चीन में कोरोना वायरस नामक यह महामारी फैले हुए 3 महीने से भी ज़्यादा हो गए हैं और यह बीमारी चीन से निकलकर दुनिया के कई देशों में फैल चुकी है। चीन से बाहर इरान, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी यह वायरस भयंकर तरीके से फैल चुका है और सैकड़ों लोगों की जान इसके कारण जा चुकी है। चीन के वुहान शहर से फैले इस वायरस के मामले पर चीन की ओर से लगातार गैर-जिम्मेदाराना रुख देखने को मिल रहा है। पहले तो चीन ने यह मानने से ही इंकार कर दिया कि कोरोनावायरस उसके यहाँ से फैला है। अब वह कोरोना से निपटने के लिए दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने से भी मना कर रहा है।
दरअसल, अब बात पुष्ट हो चुकी है कि चीन कोरोना से निपटने के लिए जो भी कदम उठा रहा है वह अपर्याप्त है और साथ ही वह इस बीमारी से जुड़े गंभीर डेटा को दुनिया को मुहैया कराने से परहेज कर रहा है। यहाँ तक कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन भी यह बात मान चुका है कि चीन कोरोना के मरीजों से निपटने वाले फ्रंट लाइन मेडिकल स्टाफ को होने वाले इन्फेक्शन के बारे में कोई जानकारी देने से मना कर चुका है। अगर चीन तीन महीनों में जुटाया गंभीर डेटा दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार हो जाता तो इससे दुनियाभर में कोरोना को काबू करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।
अभी चीन अपने यहाँ से किसी भी प्रकार की कोरोना से संबन्धित जानकारी बाहर भेजने से कतरा रहा है, जिससे पूरी दुनिया में इस बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बता दें कि चीन ने उस डॉक्टर को दंडित कर मौत की नींद सुला दिया जिसने सबसे पहले इस वायरस के होने की खबर को सार्वजनिक किया था। तब वुहान शहर की पुलिस ने उस डॉक्टर को ‘अफवाह’ फैलाने के दोष में पकड़ा और उसे हर तरीके से परेशान किया। अब वह डॉक्टर कोरोनावायरस की वजह से दम तोड़ चुका है। इसके अलावा कोरोनावायरस के मरीजों का उपचार करने वाले डॉक्टर्स को चीन में पूरी दुनिया से अलग कर दिया गया है, उनपर अपने परिवार वालों से भी कोई जानकारी साझा करने पर पाबंदी है। ऐसे में भला हम चीन से यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वह इस वायरस से निपटने के लिए कोई सहायता प्रदान करेगा।
चीन अभी दुनिया को कोरोनावायरस से जुड़ी कोई भी जानकारी ना देने के प्रति इतना संवेदनशील है कि अगर कोई भी पत्रकार वुहान से ground रिपोर्टिंग करता है तो उसे चीन की कम्युनिस्ट सरकार गायब करवा देती है। बता दें कि पिछले एक महीने में चीन में ऐसे दो पत्रकार गायब हो चुके हैं जो कोरोनावायरस के केंद्र कहे जाने वाले वुहान शहर में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। इन दोनों पत्रकारों के नाम हैं फांग बिन और चेन कियुषी है। ये दोनों ना सिर्फ अपनी जान दांव पर लगा कर वुहान से रिपोर्टिंग कर रहे थे, बल्कि इसे यूट्यूब और अन्य चीनी मीडिया सोशल साइट्स पर अपलोड करके दुनिया तक पहुंचा भी रहे थे। यही बात शायद चीनी सरकार को बुरी लगी और अब उनके सोशल मीडिया अकाउंट पूरी तरह शांत पड़ चुके हैं।
यह दर्शाता है कि चीन अपने यहां से किसी भी तरह की जानकारी को अपने देश से बाहर जाने से रोकना चाहता है जिसके कारण पूरी दुनिया में लगातार इस महामारी का संकट बढ़ता जा रहा है। अभी वुहान से कोई भी जानकारी जुटाने का एकमात्र आधिकारिक जरिया चीन की सरकारी मीडिया ही है। चीन दुनिया को जो दिखाना चाहता है, अभी चीन की सरकारी मीडिया सिर्फ उसी को प्रसारित कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में इस वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या और इससे मरने वाले लोगों की संख्या आधिकारिक आकड़ों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा हो सकती है। हालांकि, कोई भी विश्वसनीय सूत्र ना होने के कारण लोगों तक सही खबरें नहीं पहुंच पा रही है और इससे फेक न्यूज़ को भी बढ़ावा मिल रहा है। पत्रकारिता और डेटा के फ्री फ्लो (free flow) पर चीनी सरकार की इस लगाम से अब इस महामारी के बारे में दुनिया में और ज़्यादा अनिश्चितता बढ़ रही है, जो कि इस वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने में अहम भूमिका निभा रही है।