चोरियां तो कई प्रकार की होती हैं लेकिन अगर सरकारी विभाग से कोई फ़ाइल चोरी हो जाए और किसी को पता नहीं चले तो यह चोरी नहीं बल्कि डकैती कहलाएगी। कुछ ऐसा ही UP के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग-2 में देखने को मिला, जब शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड की पिछले पांच साल के विशेष ऑडिट कराए जाने संबंधी फाइल चोरी हो गई।
यह फ़ाइल ऐसे समय चोरी हुई है जब योगी सरकार वक्फ बोर्ड में हुई तमाम गड़बड़ियों पर सीबीआई जांच कराने के लिए तैयारी कर रही थी।
यह फ़ाइल शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में हुए अवैध वित्तीय लेन-देन से जुड़ी थी, जो सचिवालय से गायब हो गई है। हालांकि इसकी FIR लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज कराई गई है। बता दें कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के घोटाले का यह मामला पूर्व की सपा सरकार के समय का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश पहले ही कर चुकी है।
उत्तर प्रदेश की अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि यह फाइल वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच दोनों वक्फ बोर्ड यानि शिया और सुन्नी के पांच वर्षों के कार्यकाल में हुई वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की विशेष ऑडिट कराने से जुड़ी थी।
रजा ने वक्फ बोर्ड पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि यह फाइल वक्फ बोर्ड के लोगों ने सचिवालय के अफसरों व कर्मचारियों के साथ मिलकर गायब करा दी है। मोहसिन रजा ने बताया कि ‘शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड में लगभग 1.30 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। इनमें सपा सरकार के समय बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।’
दोनों बोर्ड में हुई अनियमितताओं पर पिछले दिनों सीएम योगी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है। ऐसे में इस घोटाले की फाइल का गायब होना महज संयोग नहीं है। इस चोरी की पड़ताल करने के दौरान पुलिस को इस साजिश का भी पर्दाफाश करना होगा। वक्फ बोर्ड के घोटालों से संबन्धित इस फ़ाइल की पत्रावली 17 मई, 2017 को तत्कालीन समीक्षा अधिकारी अजीम को मार्क की गई थी।
शुरुआत में फाइल की रफ्तार काफी तेज थी। 17 मई से 6 जून के बीच आठ बार अनुसचिव, संयुक्त सचिव, विशेष सचिव व समीक्षा अधिकारी के बीच फाइल इधर से उधर होती रही। 6 जून को वापस अजीम के पास पहुंची। पत्रावली पर अंतिम मार्किंग 4 अगस्त, 17 की है। पहले फाइल को अनुसचिव व संयुक्त सचिव के लिए मार्क किया गया। वहां उसी तारीख में फाइल अजीम को मार्क की गई परंतु तब से फाइल ही गायब है।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान बापू भवन स्थित कार्यालयों का नवीनीकरण हो रहा था। इस कारण अनुभाग की सभी फाइलों को चौथी मंजिल से आठवीं मंजिल स्थित कमरों में ले जाया गया, जबकि अनुभाग के नवीनीकरण के बाद दोबारा इन फाइलों को आठवीं मंजिल से चौथी मंजिल पर लाया गया।
इसके बाद विशेष ऑडिट की आगे की कार्रवाई के लिए फाइल को ढूंढा गया लेकिन बहुत ढूंढने के बाद फाइल का कुछ पता न चला। अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग एक, तीन व चार में भी फाइलों को ढूंढा गया। माना जा रहा है कि इसी शिफ्टिंग के दौरान ही इस विशेष ऑडिट की फाइल को सुनियोजित तरीके से गायब किया गया।
वक्फ बचाओ आंदोलन (संगठन) के अध्यक्ष शमील शम्सी ने शिया वक्फ बोर्ड की ऑडिट रिपोर्ट गायब होने पर सांसद आजम खां और बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आजम के इशारे पर रिजवी ने रिपोर्ट गायब करवाई है।
शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड में जमीनों की धांधली और बेईमानी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं जिसके बाद इसे CBI से जांच करने का फैसला लिया गया था।
बता दें कि वक्फ बोर्ड भारत के सबसे बड़े भूस्वामियों में से एक है। दिसंबर 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वक्फ बोर्ड की पांच लाख पंजीकृत संपत्तियां है, जो लगभग छह लाख एकड़ भूमि में फैली हुई है।
बता दें की कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दायर किया गया था जिसमें वक्फ बोर्ड के करोड़ो की संपत्ति का हिसाब न होने, उनका दुरुपयोग और बिल्डरों को अवैध हस्तांतरण का आरोप लगाया गया था।
इसी PIL पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और के एम जोसेफ की एक डिवीजन ने सुनवाई करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, सभी राज्यों और वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा था।
अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि पुलिस की जांच में किसका नाम आता है।