‘छोटे अफ्रीकी देश चीन को खुल्लम-खुल्ला उसकी औकात बता रहे हैं’, वहीं US-यूरोप पूरी तरह कनफ्यूज

चीनियों को भगाना, बंधक बनाना, कोई अफ्रीका से सीखे कैसे गुंडई उतारी जाती है

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गुंडागर्दी करने वाले और झूठ बोलने वाले चीन से आखिर कैसे निपटा जाना चाहिए, यह अफ्रीकी देशों ने बखूबी बताया है। एक तरफ जहां इतनी बड़ी तबाही झेलने के बाद भी अमेरिका और यूरोप चीन को लेकर confused ही दिखाई देते हैं, तो वहीं दूसरी ओर चीन से कई गुना छोटे अफ्रीकी देश खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। आज तक चीन ने अफ्रीका के साथ दोस्ती के नाम पर सिर्फ उनका शोषण किया है, लेकिन अब कोरोना के बाद अफ्रीका ने चीन को सबक सिखाने का मूड बना लिया है।

अफ्रीका में पहले BRI और फिर कोरोना के कारण पहले ही चीन विरोधी मानसिकता पनप रही थी, वहीं चीन में लगातार हो रहे अफ्रीकी लोगों पर हमलों ने इस मानसिकता को और ज़्यादा बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप अफ्रीका ने अब चीन को आड़े हाथों लेने की ठान ली है, वहीं यूरोप और अमेरिका अभी भी सिर्फ मौखिक रूप से बयान देने के अलावा कुछ करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहे हैं।

गौर किया जाए तो पिछले कुछ समय से अफ्रीकी देश लगातार चीन को झटके पे झटका दिये जा रहे हैं। हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी देश तंजानिया के राष्ट्रपति ने पिछली सरकारों के समय चीन के साथ final किए गए 10 बिलियन डॉलर्स के एक प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। साथ ही तंजानिया के राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शर्तें इतनी बकवास थीं कि कोई पागल व्यक्ति ही इन शर्तों को मान सकता था।

दरअसल, तंजानिया में पिछली सरकार ने चीनी निवेशकों के साथ मिलकर एक पोर्ट बनाने के प्रोजेक्ट पर काम करने की इच्छा जताई थी, लेकिन शर्तों में यह लिखा हुआ था कि यह पोर्ट 99 वर्षों के लिए चीनी कंपनी ही इस्तेमाल करेगी और तंजानिया का इस पर कोई अधिकार नहीं होगा। अब इसे तंजानिया की सरकार ने रद्द कर दिया है।

कोरोना काल में सिर्फ तंजानिया ही नहीं है जिसने चीन को बड़ा झटका दिया हो, बल्कि एक पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी भी अपने यहाँ चीन के नागरिकों को बंदी बनाकर चीन को शॉक दे चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गिनी की सरकार चीन में अफ्रीका के नागरिकों के साथ हो रहे बुरे व्यवहार से परेशान आ चुकी थी, और इसीलिए उसने अपने नागरिकों की सकुशल घर वापसी तक इन चीनी नागरिकों को बंदी बनाने का फैसला लिया।

इससे पहले हमें केन्या में भी यह देखने को मिल चुका है। हाल ही में चीन के अत्याचारों के जवाब में केन्या के एक सांसद ने केन्या में मौजूद सभी चीनी नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने के लिए कह दिया था। चीन में अफ्रीका के लोगों की पिटाई की videos पर प्रतिक्रिया देते हुए केन्या के सांसद मोसेस कुरिया ने कहा था-

सभी चीनी नागरिकों को हमारे देश से चले जाना चाहिए, वो भी तुरंत! जो वायरस तुमने वुहान की लैब में बनाया, उसके लिए तुम अफ्रीका के लोगों को दोष कैसे दे सकते हो? जाओ अभी निकलो

तब और भी कई सांसदों ने केन्या के इस सांसद का समर्थन किया था। केन्याई सांसद चार्ल्स जगुआ ने मोसेस का समर्थन करते हुए फेसबुक पर लिखा था–

अफ्रीकन लोगों के साथ चीन में जो हो रहा है, मैं उसकी निंदा करता हूं। मैं केन्या के लोगों से यह कहने से पीछे नहीं हटूंगा कि बाइबल का अनुसरण करते हुए उन्हें आंख दिखाने वालों को पलटकर आंख दिखाने से पीछे नहीं हटना चाहिए

जब चीन को आँख दिखाने की बात आती है तो अफ्रीका हमें आज सबसे आगे दिखाई देता है। दूसरी ओर चीन से कई गुना ज्यादा ताकतवर अमेरिका और यूरोप के देश चीन के खिलाफ इतनी सख्त भाषा बोलने से बचते ही नज़र आ रहे हैं। ट्रम्प कभी चीन के पक्ष में ट्वीट कर बैठते हैं तो कभी वे चीन को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देना लगते हैं। उदाहरण के तौर पर जब ट्रम्प ने शुरू में कोरोना वायरस को चीनी वायरस शब्द से संबोधित किया था तो दुनियाभर में चीन विरोधी लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला था। हालांकि, उसके एक दिन बाद ही ही ट्रम्प का ये ट्वीट देखने को मिला था

“मेरी अभी शी जिनपिंग से बात हुई, कोरोना ने हमारे ग्रह के बड़े हिस्से पर तबाही मचा रखी है। चीन ने इस वायरस के बारे में गहन और अधिकतर समझ विकसित कर ली है। हम साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आपके लिए बेहद सम्मान”।

अपने इस ट्वीट के बाद ट्रम्प दोबारा अब चीन को आए दिन झूठा सिद्ध करने पर तुले हुए हैं। यह दर्शाता है कि ट्रम्प अन्य पश्चिमी देशों की तरह ही बेहद confused हैं। फ्रांस और जर्मनी जैसे ताकतवर यूरोपीय देश अब भी बिना नाम लिए ही चीन पर निशाना साधने में लगे हैं, जबकि कोरोना ने इन देशों में इतनी बड़ी तबाही मचा दी है। अफ्रीका ने इस मामले में दुनिया को राह दिखाया है कि अब चीन से किस भाषा में बोलने का वक्त आ गया है।

ये सभी देश चीन से आर्थिक पैमानों पर कई गुना छोटे हैं और कई देशों पर तो चीन का बहुत भारी कर्ज़ भी है, फिर भी जिस प्रकार अफ्रीकी देश चीन को खुल्लम-खुल्ला उसकी जगह दिखाने का काम कर रहे हैं, उससे पश्चिमी देशों को कुछ सीख अवश्य लेनी चाहिए।

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