कोरोना वायरस ने किसी देश में सबसे भयंकर कोहराम मचाया है, तो उस देश का नाम है अमेरिका। अमेरिका में यह वायरस लगभग 4100 लोगों की जान ले चुका है और लगभग 2 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। जैसे-जैसे ये आंकड़े और बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे अमेरिकी सरकार और सांसदों का चीन और WHO के खिलाफ गुस्सा भी बढ़ता ही जा रहा है।
अब फ्लॉरिडा से रिपब्लिक पार्टी की ओर से सीनेटर रिक स्कॉट ने कांग्रेस द्वारा WHO और चीन के गुप्त सम्बन्धों की जांच करने की मांग उठाने का फैसला लिया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि WHO अमेरिकी पैसे लेकर चीन के प्रोपेगैंडे को दुनियाभर में फैलाने का काम कर रहा है, ऐसे में इस संस्था की जांच की जानी चाहिए।
अन्य रिपब्लिकन नेताओं की तरह ही रिक स्कॉट भी चीन के धुर-विरोधी नेताओं में से एक माने जाते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस ने उन्हें चीन के खिलाफ बोलने का सुनहरा अवसर प्रदान कर दिया है। स्कॉट ने मंगलवार को बयान दिया-
“डब्ल्यूएचओ का काम जन स्वास्थ्य की सूचनाएं दुनिया को देना है ताकि हर देश अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर फैसला ले सके। जब कोरोना वायरस की बात आई तो डब्ल्यूएचओ असफल रहा।’
आगे उन्होंने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ जानबूझकर चीन के इशारे पर भ्रामक जानकारियां फैला रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें पता है कि कम्युनिस्ट चीन अपने यहां के केस और मौतों को लेकर झूठ बोल रहा है। डब्ल्यूएचओ को चीन के बारे में पूरी जानकारी थी, लेकिन बावजूद इसके जांच करने की जरूरत महसूस नहीं की गई”।
इसी के साथ-साथ स्कॉट ने WHO द्वारा ताइवान को सदस्यता नहीं देने के मामले पर भी सवाल उठाया, और आरोप लगाया कि WHO तोते की तरह वही रटता है तो चीन उसे सिखाता है। अमेरिकी सीनेटर के इन आरोपों ने एक बार फिर कोरोना के समय WHO की भूमिका को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। WHO पिछले कुछ समय में ऐसे-ऐसे दावे कर चुका है, जो कि बाद में झूठे साबित हुए हैं।
WHO ने जनवरी महीने में चीन के अधिकारियों पर अंध विश्वास करते हुए यह दावा कर डाला था कि यह वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता है, बाद में जब यह दावा कोरा झूठ साबित हुआ तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के खिलाफ कोई जांच करने की ज़रूरत तक महसूस नहीं की, जिससे यह शक बढ़ जाता है कि WHO चीन की उंगलियों पर नाचने का काम तो नहीं कर रहा?
Preliminary investigations conducted by the Chinese authorities have found no clear evidence of human-to-human transmission of the novel #coronavirus (2019-nCoV) identified in #Wuhan, #China🇨🇳. pic.twitter.com/Fnl5P877VG
— World Health Organization (WHO) (@WHO) January 14, 2020
सीनेटर स्कॉट से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी वाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान WHO चीफ पर जमकर हमला बोला था और उन पर चीन को बचाने के भी आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि-
“कोरोना वायरस को लेकर पहले भी कई बार खतरे की घंटे बजती रही है लेकिन WHO ने इसे छुपाया। डब्ल्यूएचओ लगातार चीन का पक्ष लेता रहा और उसे बचाता रहा, अगर दुनिया को पहले इसकी जानकारी होती तो इतनी जानें नहीं जातीं”।
कोरोना के समय चीन ने तो पूरी दुनिया को भ्रम में रखा ही, इस काम में WHO ने भी चीन का पूरा साथ दिया। चीन ने जो दावे किए, WHO बिना किसी जांच पड़ताल के उन दावों को दोहराता चलता रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन को सिर्फ चीन ही नहीं, अमेरिका और भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश भी फंडिंग करते हैं और इस प्रकार WHO की भारत के प्रति भी जवाबदेही बनती है।
कोरोना संकट के समय गैर-जिम्मेदाराना ढंग से व्यवहार करने के लिए सिर्फ अमेरिका को ही नहीं, भारत को भी जांच की मांग करनी चाहिए। दुनियाभर में जहां कहीं भी WHO के खिलाफ जांच करने की बात उठती है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए।