वुहान वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है। जैसे-जैसे चीन में इस वायरस का कहर कम होता जा रहा है, वैसे वैसे दुनिया के बाकी हिस्सों में यह अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है। अब World Health Organization ने इटली को इस महामारी का नया केंद्र घोषित कर दिया है। यूरोप में कोरोना बड़ी ही तेजी से फैलता जा रहा है। इटली के अलावा जर्मनी और स्पेन में भी इस वायरस के कई मामले देखने को मिले हैं।
5,000 people have lost their lives to #COVID19 – this is a tragic milestone.
Europe has now become the epicenter of the pandemic, with more reported cases and deaths than the rest of the world combined, apart from China. https://t.co/ryTAmB9ZnI— Tedros Adhanom Ghebreyesus (@DrTedros) March 14, 2020
https://twitter.com/Peter_deGourlay/status/1238537264378109954?s=20
यूरोप के अलावा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और साउथ कोरिया में भी कोरोना के कई मामले देखने को मिले हैं लेकिन इन देशों में इस वायरस की वजह से बेहद कम मौतें देखने को मिली हैं। हालांकि, यूरोप में इसके मुक़ाबले मरने वाले लोगों की संख्या कहीं ज़्यादा है।
इटली में पिछले 24 घंटों में 250 मौतें दर्ज की गई हैं, जिससे मृतकों की कुल संख्या 1,266 हो गई। साथ ही, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 17,660 हो गई है। उधर, फ्रांस में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण 18 लोगों की मौत होने से कुल मृतक संख्या 79 पहुंच गई। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर यूरोप में इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या इतनी ज़्यादा क्यों है?
इसका जवाब है यूरोप और इटली में लोगों की औसत आयु का दुनिया के बाकी देशों से कहीं ज़्यादा होना। दरअसल, पश्चिमी और दक्षिण यूरोप के हिस्सों में रहने वाले लोगों की औसत आयु बहुत ज़्यादा है, और आंकड़ों के मुताबिक यह वायरस ज़्यादा उम्र के लोगों और पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को सबसे पहले निशाना बनाता है और ऐसे लोगों को ही जान गँवाने का सबसे बड़ा खतरा होता है।
बड़ी उम्र के लोगों में रोग निरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिस इटली में कोरोना बीमारी ने तांडव मचाया है, वहाँ लोगों की औसत आयु 46 है और वहाँ की लगभग 60 प्रतिशत आबादी की आयु 40 वर्ष से ज़्यादा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना से मरने वाले लोगों की औसत आयु 81 है।
इटली के अलावा यूरोप के अन्य देशों में भी लोगों की औसत आयु बेहद ज़्यादा है। Monaco (मोनाको) देश में औसत आयु 53.1 वर्ष है, जहां पुरुषों की औसत आयु 51.7 वर्ष है तो वहीं, महिलाओं की औसत आयु 54.5 साल है। ऐसे ही जर्मनी में भी बड़ी उम्र के लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा है। जर्मनी में औसत आयु 45.5 साल है। यह स्लोवेनिया में 44.5 वर्ष है, ग्रीस में 44.5 वर्ष और Austria (ऑस्ट्रिया) में औसत आयु 44 वर्ष है। स्पेन में यह आंकड़ा 42.7 वर्ष है। यूरोप में अधिकतर देशों का यही हाल है, जबकि इसके उलट भारत में औसत आयु सिर्फ 28 साल है।
Chinese center for Disease Control and Prevention के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से ग्रसित लोगों में बुजुर्गों में ही सबसे ज़्यादा मृत्यु दर है। 80 से ज़्यादा उम्र के प्रति 100 पीड़ित लोगों में से सबसे ज़्यादा 14.8 प्रतिशत लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। जबकि कम आयु के पीड़ित लोगों में यह मृत्यु दर बेहद कम है। 50 से कम आयु के पीड़ित लोगों में तो यह मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम है।
कई स्वास्थ्य संगठनों ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है कि 60 से ज़्यादा उम्र के लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। बुढ़ापे में लोगों को वैसे ही कई गंभीर बीमारियाँ हो जाती है, जिसके बाद वुहान वायरस से पीड़ित होने के बाद किसी भी बुजुर्ग की रोग प्रतिरोधक क्षमता और ज़्यादा कम हो जाती है और उनकी जान चली जाती है।
भारत में वुहान वायरस के कम फैलने और इससे मरने वाले लोगों की संख्या कम होने का कारण यहाँ की औसत आयु बेहद कम होना है। भारत में अभी दो ही लोगों ने इस बीमारी के कारण दम तोड़ा है। एक की आयु 76 वर्ष थी तो एक की आयु 69 वर्ष। इसके अलावा दोनों ही व्यक्ति पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे।
TIME और Alt NEWS जैसी न्यूज़ वेबसाइट्स को बेशक भारत में वुहान वायरस के कम मामले देखकर हैरानी हो रही हो, लेकिन उन्हें इन तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। भारत में औसत आयु का कम होना कोरोना से लड़ने में सरकार को आसानी प्रदान करने वाला है और इसीलिए भारत में इस वायरस से लोगों को ज़्यादा डरने की ज़रूरत भी नहीं है।