद कितनी धनराशि हवाला से आई है और इसमें कितनी संस्थाएं शामिल रहीं, इसकी जानकारी भी सरकारी एजेंसियों ने खंगाला है। दिल्ली दंगों को फाइनेंस करने वाले तीन लोगों की पहचान हुई है। उनको दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। इसकी जांच आगे तक जाएगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया कि दिल्ली हिंसा के लिए कांग्रेस पार्टी ने लोगों को भड़काया था। सोनिया गांधी का नाम लिए बिना अमित शाह ने कहा कि एक पार्टी की अध्यक्ष ने रैली में लोगों से कहा कि ‘घर से निकलो, बाहर निकलो और आर–पार की लड़ाई लड़ो’।
शाह ने आगे कहा- ‘उनकी पार्टी के एक बड़े नेता ने यह भी कहा कि अभी नहीं निकलोगे तो कायर कहलाओगे। 14 दिसंबर को यह भड़काऊ भाषण हुए और फिर 16 दिसंबर को शाहिनबाग का धरना शुरू हुआ। इस तरीके से हेट स्पीच के जरिए दिल्ली में दंगे कराए गए।‘
इसी क्रम में ओवैसी पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि 19 फरवरी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के नेता वारिस पठान ने भी भड़काऊ भाषण दिए। उन्होंने कहा कि हम 15 करोड़ है, मगर 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। इसके बाद 24 फरवरी को दंगे शुरू हो गए।
अमित शाह ने कहा कि हमने नागरिकता संशोधन कानून को दरवाजा बंद करके पास नहीं किया था। हमने चर्चा करके इस कानून को संसद से पास कराया था। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संसद में पूरी स्पष्टता थी, लेकिन पूरे देशभर में मुस्लिमों को गुमराह किया गया और कहा गया कि सीएए से मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी। मैं आज भी पूछना चाहता हूं कि सीएए में कौन सा क्लॉज है, जो किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीनता है। इसमें नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है। पीड़ित लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। परंतु अलग-अलग प्रकार से काफी चीजें विपक्षी पार्टियों के द्वारा फैलाई गई हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में पहले भी धर्म को लेकर कानून बने हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ भी धर्म के आधार पर बना कानून है। उन्होंने कहा, ”मैं ऐसे कई कानून गिना सकता हूं।”
इस तरह से अमित शाह ने विपक्ष के सारे सवालों के जवाब देते हुए संसद में जमकर बरसे। उन्होंने दंगे के दौरान अपनी मौजूदगी से लेकर कांग्रेस, ओवैसी और आम आदमी पार्टी के नेताओं की भागीदारी पर भी विपक्ष से खूब सवाल किया। आतंकी संगठन पीएफआई की फंडिंग पर भी शाह ने देश को बताया कि कैसे किसी प्रदर्शन की आड़ में दंगें के लिए फंडिंग की जाती है। वास्तव में शाह ने सदन में एक बार फिर अपने विरोधियों को चारो खाने चित्त कर दिया।