वैश्विक Virus घोषित होने के बाद चीन बौखला गया है- South और East China Sea में गुंडई दिखा रहा

जैसे-जैसे समुंदर में अपनी पकड़ खो रहा है, वैसे-वैसे पगलाता जा रहा है

चीन, साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी, जिनपिंग, चीनी,

कुछ लोगों या कुछ समुदायों के हाव भाव को देखकर एक कहावत याद आती है, “चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए”। यही बात चीन पर शत प्रतिशत लागू होती है। वुहान वायरस के समय भी चीन अपनी गुंडई से बाज़ नहीं आ रहा है और वे साउथ चाइना सी (South China Sea) और ईस्ट चाइना सागर में अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहा है।

 

अभी हाल ही में नौसेना अभ्यास के नाम पर चीन के दो मिसाईल फ्रिगेट ताइवान की पूर्व दिशा में शक्ति प्रदर्शन करते दिखाई दिए थे। हाल ही में ताइवान ने यह शिकायत की थी कि चीन ने ताइवान के कुछ मछलीपालकों का न सिर्फ अपमान किया बल्कि उनकी vessels को भी निशाना बनाया। इसी प्रकार चीनी नेवी पिछले कुछ समय से मलेशिया के इलाके में भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। चीन की गुंडागर्दी की हद तो तब हो गयी जब कुछ दिनों पहले चीन ने फिलीपींस के अधिकार क्षेत्र में आने वाले हिस्से को अपने हैनान प्रांत का जिला घोषित कर दिया।

परन्तु ताइवान अकेला नहीं है जिसे बीजिंग की औपनिवेशिक मानसिकता का शिकार होना पड़ा हो। मलेशिया, वियतनाम, यहां तक कि जापान के साथ भी चीन आजकल गुंडई करने पर उतारू है।

सिर्फ फिलीपींस ही नहीं, बल्कि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत वियतनाम और ताइवान के इलाकों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। हालांकि, वियतनाम ने अब की बार चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में देर नहीं लगाई।

दरअसल, चीन ने पारसेल द्वीप को अपना एक जिला घोषित कर दिया। पारसेल को वियतनाम और ताइवान दोनों अपना हिस्सा मानते हैं। चीन के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए वियतनाम से इसे “कानूनों का उल्लंघन” बताया। वियतनाम के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ले थी थू हांग ने चीन को धमकी देते हुए कहा-

चीन का यह कदम दोनों देशों की दोस्ती के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे कदम वियतनाम की संप्रभुता को ठेस पहुंचाते हैं। उम्मीद है कि चीन ना सिर्फ अपने इस कदम को वापस लेगा बल्कि भविष्य में ऐसे कदम उठाने से भी परहेज करेगा

ये घटनाएं ना सिर्फ इन देशों के लिए, बल्कि भारत के लिए भी को चिंता की बात है। एक तो जितने भी देशों के साथ चीन लड़ रहा है, उनमें से मलेशिया को छोड़कर सभी भारत के सहयोगी या मित्र देश हैं।

दूसरी बात यह है कि चीन वुहान वायरस के कारण सैन्य और आर्थिक दृष्टि से बैकफुट पर है। ऐसे में अपनी धौंस बनाए रखने के लिए ड्रैगन किसी भी हद तक जाने को तैयार है, और इसलिए वे साउथ चाइना सी पर अपनी बुरी नजर बनाया हुआ है।

आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सदस्य अभिजीत सिंह का मानना है कि साउथ चाइना सागर में चीन की हेकड़ी के कारण हिन्द महासागर में भी उसका प्रभुत्व बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। उनके अनुसार जिस तरह से चीनी जहाज़ों की सक्रियता पूर्वी हिन्द महासागर में बढ़ी है, वह काफी चिंताजनक है”।

इन सब के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी दक्षिण चीन सागर में चीन को आँख दिखाने के लिए अपने जंगी जहाजों को दक्षिण चीन सागर में भेज चुके हैं। इतना ही नहीं, ये दोनों देश मिलकर इसी हफ्ते दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं।

इस युद्धाभ्यास में तीन अमेरिकी और एक ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाज ने हिस्सा लिया था। अमेरिका ने चीन को धमकी जारी करते हुए कहा था कि दक्षिण चीन सागर में उसकी तानाशाही नहीं चलेगी। बीते बुधवार को अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोंपियों ने कहा था-

अमेरिका दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडागर्दी की निंदा करता है। हम चीन द्वारा ताइवान पर दबाव बनाने और वियतनाम की वेसेल्स को निशाना बनाने की भी निंदा करते हैं

ये सब घटनाएँ अपने आप में बहुत गंभीर और बड़ी हैं और ये सब पिछले एक महीने के दौरान ही घटी हैं। इसका अर्थ साफ है कि दक्षिण चीन सागर से सटे देश अब चीन के खिलाफ एक स्वर में बुलंद आवाज़ में बोल रहे हैं और चीन पर लगातार कूटनीतिक दबाव बना रहे हैं। चीन दक्षिण चीन सागर पर से अपना प्रभाव लगातार खोता जा रहा है, और इसी कुंठा में वह साउथ चाइना सागर में गुंडागर्दी करने पर उतर आया है। इसी को कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे।

Exit mobile version