वेंटिलेटर खत्म, मास्क और मेडिकल स्टाफ़ की भयंकर कमी, US के न्यू यॉर्क शहर में Corona ने तबाही मचा दी है

दुनिया का सबसे ताकतवर देश कोरोना के सामने घुटने टेक चुका है

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इटली, ईरान के बाद अब लगता है कोरोना वायरस का नया टार्गेट अमेरिका बन चुका है। देश में कोरोना के कुल मामले 40 हज़ार के पास पहुंच गए हैं और देश में लगभग 500 लोगों की जानें जा चुकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शुरुआत में काफी दिनों तक इस वायरस के खतरे को कम आंकते रहे। उन्होंने कई मौकों पर कहा कि अमेरिका और यहां के वासियों को उस वायरस से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन आज अमेरिका इस वायरस के सामने दम तोड़ता दिखाई दे रहा है।

अमेरिका का न्यू यॉर्क राज्य इस वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित माना जा रहा है, जहां पर अकेले 20 हज़ार से ज़्यादा केस पॉज़िटिव मिल चुके हैं। इन 20 हज़ार मामलों में से भी 12 हज़ार मामले तो केवल न्यूयॉर्क शहर में मिले हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा न्यू यॉर्क राज्य में आपातकाल घोषित कर दिया गया है, इसके साथ ही US आर्मी को जल्दी-जल्दी नए अस्पताल बनाने को कहा गया है। न्यू यॉर्क सिटी के मेयर पहले ही कह चुके हैं कि न्यू यॉर्क सिटी वुहान वायरस का नया केंद्र बन चुका है।

अमेरिका का वुहान बनता जा रहा न्यूयॉर्क शहर अब पूरी तरह बंद हो चुका है। सभी बड़ी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कह दिया गया है। जब राष्ट्रपति ट्रम्प से पूछा गया कि यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, तो ट्रम्प ने जवाब दिया “लोग जुलाई या अगस्त की बात कर रहे हैं”।

स्पष्ट है कि यह लॉकडाउन अगले तीन से चार महीने जारी रह सकता है। अमेरिका में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की वजह से भी कई मामले सामने आ रहे हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि अमेरिका में बहुत पहले ही लॉकडाउन कर देना चाहिए था, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ऐसा करने में असफल रहा।

न्यू यॉर्क राज्य के गवर्नर एंड्रयू एम कुओमू के मुताबिक “मुझे लगता है ये एक पॉइंट पर जाकर कम होना शुरू होगा, लेकिन इसका किसी को नहीं पता कि आखिर वो पॉइंट कब आएगा। जब यह अपने चरम पर होगा, क्या तब हमारा हेल्थकेयर सिस्टम क्रैश हो जाएगा?” इससे साफ ज़ाहिर है कि दुनिया का सुपरपावर कहे जाने वाले अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम में भी इतनी मजबूती नहीं है कि वह वुहान वायरस का मुक़ाबला कर सके।

इसी तरह न्यू यॉर्क शहर के मेयर बिल डे ब्लासियो ने न्यू यॉर्क शहर में खत्म होते वेंटीलेटर्स पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर 7 दिन में वेंटिलेटर प्रदान नहीं किए गए तो बड़ी संख्या में लोग मारे जाएंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा एक सप्ताह के अंदर-अंदर और ज़्यादा वेंटिलेटर नहीं मिलते हैं तो उन लोगों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगी जिनकी जान अभी बचाई जा सकती है”।

उन्होंने आगे यह भी जानकारी दी कि न्यू यॉर्क शहर में मेडिकल स्टाफ़ और मास्क की भी भयंकर कमी हो गयी है। न्यू यॉर्क शहर के मेयर के मुताबिक शहर में अमेरिका के 30 प्रतिशत और न्यू यॉर्क राज्य के लगभग 70 प्रतिशत मामले रिकॉर्ड गए हैं। इसका अर्थ है कि अमेरिका में कोरोनावायरस से ग्रसित हर 10 लोगों में से 3 लोग न्यू यॉर्क शहर के ही रहने वाले हैं।

न्यू यॉर्क शहर की आबादी 86 लाख है जो भारत के मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों से कई गुणा कम है, लेकिन अब तक भारत के किसी भी शहर में न्यू यॉर्क जैसे हालात पैदा नहीं हुए हैं। अमेरिका को कोरोना से बचाने के लिए अमेरिकी सरकार और प्रशासन पूरी तरह फेल सिद्ध हुआ है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस वायरस से अमेरिका कैसे निपटता है।

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