‘मौका देखकर लपक लो” कोरोना की वजह से भारतीय दवा उद्योग के पास चीन को पटखनी देने का बढ़िया मौका है

बढ़िया मौका है, चीन को पटक दो!!

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जैसे जैस दुनिया में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे अब भारत में भी इससे निपटने की तैयारी की जाने लगी हैं। इसी कड़ी में नीति आयोग ने सरकार को दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले active pharmaceutical ingredients (APIs) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को 3000 करोड़ की प्रोत्साहना योजना शुरू करने का सुझाव दिया है। चीन में कोरोनवायरस का प्रभाव बढ़ते से अभी इन APIs के उत्पादन को गहरा झटका लगा है, जिसकी वजह से भारत की कंपनियां इस बड़ी चुनौती को अपने अवसर में बदल सकती हैं।

द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ही API के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग, Pharmaceuticals डिपार्टमेन्ट, वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि इस API उद्योग को चीन से हटाकर भारत में शिफ्ट किया जा सके। इसके अलावा सरकार उन API उत्पादकों को भी सहायता प्रदान कर सकती है जिनमें कम से कम 500 करोड़ रुपयों का निवेश किया हुआ हो।

भारत में काफी मात्रा में दवाइयों का उत्पादन किया जाता है लेकिन इन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले API को चीन से ही इम्पोर्ट किया जाता है। ऐसे में भारतीय दवा उत्पादकों में चिंता बढ़ गयी है। इसके अलावा दवाइयों की कमी की स्थिति को टालने के लिए भारत सरकार पहले ही कई अहम दवाइयों के निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है, जिसके कारण कई यूरोप के देशों में चिंता बढ़ गयी है।

PMO ने भारत में पहले ही उन 23 API उत्पादकों की पहचान कर ली है जो चीन के API उत्पादकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद बाज़ार से बाहर हो गए थे। अब सरकार दोबारा उनके परिचालन के लिए उन्हें सहायता मुहैया करवा सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इनमें रोजगार भी बढ़ेगा और साथ ही देश में API उत्पादों की कोई कमी भी नहीं होगी।

इसी के साथ ही सरकार भारत के उन API उत्पादकों को अपना उत्पादन बढ़ाने को कह सकती है जो अभी अपनी पूरी क्षमता पर काम नहीं कर रहे हैं। ऐसा करके सरकार बिना समय गवाए और बिना किसी बड़े निवेश के तुरंत API के उत्पादन को बढ़ा सकती है।

जैसे कि चीन में इस जानलेवा कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, तो ऐसे में नीति आयोग ने इस स्थिति से निपटने का बढ़िया सुझाव दिया है, ताकि भारत में दवाओं की कोई कमी ना हो सके। यह स्थिति भारतीय API उत्पादकों के लिए अपनी क्षमता दिखाने और बाज़ार पर कब्जा जमाने का एक सुनहरा अवसर है और इस प्रकार भारत API उत्पादन में एक स्वतंत्र देश बन सकता है।

अगर सरकार API के उत्पाद को बढ़ावा देकर भारत में दवाइयों के उत्पादन को सहूलियत प्रदान करने में सक्षम रहती है तो बाद में भारत अपनी दवाओं को दूसरे देशों को भी एक्सपोर्ट कर सकता है और विदेशी बाज़ार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। नीति आयोग ने इस मुश्किल परिस्थिति को अवसर में बदलने का एक बढ़िया सुझाव दिया है और सरकार को तुरंत इस सुझाव पर काम करना शुरू कर देना चाहिए।

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