‘हमारे देश की महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक हैं’ सोनम मैडम को हिस्ट्री के Class की सख्त आवश्यकता है

चंद पैसों के लिए इन्होंने भारतीय महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक घोषित कर दिया

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दुनिया में हम कई तरह की बीमारियों से कभी न कभी परिचित हुए हैं लेकिन इन सभी बीमारियों से भी घातक एक बीमारी होती है, जिसके बारे में जानते हुए भी हम कुछ नहीं कर पाते, वो है ‘अज्ञानता’। ऐसी ही एक कथित विदुषी महिला हैं, जो इस बीमारी की शिकार भी है, और इसे सिद्ध करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देती। जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की अभिनेत्री सोनम कपूर आहूजा की।

मोहतरमा ने अभी हाल ही में हार्पर बाज़ार अरेबिया नामक मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू में बताया, “मेरे लिए नारी सशक्तिकरण बहुत मायने रखता है, क्योंकि मैं दुनिया के उस हिस्से से आती हूं जहां महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक हैं”।

https://twitter.com/sonamakapoor/status/1234495107002273795

अब इससे पहले कि हम सोनम कपूर के महान शब्दों पर अपने विचार प्रकट करें, आइये जानें कि हार्पर’s बाज़ार अरेबिया मैगज़ीन है क्या? ये हार्पर’s बाज़ार मैगज़ीन का अरबी संस्करण है, जो मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका में काफी प्रचलित है। इसका subscriber बेस सबसे ज़्यादा सऊदी अरब और कतर में मजबूत हैं। मजे की बात है कि सोनम ने यह इंटरव्यू सऊदी अरब और कतर की जनता को संबोधित करते हुए दिया था, जिनका नारी सशक्तिकरण से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है।

अब आते हैं सोनम कपूर के बयानों पर। या तो इन्हें भारत के इतिहास के बारे में लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है, या फिर ये छद्म धर्मनिरपेक्षता के विचार को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के अपमान का बीड़ा उठाया है। जिस देश में सदियों से ये भाव रहा है कि शिवजी भी शक्ति के बिना शव हैं, जिस देश में स्त्री के बिना पुरुष आज भी अधूरा माना जाता है, उस देश में महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक कहना घोर अज्ञानता नहीं तो क्या है?

सोनम महोदया की जानकारी के लिए बता दें कि ये वो भारत है जहां सिंधु-सरस्वती सभ्यता के समय से ही नारियों को पुरुषों के बराबर स्थान दिया जाता था। ये वो भारत है, जहां गार्गी और सुलभा जैसी ऋषिकाएं भी वेदों पर दीक्षा दिया करती थीं। ये वो भारत हैं जहां श्रीरामचंद्र के नाम के पहले उनकी अर्धांगिनी सिया का नाम लिया जाता है। ये वो भारत है जहां के सबसे उत्कृष्ट योद्धाओं में से एक, छत्रपति शिवाजी महाराज की महिमा में भी पहले उनके इष्ट देव, मां भवानी का नाम लिया जाता है। यूं ही नहीं बोला जाता, ‘जय भवानी जय शिवाजी!’

निस्संदेह अनेक इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा हुए आक्रमणों के कारण हमारे देश में स्त्रियों के लिए सम्मानजनक स्थान काफी घटा है। हम इस बात से भी अनभिज्ञ नहीं है कि कुछ राक्षस आज भी महिलाओं की आबरू लूटने की ताक में लगे रहते हैं। परंतु यह वो भारत है, जहां पर महिलाओं को न केवल शासन की कमान सौंपी गयी है, अपितु उन्होंने बड़े से बड़े शत्रु को धूल भी चटाई है।

ये वही भारत है, जहां लाखों की सेना लेकर आए क्रूर तैमूर को भी रामप्यारी गुर्जर जैसी 40,000 वीरांगनाओं के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा। ये वो भारत है जहां वेलू नाचियार जैसी वीर योद्धा ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे। सोनम कपूर उदाहरण गिनते थक जाएंगी, पर भारतीय संस्कृति में वीरांगनाओं के लिए हमारा सम्मान कभी समाप्त नहीं होगा।

परंतु सोनम कपूर ऐसी पहली अभिनेत्री नहीं हैं, जिन्होंने अपनी अज्ञानता का इतना शानदार परिचय दिया हो। 2017 में ‘बेगम जान’ के प्रोमोशन के दौरान विद्या बालन ने भी लगभग इसी परिपाटी पर बयान दिया था, “यह देश कभी औरतों का था ही नहीं। हम प्रारम्भ से ही दोयम दर्जे के नागरिक थे। हम किसी भी पंथ, जाति या क्षेत्र से आयें, परंतु पुरुष ही हमारा भाग्य तय करते थे”। मजे की बात यह है कि इसी बकवास के बाद उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप सिद्ध हुई थी।

इसके अलावा ‘तान्हाजी’ के रिलीज़ होने के कुछ दिनों बाद फिल्म कंपेनियन द्वारा आयोजित एक इंटरव्यू में सैफ अली खान ने अपनी अज्ञानता का परिचय देते हुए कहा, मैं नहीं मानता कि जो तान्हाजी में दिखाया गया है, वो वास्तविक इतिहास है। मैं नहीं मानता कि अंग्रेज़ों से पहले  इंडिया जैसे देश का कोई अस्तित्व हुआ करता था” परंतु नवाब साहब की पोल जल्द ही खुल गयी, क्योंकि रिलीज़ से एक हफ्ते पहले जनाब ने अजय देवगन के उस बयान पर हां में हां मिलाई थी, जब उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के कारण हम अपने अधिकांश इतिहास से आज भी अपरिचित हैं।

ऐसे में सोनम कपूर के इस बयान के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं – या तो उन्हें भारत की बेइज्जती करवाने में एक विशेष आनंद मिलता है, या फिर उन्हें भारत की वास्तविकता का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है। परंतु एक बात तो स्पष्ट है – दोनों ही स्थिति में नुकसान तो सिर्फ सोनम कपूर आहूजा का ही है, क्योंकि हम सोते हुए व्यक्ति को जगा सकते हैं, सोने का नाटक करने वाले को नहीं।

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