‘कपिल मिश्रा को छोड़ो, पहले तुम अपना बताओ’ हेट स्पीच मामले में हर्ष मंदर सुप्रीम कोर्ट में बुरे फंसे

हर्ष मंदर

PC: The Indian Express

जब से दिल्ली में हिंसा भड़की है तब से ही भाजपा के नेता कपिल मिश्रा पर आरोप मढ़ने वाले गैंग के लीडर और 10 जनपथ के पुराने चाटुकार हर्ष मंदर ने इस मामले को बढ़ चढ़ कर उठाया है। पहले तो उन्होंने कपिल मिश्रा के खिलाफ शिकायत दायर की था लेकिन अब वो हेट स्पीच के मामले खुद ही फंस चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने Harsh Mander को खूब लताड़ लगाई।

दरअसल, हर्ष मंदर का विवादित वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से करने इनकार कर दिया है और उल्टे कोर्ट ने उनसे ही सफाई मांगी है।

बता दें कि हर्ष मंदर का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें स्पष्ट रूप से वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसलों पर सवाल उठाते हुए लोगों को सड़क पर फैसला करने के लिए उकसा रहे हैं। यह वीडियो 16 दिसंबर की जामिया मिलिया के गेट नंबर 7 के सामने की है। इस वीडियो में हर्ष मंदर कह रहे हैं कि, “ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी, क्योंकि हमने सुप्रीम कोर्ट में देखा है पिछले कुछ वक्त से एनआरसी के मामले में अयोध्या के मामले में कश्मीर के मामले में। सुप्रीम कोर्ट में इंसानियत समानता और सेक्युलेरिज्म की रक्षा नहीं की है।” उन्होंने आगे भड़काऊ तरीके से कहा कि, “हम कोशिश जरूर करेंगे क्योंकि हमारा सुप्रीम कोर्ट है। लेकिन फैसला न संसद में न सुप्रीम कोर्ट में होगा। इसका फैसला अब सड़कों पर होगा।

आज कपिल मिश्रा और अन्य BJP नेताओं पर कारवाई वाले याचिका की सुवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हिंसा पर सुनवाई के दौरान Harsh Mander के वायरल वीडियो की जानकारी अदालत को दी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने अदालत में भाषण की ट्रांस स्क्रिप्ट पेश करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाते हुए कहा था कि अगर हर्ष मंदर SC के बारे यह सोचते हैं तो अब यह निर्णय लेना आवश्यक है कि उन्हें सुनवाई का मौका देना चाहिए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने वाले हर्ष मंदर आज खुद सीजेआई के सामने थे।  दिल्ली दंगों में नेताओं की भूमिका को लेकर हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है लेकिन आज अदालत में वे खुद ही फंस चुके हैं। कोर्ट में अपनी याचिका को लेकर पहुंचे हर्ष मंदर को उल्टे सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस थमा दिया। चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता Harsh Mander के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। जब तक इन आरोपों पर सफाई नहीं आ जाती, हम मंदर की याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे।

दिल्ली हिंसा पर सुनवाई के दौरान जब हर्ष मंदर की वकील करुणा नंदी ने जब यह कहा कि Harsh Mander को अपने भाषण को जांच करने के लिए समय चाहिए, तब इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि उन्हें अपने ही भाषण को जांच के लिए समय मांग रहे हैं लेकिन दूसरों के खिलाफ तुरंत FIR करवाना चाहते हैं।

बता दें कि हर्ष मंदर एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान वे राष्ट्रीय सलाहकार परिषद यानि NAC के सदस्य रह चुके हैं। ये वही NAC है जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं। मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान इसे सुपर कैबिनेट कहा जाता था। इसी से स्पष्ट होता है कि हर्ष मंदर के क्या इरादे होंगे।

यही नहीं हर्ष मंदर Open Society Foundation के Human Rights Initiative Advisory Board में भी है। यह फ़ाउंडेशन जॉर्ज सोरोस द्वारा संचालित किया जाता है जिसने भारत की मोदी सरकार जैसी राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ कदम उठाने के लिए 1 बिलियन डॉलर लगाने का ऐलान किया था।

इससे यह भी स्पष्ट होता है कि हर्ष मंदर जैसे लोग भारत को अस्थिर करना चाहते हैं जिसके लिए वे लोगों को भड़काते है और ऊपर से दूसरे नेताओं को फँसाने के लिए अपने लिबरल गैंग का उपयोग करते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से लताड़ लगाई है उससे हर्ष मंदर जैसे लोगों की जवाबदेही तय होगी। सुप्रीम कोर्ट को इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेते हुए इनके खिलाफ एक्शन लेने के लिए आदेश जारी करना चाहिए।

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