दुनिया में कोरोना वायरस को फैलाने के लिए धार्मिक गतिविधियां सबसे बड़ा कारण बनती जा रही हैं। ऐसा देखने में आया है कि दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे देशों में धार्मिक स्थलों और कार्यक्रमों ने ही कोरोनावायरस को फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। इसके बाद अब जहां कुछ जगहों पर मंदिरों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों को बंद किया जा रहा है, तो वहीं कई जगहों पर अभी भी ऐसी गतिविधियां धड़ल्ले से आयोजित की जा रही हैं जिससे लगातार मानवता के लिए संकट पैदा होता जा रहा है।
ऐसा ही अब हमें फ्रांस में देखने को मिला है। फ्रांस के म्यूलहाउस स्थ्ति एक चर्च में फरवरी महीने में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जहां शक है कि किसी कोरोना संक्रमित मरीज ने आकर कई लोगों को संक्रमित कर दिया।
18 फरवरी को उस चर्च में सामूहिक प्रार्थना हुई थी जिसमें दुनिया भर के हजारों लोग शामिल हुए थे। इसके बाद वे लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्से में वापस चले गए और कोरोना वायरस टाइम बम बनकर अब अलग-अलग जगह कहर बरपा रहे हैं। अब तक करीब 2500 ऐसे संक्रमित मरीज सामने आ चुका हैं जिन्होंने उस दिन इस चर्च के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।
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अब इस चर्च से जुड़े 17 संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी है और इस चर्च के कारण ही जर्मनी ने भी फ्रांस के साथ अपने बॉर्डर को बंद कर दिया है। यह दिखाता है कि कैसे एक लापरवाही सैकड़ों लोगों की जान को खतरे में डाल सकती है। हालांकि, यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं है जब किसी धार्मिक कार्यक्रम की वजह से कोरोना वायरस इस तरह महामारी बनकर फैला हो।
इसी तरह मलेशिया में पेंतालिंग मस्जिद दुनिया के कई देशों में कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार बनी थी। 27 फरवरी से लेकर 1 मार्च के बीच यहां एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम हुआ था जिसमें लगभग 16 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें 1500 विदेशी नागरिक थे और उन सबका दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से संबंध था। अब इस मस्जिद से जाने वाले लोगों को संक्रमित पाया जा रहा है और अब इसे वायरस फैलाने का सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा है।
इससे पहले ईरान से भी हमें ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिली थीं, जहां लोग अपनी धार्मिक भावनाओं को जाहिर करने के लिए मस्जिदों के दरवाजों को चूमते और चाटते नज़र आ रहे थे। लोग कह रहे थे कि उन्हें अल्लाह पर भरोसा है और उसे मस्जिदों की दीवार चूमने से कोई नहीं रोक सकता।
This is how Shia Pilgrims lick the Shrines in Iran, Iraq & Syria….. 😨😩😰😩😩😩😩 pic.twitter.com/74j2KU0cp9
— Naveed Shahzad (@naaveedshahzad6) March 17, 2020
इन उदाहरणों से स्पष्ट हो गया है कि दुनिया भर में धार्मिक गतिविधियां ही कोरोना को फैलाने का सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रही हैं। दक्षिण कोरिया से लेकर, ईरान और फिर फ्रांस तक, सब जगह धार्मिक कार्यक्रमों ने ही कोरोना को सबसे ज़्यादा फैलाया फिर चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से क्यों ना हो। कोरोना के समय हर देश को ऐसी धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाने की सख्त ज़रूरत है।
अगर ज़रूरत हो, तो दुनिया के देश भारत से भी सीख ले सकते हैं, जहां लोग अब पवित्र त्योहार नवरात्रि को छोड़कर social distancing को अपना रहे हैं। भारत के लोग यह समझ चुके हैं: अगर जान बचेगी, तभी तो धर्म बचेगा। इसी मंत्र का पालन करते हुए पूरी दुनिया को भी सजग होने की आवश्यकता है।