कोरोना से निपटने के लिए पीएम मोदी अच्छा काम कर रहे हैं क्या? WHO ने तो तारीफ़ों के पुल बांध दिये हैं

कोरोना वायरस

कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इसी के मद्देनजर WHO ने भी अपनी कोशिशों को तेज़ कर दिया है। हालांकि, दिन प्रतिदिन भारत में भी कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी हुई है लेकिन भारत ने अभी तक जिस तरह इस वायरस से लड़ने के लिए तैयारी कर रखी है उससे पूरा विश्व प्रभावित है। भारत में चल रही तैयारियों को देखने और कोरोना के प्रभाव को कम करने के लिए WHO (World Health Organisation) के प्रतिनिधि हेंक बेकेडम ने ICMR यानि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ कोरोना वायरस को लेकर बैठक की और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम और प्रतिबद्धता की जाम कर प्रशंसा की है।

हेंक बेकेडम ने कहा कि भारत में SARAS-CoV-2 को अलग करने के लिए उच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के पास रिसर्च करने की क्षमता है।

हेंक बेकेडम ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत सरकार के शीर्ष स्तर द्वारा प्रतिबद्धता और प्रधान मंत्री का कार्यालय द्वारा उठाए गए कदम बहुत प्रभावशाली रहे है। यहीं कारण है कि भारत इस वायरस से निपटने को लेकर बहुत अच्छा कर रहा है”। उन्होंने आगे कहा, “भारत में और विशेषकर आईसीएमआर और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के पास बहुत अच्छी रिसर्च करने की क्षमता है। ये संस्थान इस वायरस को आइसोलेट करने और समझने में सक्षम हैं और रिसर्च कम्युनिटी में भारत शामिल रहेगा।” उन्होंने कहा, मैं बहुत प्रभावित हूं कि सभी संक्रमित लोगों को इकट्ठा कर लिया गया है”। 

दरअसल, चीन से शुरु हुए कोरोना वायरस ने अब करीब 150 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। दुनियाभर में लाखों लोग इससे संक्रमित हो गए हैं। वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार दुनियाभर में मरने वालों का आंकड़ा 7,100 से अधिक हो गया है। देश में अब तक कुल 137 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। साथ ही इस वायरस की वजह से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत के एयरपोर्ट पर चल रही स्क्रीनिंग और विदेश से आने वाले सभी नागरिकों की चेकिंग के साथ-साथ तुरंत quarantine भी किया जा रहा है। ट्विटर पर कई लोग भारत में चल रहे इस तरह की चेकिंग की सराहना कर चुके हैं।

बता दें कि 17 जनवरी को, जब दुनिया भर में मुश्किल से 41 मामलों की पुष्टि हुई और वुहान में 1 मौत हुई, तो भारत ने चीन जाने के खिलाफ ट्रैवल एड्वाइजारी जारी करते हुए चीन से आने वाले सभी यात्रियों के लिए थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी थी। तब दुनिया को इस वायरस का बहुत कम पता था।

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इसके बाद 4 मार्च को जब भारत में मामला बढ़कर 10 तक पहुंचा तब तक एक बड़ा राष्ट्रीय कार्यबल इसकी रोक थाम में लग चुका था, और आवश्यक दवाओं पर निर्यात प्रतिबंध लगाया जा चुका था। 11 मार्च को जब भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई थी, तब भारत ने सभी पर्यटक वीजा रद्द कर चुका था।  भारत की तुलना अगर अन्य देशों से करे तो अन्य देशों ने भारत की तरह दूरगामी सोच का प्रदर्शन नहीं किया और इस वायरस के प्रकोप को नहीं समझ सके और आज हालात यह है कि यूरोप में इस वायरस ने कहर बरपया हुआ है।

भारत ने चीन से अभी तक अपने 700 से अधिक नागरिकों को निकाला। चीन से आए हुए सभी नागरिकों की जांच की गई, और किसी भी पॉज़िटिव केस को तुरंत सभी से अलग किया गया। वहीं भारत ने ईरान से भी 4 बार में 230 भारतीयों को निकाला है। यही नहीं स्क्रीनिंग के लिए भारत ने इटली में भी एक मेडिकल टीम भेजी है।

भारत की स्क्रीनिंग प्रणालियों ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है कि भारत में आने वाले लाखों लोगों के बावजूद इस पर बाकी देशों के मुक़ाबले ज्यादा अच्छे से निपटा जा रहा है। रोजाना लगभग 80,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की चेकिंग हो रही है। भारत के सबसे व्यस्त दिल्ली का IGI हवाई अड्डा पर हर घंटे 850 से 2,100 अंतर्राष्ट्रीय यात्री उड़ान भरते हैं।

इसके बावजूद भारत में स्क्रीनिंग बड़े पैमाने पर की जा रही है। यही नहीं भारत सरकार हर स्तर पर काम कर रही है, जागरुकता बढ़ा रही है। जागरूकता फैलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कमान स्वयं अपने हाथों में ले रखी है। सरकार डाक्टरों की मदद से कोरोना वायरस के संदिग्ध रोगियों के साथ डोर-टू-डोर बैठकें कर रही है और जागरूकता अभियान चला रही है। साथ ही अपने सोशल मीडिया के माध्यम से वायरस के बारे में लगातार अपडेट कर रही है।

 

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