यदि शेर दो कदम पीछे खींच ले, तो उसका अर्थ ये कतई नहीं है कि वह हार मान चुका है। ऐसा ही कुछ अभी दिल्ली में भी हुआ। वुहान वायरस से मोर्चा संभालने में व्यस्त दिल्ली पुलिस से उन लोगों ने राहत की सांस ली होगी, जिन्होंने कुछ ही महीनों पहले दिल्ली में हिंसा भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हालांकि, वे भूल गए थे कि दिल्ली पुलिस वास्तव में किसके हाथों में है।
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को दिल्ली में दंगे भड़काने वालों के विरुद्ध युद्ध स्तर पर कार्रवाई के निर्देश दिए। वुहान वायरस से मोर्चा संभालने के कारण ये लड़ाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई, जिससे अमित शाह काफी असंतुष्ट नजर आए।
एक सूत्र के मुताबिक, “दो हफ्ते पहले ही हालात बदल गए थे। उस दौरान गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारिरयों द्वारा बैठक बुलाई गई थी, जिसमें दिल्ली पुलिस की ओर से की जाने वाली लॉकडाउन को लेकर तैयारियों पर चर्चा हुई थी। मीटिंग में उन लोगों से दिल्ली दंगों की जांच के सिलसिले में भी पूछा गया था।” इसके बाद दिल्ली पुलिस ने काफी तगड़ी कार्रवाई करते हुए एक दिन में ही 800 से ज़्यादा उपद्रवियों को हिरासत में लिया है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार जब दिल्ली पुलिस के वर्तमान प्रमुख एसएन श्रीवास्तव ने उन्हें हालातों से अवगत कराया, तो अमित शाह ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि स्थिति कैसी भी हो, कार्रवाई नहीं रुकनी चाहिए। मंत्रालय का यह जवाब तब आया जब क्राइम ब्रांच की कुछ टीम घर से ही काम करना शुरू कर चुकी थी, जिसके कारण कई जगह गिरफ्तारियां कम हो गई थीं।
बता दें कि CAA के विरोध के नाम पर शाहीन बाग की तरह जाफराबाद में डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित भारत दौरे से पहले घेराव किया जाने लगा। जब स्थानीय लोगों सहित भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इसका विरोध किया, तो पत्थरबाज़ी के साथ साथ पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काए जाने लगे। करीब 50 से ज़्यादा लोग मारे गए और 250 से अधिक इस हिंसा के कारण घायल हुए। इसी हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के कर्मचारी, हवलदार रतन लाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) में सुरक्षा सहायक अंकित शर्मा की निर्मम हत्या की खबरें भी सामने आई, जिसके कारण पूरे देश में आक्रोश छा गया।
इसी कारण अमित शाह को मामला अपने हाथों में लेना पड़ा था। तत्कालीन प्रमुख अमूल्य पटनायक के स्थान पर एसएन श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस का प्रमुख बनाया गया और एनएसए अजीत डोभाल को दंगे के जांच पड़ताल की कमान सौंपी गईं।
इससे पहले अमित शाह ने ऐसे प्रदर्शनों के पीछे के एजेंडे से सतर्क रहने की सलाह भी दी थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि शाहीन बाग मॉडल के तहत महिलाओं को पहले प्रदर्शन करने के लिए आगे किया जाता है। ऐसा ही हमें शाहीन बाग में देखने को मिला था, जहां महिलाएं अपने बच्चों के साथ आकर बीच सड़क पर बैठ गयी थीं और मीडिया उन्हें लाइमलाइट देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी। शाहीन बाग की तर्ज पर पहले ही कई बड़े शहरों में कई स्थानीय शाहीन बागों ने जन्म ले लिया था।
देश में हुए CAA विरोध में पाकिस्तानी कनेक्शन पहले ही सामने आ चुका है। देशव्यापी स्तर पर ऐसा प्रदर्शनों का होना कोई मामूली बात नहीं थी, बल्कि यह दिखाता है कि देश भर में दंगा फैलाने वाले लोगों ने सुनियोजित ढंग से प्लान को अंजाम दिया । पुलिस और देश की जांच एजेंसियां प्रदर्शन के नाम पर दंगों की इस साजिश का भंडाफोड़ करने में जुटी रहीं, नहीं तो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए यह बड़ा खतरा साबित हो सकता था।
हालांकि, अमित शाह लगातार दिल्ली दंगों की जांच पर नजर बनाये हुये थे, अब ऐसा लगता है कि कोरोनावायरस के प्रकोप और 21 दिनों के लॉकडाउन के बावजूद, दिल्ली पुलिस एक्शन में रही।
इस कड़ी में गृह मंत्रालय का दिल्ली पुलिस को कार्रवाई में ढिलाई ना होने देने का निर्देश देना स्पष्ट करता है कि कैसे केंद्र सरकार भी इस खतरे को लेकर पूरे तौर पर सजग है। इससे भविष्य में हिंसा फैलाने वालों और षड्यंत्रकारियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई के भी संकेत मिलते हैं।