कोई व्यक्ति अपनी बात मनवाने के लिए किस स्तर तक गिर सकता है, ये कोई अलका लांबा से सीखे। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने के लिए जब जाने-माने पहलवान योगेश्वर दत्त ने अलका को आड़े हाथों लिया, तो अलका ने उल्टे योगेश्वर दत्त को इतनी अभद्र भाषा में खरी-खोटी सुनाई कि उसे पढ़ किसी का भी खून खौल उठे।
हाल ही में सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वे युवावस्था में RSS के किसी अधिवेशन पर व्याख्या दे रहे थे। इसपर अलका लांबा टिप्पणी करती है, “संघ का राजनीति से कोई लेना देना नहीं, परन्तु सच्चाई यह है कि भाजपा के सारे नेता संघ की ही नाजायज पैदाइश है।”
ऐसे में योगेश्वर दत्त से रहा नहीं गया, और उन्होंने अलका को इस ओछे बयान के लिए आड़े हाथों में लेते हुए कहा, “नाजायज पैदाइश कौन है इसका पता तो आपकी बातों से लग रहा है। आप की सोच से आपकी परवरिश का भी पता लग गया। जिस इंसान की फोटो पर आपने लिखा है, उस इंसान के लिए देशवासियों का प्यार आप ने भी देख लिया होगा।पूरा देश साथ में खड़ा है, बस आप जैसे कुछ मानसिक रोगियों को छोड़कर।”
इस पर अलका बुरी तरह तिलमिला गई और उसने योगेश्वर दत्त के लिए बेहद अभद्र भाषा का उपयोग किया। अलका लांबा ने लिखा, “अबे योगेश्वर दत्त,अपनी मां से पूछ तेरा बाप कौन है? लगता है अपने बाप के साथ DP लगाने में तुझे शर्म आती है? ऐसा क्या? जिसके साथ तूने DP लगा रखी है, अगर मां कहती है कि वही तेरा बाप है तो मान जाइयो, क्यों की मां कभी झूठ नहीं बोलती, यूं ही दर्द नहीं हुआ तुझे”। हालांकि, अलका ने बाद में इस ट्वीट को हटा लिया था, परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अब कल्पना कीजिए यदि ये शब्द अलका लांबा के स्थान पर किसी पुरुष ने एक महिला से कहा होता, तो क्या होता? तब यही अलका लांबा चीख-चीख कर न्याय के लिए भीख मांग रही होती।परंतु अभी तक अलका के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसी पर प्रकाश डालते हुए योगेश्वर दत्त ट्वीट करते हैं, “सार्वजनिक मंच पर ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाली को जब अपनी गरिमा का ध्यान नहीं तो मैं इनसे अपने, मेरी माँ के अथवा माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी के गौरव का ध्यान रखने की आशा कैसे करु।इस देश मे पुरुष होने का कुछ घाटा भी है।आप महिला कार्ड भी खेल लीजियेगा।”
सार्वजनिक मंच पर ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाली को जब अपनी गरिमा का ध्यान नही तो मै इनसे अपने, मेरी माँ के अथवा माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी के गौरव का ध्यान रखने की आशा कैसे करु।इस देश मे पुरुष होने का कुछ घाटा भी है।आप महिला कार्ड भी खेल लीजियेगा।#ShameAlkaLamba pic.twitter.com/2iykdHV0VN
— Yogeshwar Dutt (मोदी का परिवार) (@DuttYogi) April 6, 2020
फिर क्या था, #ShameOnAlkaLamba ट्विटर पर ज़ोरो शोरों से ट्रेंड करने लगा। लोगों ने भर-भर कर अलका लांबा को खरी खोटी सुनाई। परन्तु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब योगेश्वर दत्त का इस तरह से अपमान किया गया हो। जब गुरमेहर कौर वाले प्रकरण पर योगेश्वर दत्त ने गुरमेहर के तौर तरीकों की आलोचना की थी, तो जावेद अख्तर ने योगेश्वर और उनका समर्थन कर रहे अन्य खिलाड़ियों के शैक्षणिक योग्यता का मज़ाक उड़ाया था।
परन्तु योगेश्वर दत्त वाले प्रकरण से एक बात स्पष्ट होती है, कि नारी सशक्तिकरण और उसके नाम पर होने वाले अराजकता में बहुत बड़ा अंतर है। पुरुष और नारी को समान अधिकार देना कोई शर्म की बात नहीं है, परन्तु नारी अधिकारों के नाम पर भेदभाव बढ़ाना, गाली गालौज करना और एक ओलंपिक पदकधारी का इस तरह अपमान करना कहां की समझदारी है, ये शायद ही किसी को समझ में आए। मात्र एक शिकायत के आधार पर किसी निर्दोष पुरुष का जीवन भी बर्बाद हो सकता है, पर सभी साक्ष्य होने के बाद भी यदि एक महिला कोई अपराध करे, तो उसके लिए उसे हाथ भी नहीं लगाया जायेगा, कार्रवाई तो बहुत दूर की बात रही।