आखिरकार कई दिनों के बाद शाहीन बाग और जमिया में स्थित प्रदर्शन स्थलों को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया गया। इन प्रदर्शनों के कारण वुहान वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रहा था, जिसके कारण दिल्ली पुलिस ने एहतियातन ये कदम उठाया है। परन्तु ऐसा लगता नहीं था कि वहां के उपद्रवी इतनी आसानी से हटने को तैयार थे।
सर्वप्रथम पुलिस कर्मियों को अपनी जान जोखिम में डालकर शाहीन बाग की कथित शेरनियों को हटाना था। परन्तु पुलिस के लाख कहने के बाद भी उपद्रवी हटने को तैयार नहीं थे, जिसके बाद उन्हें जबरदस्ती हटाना पड़ा था।
अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि लोग शाहीन बाग के पास एक बार फिर जमावड़ा लगाने को तैयार हैं। इससे ना सिर्फ कानून व्यवस्था को खतरा है, अपितु उन लोगों को भी खतरा है जो दिल्ली में रहते हैं।
बता दें कि बीते 3 महीनों से CAA के फर्जी विरोध प्रदर्शनों के चलते पूरे दिल्ली में उत्पात मचा हुआ था। ये लोग ऐसे समय में भी अपना प्रदर्शन जारी रखना चाहते हैं, जब आधे से ज़्यादा देश में चीनी वायरस फैल चुका है। शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि उनका प्रदर्शन जारी रहे, चाहे पूरी दिल्ली इसके चक्कर में वुहान वायरस से संक्रमित क्यों न हो जाए।
शाहीन बाग के प्रदर्शन हमेशा से साम्प्रदायिकता से परिपूर्ण रहे हैं। चाहे वह शार्जील इमाम का भड़काऊ भाषण हो, रतन लाल को मारने वाली हिंसक भीड़ के नारे हो या फिर अंकित शर्मा की जघन्यतम हत्या हो, सभी की जड़ें इस प्रदर्शन से ही मिलती हैं।
जैसे ही वुहान वायरस ने देश को अपने चपेट में लिया, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हटेंगे और वे कुछ भी करके वहीं टिके रहेंगे। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान भी शाहीन बाग में प्रदर्शन को लेकर अंतर्कलह हो गई। कुछ चाहते थे कि लॉकडाउन हो और कुछ चाहते थे कि प्रदर्शन जारी रहे।
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पर जो प्रदर्शन दो बच्चों की मृत्यु के बाद भी नहीं रुका, वह क्या वुहान वायरस के डर से रुक जाए? यदि दिल्ली पुलिस ने मामले को तुरंत नहीं संभाला होता तो दिल्ली दूसरा वुहान बन सकता था।
शाहीन बाग किसी सुदूर इलाके में नहीं, बल्कि दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में स्थित है, जहां से बाटला हाउस एनकाउंटर केस का स्थल जामिया नगर ज़्यादा दूर नहीं है। इस क्षेत्र का आतंकवादियों को पनाह देने में बहुत पुराना हाथ रहा है। यहां 2007 में कुरान गिराए जाने की अफवाह मात्र पर हिंसा और आगजनी हो गई थी।
वास्तविकता तो यह है कि यहां अलग ही तरह का जिहाद चलता है। ये केवल लोगों को सरकार के विरुद्ध भड़काने का काम नहीं करते, बल्कि एक महामारी को ढाल बनाकर उसे देश के विरुद्ध प्रयोग करना चाहते थे। जिन तत्वों का प्रयोग कर दिल्ली में दंगे भड़काए गए थे, उसी के आधार पर अब दिल्ली को वुहान वायरस से संक्रमित करने की नापाक कोशिश की जा रही है।