तबलीगीओं का आतंक आज भी जारी है और कई जमाती देश के छुपकर रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से ऐसी ही एक खबर आई है जहां इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर इन जामतियों को छिपाकर बैठे थे। सोमवार को प्रयागराज में जमातियों के छिपे होने की खबर मिलने पर पुलिस ने देर रात छापेमारी की और 30 लोगों को गिरफ्तार किया।
Covid-19: 16 foreigners among 30 and AU professor held in Prayagraj https://t.co/w7eYXUqC8p
— TOI Cities (@TOICitiesNews) April 21, 2020
गिरफ्तार लोगों में क्वारंटीन किए गए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व 16 विदेशी जमातियों समेत कुल 30 लोग शामिल हैं। विदेशियों की गिरफ्तारी फॉरेनर्स एक्ट के तहत की गई, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर के खिलाफ जमातियों को गुप्त रूप से शहर में शरण दिलाने के आरोप में और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन द्वारा कई बार कहे जाने के बावजूद अब भी राज्य के कई हिस्सों में जमाती छिपे हुए हैं और इसकी सूचना नहीं दे रहे हैं।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज के तब्लीगी जमात में विदेशी नागरिकों के साथ ही प्रोफेसर मो. शाहिद सहित अन्य कई शख्स शामिल हुए थे। शाहगंज के काटजू रोड के पास स्थित अब्दुल्लाह मस्जिद मुसाफिरखाने में 31 मार्च को इंडोनेशिया के सात नागरिकों समेत नौ लोग पकड़े गए थे। यह सभी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के जलसे में शामिल हुए थे।
इसी तरह करेली के हेरा मस्जिद में थाईलैंड के 9 नागरिकों समेत कुल 11 जमाती मिले थे। शाहगंज व करेली थाने में मुकदमा दर्ज कर इन सभी को क्वारंटीन कर दिया गया था। कुछ दिनों बाद पुलिस को सूचना मिली थी कि शिवकुटी थाना के रसूलाबाद इलाके में रहने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर भी दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात के जलसे में शामिल होकर लौटे और चुपचाप शहर में रह रहे थे।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार जमातियों के कोरोना संक्रमित होने के बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की तो उनके बारे में पता चला। साथ ही जांच में यह भी तथ्य सामने आया कि सभी टूरिस्ट वीजा के जरिए भारत आकर धर्म का प्रचार कर रहे थे। उनके वीजा में प्रयागराज आने पर रोक थी, इसके बावजूद वह यहां आकर छिपे थे, जोकि कानूनन गलत था।
इस पर उनके विरुद्ध करेली व शाहगंज थाने में FIR दर्ज हुई थी। इंडोनेशियाई जमातियों के लिए रहने व खाने का इंतजाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मो. शाहिद ने किया था। ऐसे में उनका नाम शाहगंज थाने में दर्ज मुकदमे में प्रकाश में आया था।
पुलिस ने बताया कि सोमवार रात में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर समेत सभी 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रोफेसर व 16 विदेशियों समेत कुल 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी को मंगलवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। जिसके बाद इन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रोफेसर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और महामारी रोग अधिनियम की 1897 के अंतर्गत धारा 269 (लापरवाही बरतने और जीवन के लिए खतरनाक किसी भी बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका), धारा 270 (रोग के संक्रमण के फैलने की आशंका के साथ घातक कार्य) और 271 (संगरोध नियम की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, प्रोफेसर शहर के रसूलाबाद इलाके का निवासी है और कुछ महीने पहले इथियोपिया भी गया था। जब वह नई दिल्ली लौटा तो 6 से 10 मार्च तक निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात में भाग लिया।
वह 11 मार्च को वापस इलाहाबाद आया और 12-16 मार्च को वार्षिक परीक्षाओं के दौरान उसे निरीक्षक की ड्यूटी सौंपी गई। वह एक परीक्षा हॉल में ड्यूटी पर था, जहां लगभग 150 छात्र पांच दिनों के लिए परीक्षा दे रहे थे।
जानकारी मिलने पर, एसपी (शहर) बृजेश कुमार श्रीवास्तव और उनकी टीम प्रोफेसर के घर पहुंची और यात्रा इतिहास की पुष्टि करने के बाद, परिवार को करेली के एक गेस्ट हाउस ले जाया गया, जहां एक मेडिकल टीम ने उनके गले और नाक के स्वैब के नमूने एकत्र किए।
एसएसपी (प्रयागराज) सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज साई ने कहा कि हम उन छात्रों और संकाय सदस्यों की पहचान कर रहे हैं जो प्रोफेसर के संपर्क में आए थे। हम प्रोफेसर के परिवार के अन्य सदस्यों और दिल्ली से लौटने के बाद उसने जिन लोगों से मुलाकात की है इनसे भी संपर्क करेंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रोफेसर लंबे समय से तबलीगी जमात से जुड़ा रहा है। ऐसा लगता है कि पढ़े-लिखे जमाती अपने जमात को बचाने के लिए समाज को भी खतरे में डालने के लिए ज्यादा उतावले हैं। ऐसी मानसिकता वाले लोगों के कारण ही आज कोरोना के मामले 17000 को पार कर चुके हैं। देश के कुल मामलों का लगभग 30 प्रतिशत मामला इन जामतियों के वजह से ही हुआ है। इन सभी पर सख्त से सख्त कार्रवाई करते हुए तुरंत सलाखों के पीछे फेंक देना चाहिए.