देश में यदि किसी क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा भड़कती है, तो उस क्षेत्र का प्रशासन कुछ समय के लिए सख्त हो जाता है और फिर स्थिति ठंडी पड़ जाने पर उपद्रवियों को छोड़ भी देते हैं। परंतु यूपी का प्रशासन ऐसा कुछ भी करने के मूड में तो बिल्कुल नहीं है। हाल ही में योगी सरकार ने सीएए विरोधी दंगाइयों पर नकेल कसने हेतु एक नायाब युक्ति निकाली है। जिन जिन लोगों ने सीएए विरोध के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, उन सभी के नाम और उनकी पहचान के साथ उनकी फोटो के पोस्टर्स लखनऊ के चौराहों पर लगाए गए हैं।
In Lucknow, @UPGovt puts names of vandals who took part in anti CAA protests, defaced and damaged govt & public property in the course. pic.twitter.com/6o4TO2JFkd
— Rohan Dua (@rohanduaT02) March 6, 2020
इस आदेश के अनुसार, “प्रशासन ने दंगाइयों को संपत्ति के नुकसान की वसूली का नोटिस भी दिया है। लखनऊ में हिंसा फैलाने वाले सभी उपद्रवियों के पोस्टर और बैनर लगाए जाएँगे। नोटिस के बाद भी जुर्माना नहीं देने पर इनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी”। इन चिन्हित दंगाइयों से कुल 1 करोड़ 55 लाख 62 हज़ार 337 रुपये की वसूली होनी है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता डॉ॰ चंद्र मोहन ने ट्वीट किया, “योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश में जब हिंसा हुई थी तो स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हम स्वीकार नहीं करेंगे। अब 57 लोग जिनसे 19 और 20 दिसंबर की हिंसा के दौरान हुए नुकसान की करनी है भरपाई के चेहरे से नकाब उतार दिया गया है”।
@myogiadityanath जी ने प्रदेश में जब हिंसा हुई थी तो स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हम स्वीकार नहीं करेंगे। अब 57 लोग जिनसे 19 और 20 दिसंबर की हिंसा के दौरान हुए नुकसान की करनी है भरपाई के चेहरे से नकाब उतार दिया । pic.twitter.com/XTcka3C5Ts
— Dr. Chandra Mohan (Modi ka Parivar) (@cmbjpup) March 5, 2020
बता दें कि सीएए के पारित होते ही देश के कई हिस्सों में विरोध के नाम पर उपद्रव करने की कोशिश की गयी, और उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं था। परंतु योगी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों में से बिल्कुल नहीं थी। संभल में दंगों की पहली रिपोर्ट आते ही योगी सरकार ने यूपी पुलिस को खुली छूट दे दी, जिससे कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में 15 दिन भी नहीं लगे। न केवल उपद्रवियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया गया, अपितु सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान होने पर इन्हीं उपद्रवियों से पूरा हरजाना वसूलने का निर्देश दिया गया।
जब विपक्ष ने इस बात पर हो हल्ला मचाया, तो योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया था, कि वे और यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह किसी भी निर्दोष को हाथ नहीं लगाएँगे, लेकिन जिन्होंने हिंसा की है, उन्हें किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया है, उसकी भरपाई उपद्रवियों की संपत्ति से ही की जाएगी।
उपद्रवियों को भड़काने वाले राजनेताओं के विरुद्ध भी योगी सरकार ने कोई नरमी नहीं दिखाई है। अभी कुछ ही हफ्ते पहले कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी को भी प्रशासन ने 1.04 करोड़ रुपए का नोटिस जारी किया था। इमरान प्रतापगढ़ी ने 29 जनवरी से मुरादाबाद में सीएए के विरोध में चल रहे विरोध प्रदर्शन को सात फरवरी को संबोधित किया था। इसके बाद धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद जिला प्रशासन ने एक करोड़ चार लाख आठ हजार रुपये के जुर्माने का नोटिस भेजा गया था। प्रशासन की ओर से भेजे गए नोटिस में इस विरोध प्रदर्शन को सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बताया गया है। संदेश स्पष्ट है – ये उत्तर प्रदेश है, सबका हिसाब लिया जाएगा।
योगी सरकार के इन कदमों का कितना व्यापक असर पड़ा है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगाई उत्पात मचा रहे थे, तो उत्तर प्रदेश में उपद्रवी शांत बैठे हुए थे। योगी सरकार के सख्ती का असर गत दिनों बुलंदशहर में देखने को मिला था, जब वहां कुछ लोगों को इस बात का अहसास हुआ कि धरना−प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गलत है। कुछ सभासदों ने प्रशासन से नोटिस न भेजने का आग्रह करते हुए स्वयं ही सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा था। इसके बाद सभासदों और समाज के अन्य लोगों ने नुकसान की भरपाई का डिमांड ड्राफ्ट सौंप दिया था।
विपक्ष के हो हल्ला करने पर योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी प्रकार से दंगाइयों पर कोई नरमी नहीं दिखाने वाले। विधानसभा में दिये उनके बयान के अनुसार, “आखिर देश की छवि आप लोग क्यों खराब करना चाहते हैं? देश में आगजनी और तोड़फोड़ करके निर्दोष लोगों को निशाना बनाकर ये लोग क्या दिखाना चाहते हैं? ऐसे लोग एक बात साफ-साफ नोट कर लें कि वह गलतफहमी में बिल्कुल न रहें क्योंकि कयामत का दिन कभी नहीं आएगा। कोई गलतफहमी का शिकार होगा तो उसका समाधान हम अच्छे से करना जानते हैं।”
अभी लखनऊ में दंगाइयों को जिस तरह से जनता के समक्ष उजागर किया गया है, वे योगी सरकार की कार्रवाई का ही परिणामस्वरूप है। जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने सीएए विरोध के नाम पर उपद्रवियों को अपनी मनमानी करने से रोका है, उसके लिए उनकी सरकार और उनकी पुलिस निस्संदेह प्रशंसा की पात्र है।