लिबरलों को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफे से खबर पचाने में कुछ ही समय लगा था की उन्हें एक और जोरदार झटका लगा। हाल ही में मिलिंद सोमन ने अपनी पुस्तक ‘मेड इन इंडिया’ से संबन्धित बातचीत के दौरान बताया कि कैसे उनके व्यायाम के प्रणाली को दुरुस्त करने में उनका आरएसएस की शाखा में जाना भी काफी काम आया। परंतु उनके आरएसएस समर्थन से लिबरलों को ऐसा झटका लगा, मानो मिलिंद सोमन ने बीफ बैन का नारा लगा दिया हो।
मिलिंद सोमन के अनुसार, “आज जब मैं आरएसएस शाखा से संबन्धित सांप्रदायिक प्रोपगैंडा के बारे में मीडिया में पढ़ता हूं, तो मैं काफी हैरान हो जाता हूं। शाखा के बारे में मेरी स्मृतियां काफी भिन्न है। हम अपने खाकी शॉर्ट्स में मार्च करते थे, योग अभ्यास करते थे, पारंपरिक व्यायामशाला में व्यायाम करते थे और कुछ संस्कृत श्लोकों का उच्चारण करते थे। हमें उसका अर्थ भले न समझ में आए, परंतु हमें काफी मज़ा आता था, और हम अपने मित्रों के साथ काफी मज़े करते थे”।
मिलिंद आगे बताते हैं, “मेरे पिता भी आरएसएस का हिस्सा रहे हैं। उन्हें हिंदू होने पर गर्व था। हालांकि मुझे ये समझ नहीं आया कि इसमें गर्व जैसा क्या था लेकिन मैंने ये भी नहीं देखा कि इसमें शिकायत करने जैसा क्या था।”
बता दें कि मिलिंद सोमन एक सुपरमॉडेल रह चुके हैं, जिन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरिज़ में भी काम किया है, जैसे ‘सी हॉक्स’, ‘कैप्टन व्योम’, ’16 दिसंबर’, ‘बाजीराव मस्तानी’ इत्यादि। ये विश्व प्रसिद्ध ‘आइरन मैन’ ट्रायथ्लन को पूरा करने वाले चुनिन्दा भारतीयों में से एक रह चुके हैं और इन्हें इनके फिटनेस प्रेम के लिए काफी जाना जाता है।
इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि कैसे आरएसएस की शाखा में हिस्सा लेने के कारण उनके जीवन में काफी अनुशासन आया है। एक वीडियो इंटरव्यू के अनुसार मिलिंद कहते हैं, “आरएसएस की शाखा के बारे में ऐसा कुछ भी सांप्रदायिक या वैमनस्य से परिपूर्ण कोई बात नहीं थी, जैसा बताया जाता है। यहां कुछ भी नकारात्मक नहीं होता था, और मेरे लिए ये बहुत ही सकारात्मक अनुभव रहा है। यहां मैंने अनुशासन के बारे में काफी कुछ सीखा है, और इसका मेरे जीवन पर भी काफी अहम प्रभाव पड़ा है”।
परंतु इस बात से वामपंथी ब्रिगेड को ज़बरदस्त मिर्ची लगी है। वे तुरंत मिलिंद सोमन को घेरने लगे और उन्हें ‘कैन्सल’ करने का फतवा जारी कर दिया। हैशटैग गिरोह के कई सदस्यों ने मिलिंद सोमन के नफरती ट्वीट्स पोस्ट करने शुरू कर दिए। डेली ओ, बज़फीड इंडिया के लिए काम कर चुकी पत्रकार सिंधिया क्रौफोर्ड ट्वीट करती हैं, ‘मिलिंद, अब तुम हॉट नहीं रहे!’
https://twitter.com/BucketheadCase/status/1237388425524703233
आंटी जी की जलन साफ दिखाई दे रही है। परंतु मोहतरमा अकेली नहीं थी। अपर्णा नामक यूज़र ट्वीट करती हैं, “मिलिंद सोमन अब कैन्सल”।
https://twitter.com/dharmicverangna/status/1237448682297057280
एक और यूज़र नंदिनी डिसूज़ा ने बड़े ही आपत्तिजनक ट्वीट करते हुए मिलिंद सोमन को उनके ‘संघी बैकग्राउन्ड’ के लिए अपमानित करने का प्रयास किया, और शायद ऐसे ही लोगों के लिए एक यूजर ने बड़ा तगड़ा तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “बटाटे वड़े जैसी शक्ल के व्यक्ति अब हॉटनेस का सर्टिफिकेट बांटेंगे। घोर कलयुग।”
https://twitter.com/dharmicverangna/status/1237448682297057280
अब मिलिंद सोमन भी इन लोगों की खिंचाई करने से अपने आप को रोक नहीं पाए, और उन्होंने ट्वीट किया, “जो अनुभव 10 वर्ष की उम्र में मिला, उसके लिए 54 वर्ष की उम्र में ट्रेंड कर रहा हूं। काश इन लोगों ने तैरना भी सीख लिया होता, जो उसी उम्र में मैंने वहां [शाखा में] सीखा था”।
हालांकि मिलिंद सोमन अकेले ऐसे सेलेब्रिटी नहीं है जिन्होंने अपने आरएसएस से संबंध के बारे में लोगों को बेझिझक बताया हो। बॉलीवुड में नकारात्मक किरदारों के लिए कल्ट स्टेटस हासिल कर चुके अमरीश पुरी ने पांचजन्य से साक्षात्कार में बताया था,
“15-16 वर्ष का था तब संघ शाखा में जाना शुरू किया था। एक घंटे की शाखा के उपरांत स्वयंसेवकों के परिवारों से सम्पर्क… शाखा के कार्य में इतना रम गया था कि मुझे शाखा के मुख्य शिक्षक की जिम्मेदारी दी गई। मैं मानता हूं कि उस समय शाखा में जो संस्कार मुझे मिले उन्होंने मेरे व्यक्तित्व और चरित्र को गढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज फिल्म उद्योग में मैं हूं, जहां चारित्रिक पतन सबसे ज्यादा होता है। मेरा चरित्र विशुद्ध है तो वह संघ संस्कारों के कारण ही। फिल्मों से बहुत जुड़ने के कारण मैं संघ की गतिविधियों मे बहुत सक्रिय नहीं हूं परंतु संघ संस्कार जीवन से कभी नहीं जाएंगे’’।
सच कहें तो अब धीरे-धीरे ही सही, परंतु राष्ट्रवादी विचारधारा और उसके संदेश वाहकों के प्रति जन धारणा बदल रही है। अब वे अस्पृश्य नहीं रहे, बल्कि कई लोग उन्हें खुलेआम स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में यदि मिलिंद सोमन के बयानों के लिए कुछ ‘वोक’ और ‘एजूकेटेड लिब्रल्स’ उन्हें बॉयकॉट करें, तो उससे उन वामपंथियों का ही नुकसान है, क्योंकि देश के बाकी लोग सुविधानुसार समर्थन नहीं करते भैया।