अब्दुल्ला और मुफ़्ती का युग के अंत के साथ जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रवादी राजनीति का उदय हो रहा है

अल्ताफ बुखारी

(PC: Deccan Herald)

पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अब जाकर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधि के संकेत मिलने लगे हैं। 5 अगस्त के बाद पहले बड़े राजनीतिक पहल के तहत पूर्व पीडीपी नेता और मंत्री अल्ताफ बुखारी ने रविवार को ‘Apni Party’ (अपनी पार्टी) को launch किया। ये संकेत है कि यहां के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव के।

अल्ताफ बुखारी ने घोषणा की कि नई पार्टी “आम लोगों की, आम लोगों के लिए, आम लोगों द्वारा” शुरू की गई है। अल्ताफ बुखारी ने कहा कि ‘मैं लोगों को आश्वस्त करता हूं कि अपने लोगों के हितों के लिए सभी चुनौतियों से निपटने की मेरी इच्छाशक्ति दृढ़ है। कश्मीरी पंडितों को वापस लाना और युवाओं, महिलाओं का सशक्तीकरण और सतत तथा संतुलित क्षेत्रीय आर्थिक विकास हमारी पार्टी एजेंडे में शामिल है”। इसके साथ ही बुखारी ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी अन्य दलों से अलग होगी क्योंकि वह परिवारों द्वारा शुरू नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि स्वशासन और स्वायत्त जैसे मुद्दे अपनी पार्टी के एजेंडे में नहीं है। हमारा एकमात्र उद्देश्य विकास और सच्चाई की राजनीति को आगे बढ़ना है। बुखारी ने कहा कि अपनी पार्टी वंशवादी पार्टियों जैसे व्यवहार नहीं करेगी और इसके अध्यक्ष रोटेशनल आधार पर चुने जाएंगे।

बता दें कि पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का दामन छोड़ चुके नेता उस्मान मजीद, दिलावर मीर, जावीद बेग, शोयब लोन, अज़ाज़ खान, रफ़ी मीर, विक्रम मल्होत्रा, पूर्व मुख्य सचिव विजय बाकया और गुलाम हसन मीर इस पार्टी में शामिल होंगे। इससे पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा समर्थित हुर्रियत के जहरीले एजेंडे को पीछे छोड़ आगे बढ़ चुकी है। स्वशासन और स्वायत्तता जैसे मुद्दों का अर्थ अक्सर जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देता था।

अब तक, जम्मू और कश्मीर की राजनीति अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार चला रहा था। परंतु अब ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर में राजवंशों का युग समाप्त होने जा रहा है, ठीक वैसे ही जैसे भारत के अन्य हिस्सों में समाप्त हो गया है। इससे स्पष्ट है कि केंद्र प्राशासित राज्य में अलगाववाद के लिए अब कोई जगह नहीं है। अल्ताफ बुखारी ने कहा, “मैंने अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद राजनीतिक माहौल की अनुपस्थिति की वजह से लोगों की समस्याओं को देखते हुए नई पार्टी के गठन का फैसला किया

अनुच्छेद 370 पर पार्टी के पक्ष के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “अगर मैं अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को स्वीकार नहीं करूंगा तो क्या यह निर्णय बदल जाएगा। हमें निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए। अल्ताफ बुखारी ने दिल्ली को लेकर कहा, हम इस नजर से नहीं देखते कि दिल्ली में कौन राज कर रहा है। हम उसे भारत सरकार की नजर से देखते हैं। हमें उनके साथ चलना है। हम श्रीनगर और नई दिल्ली के बीच अविश्वास को समाप्त करना चाहते हैं।”

बुखारी ने स्टेट हुड के मुद्दे भी उठाया और कहा कि कश्मीर के लोग स्टेट हुड चाहते हैं यही जम्मू के लोग भी चाहते हैं। अगर इन मुश्किलों को हम नहीं उभारेंगे तो कौन उभारेगा।

इस प्रकार से इस नई पार्टी के शुभारंभ से दो बड़ी चीज़े हुई हैं। पहली, अब्दुल्ला और मुफ्ती का युग का अंत। और दूसरी, जम्मू-कश्मीर में स्वेच्छा से या अनिच्छा से राजनीतिक तत्वों ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले को स्वीकार कर लिया है। यहां के नेता समझ गये हैं कि मोदी सरकार किसी भी अलगाववादी तत्व को पनपने नहीं देगी। है। यदि स्थानीय दलों को प्रासंगिक बने रहना है, तो उन्हें राज्य के विकास और वैध मुद्दों पर ही काम करना होगा।

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