पिछले कुछ सप्ताह से पश्चिम देशों की मीडिया अमेरिकी फार्मा कंपनी Gilead साइंस की एक दवा Remdesivir के पक्ष में कई रिपोर्ट प्रकाशित किए गए थे। मीडिया में यह ट्रेंड चला दिया गया था कि एक शोध में यह पाया गया है कि Gilead की दवा कोरोना के दो तिहाई मरीजों को ठीक कर देती है। अब यही दवा शुरुआती ट्रायल में पूरी तरह से फेल हो गयी है। WHO द्वारा गलती से प्रकाशित दस्तावेज़ से इस दवा के खराब परिणाम की सामने आए हैं। परंतु Gilead का अब बहाने बनाने पर तुली हुई है।
दरअसल, कुछ दिनों पहले भारत के HCQ दवा के विरोध में ताबड़तोड़ लेख लिखने वाली ग्लोबल मीडिया जैसे ब्लूमबर्ग, न्यू यॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी कंपनी Gilead की दवा के बारे में खूब प्रचार प्रसार किया था और इस तरह से हैडलाइन दी जैसे यही दवा कोरोना के लिए चमत्कार हो। उस दौरान न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित करवाया गया था कि Gilead साइंस की इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इसके तहत ऐसे 53 मरीजों को चुना गया जो कोरोना वायरस के चलते गंभीर रूप से बीमार थे। इस दवा को देते ही आधे मरीज को वेंटिलेटर से हटा लिया गया, जबकि 47 फीसदी मरीज को बाद में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
परंतु, अब फाइनेंसियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार WHO ने इस दवा ट्रायल से जुड़ा एक दस्तावेज़ गलती से प्रकाशित कर दिया था। उस दस्तावेज़ के अनुसार यह बात सामने आई है कि कैलिफोर्निया स्थित Gilead साइंसेज की दवा Remdesivir चीनी ट्रायल के दौरान कोरोना के मरीजों की स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं किया या रक्त प्रवाह में इस बीमारी के वायरस को कम नहीं कर सका। शोधकर्ताओं ने 237 रोगियों का अध्ययन किया, जिसमें 158 को यह दवा दी गई और शेष 79 के साथ उनकी प्रगति की तुलना की गई। इस दवा ने कुछ में महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव भी दिखाए।
WHO ने इस शोध के बारे में यह कहा कि यह अभी पियर रिवियू के लिए भेजा जाना है लेकिन यह गलती से प्रकाशित हो गया।
अब Gilead यह कहते फिर रही है कि यह रिपोर्ट “inappropriate characterizations” पर आधारित है और इस अध्ययन का निष्कर्ष अभी “अनिर्णायक” है।
हालांकि, एक बाहरी शोधकर्ता का भी यही मानना है कि रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट होती है कि Remdesivir दवा के फ़ायदे कम ही रहने वाले हैं।
इस दवा का लाभ सकारात्मक होगा या नकारात्मक होगा, लेकिन शोध के abstract में स्पष्ट रूप से अंतर दर्शाया गया और यह अंतर महत्वपूर्ण नहीं है, जिसका अर्थ यह है कि यह अध्ययन विफल रहा।
Gilead की प्रवक्ता फ्लड ने कहा कि कंपनी को अफसोस है कि “डब्ल्यूएचओ ने समय से पहले अध्ययन के बारे में जानकारी पोस्ट की, जिसे बाद में हटा दिया गया।” उन्होंने जोर दे कर कहा कि,”अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने “परिणामों के प्रकाशन की अनुमति नहीं दी।”
अब Gilead कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो गयी है कि यह दवा कोरोना को ठीक करने के टेस्ट में पास नहीं हो सकी और अब कवरअप करने की कोशिश कर रहा है। यह जानना आवश्यक है कि अमेरिका की यह बड़ी फार्मा कंपनी Gilead मीडिया हाउस से अपना खूब प्रचार प्रसार करवा रही थी जिससे लोग HCQ के स्थान पर इसे स्वीकार करे लेकिन अब इस दवा की पोल खुल गयी है कि यह दवा सक्षम नहीं है।