‘शेखर गुप्ता ने पत्रकारिता से समझौता किया’ Fake News के खिलाफ अर्नब गोस्वामी ने लाइव शो पर Editor’s Guild से इस्तीफा दिया

अर्नब गोस्वामी

अर्नब गोस्वामी को शुरू से ही लेफ्ट और लिबरल कबाल के पाखंड और पक्षपात को एक्सपोज करने के लिए जाना जाता है, लेकिन कल उन्होंने LIVE TV पर जिस प्रकार कुछ तथाकथित निष्पक्ष पत्रकारों की धज्जियां उड़ाकर और उनका नाम लेकर उनके दोहरे रवैये को देश के सामने रखा, उसकी देशभर में सराहना की जा रही है। दरअसल, कल Republic Tv पर अर्नब ने बीच बहस के दौरान ही शेखर गुप्ता की अध्यक्षता वाले Editors Guild of India की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कारण यह था कि महाराष्ट्र में दो साधुओं और उनके 1 driver की हुई निर्मम हत्या पर Editor Guild चुप्पी साधे हुए था। अर्नब गोस्वामी के इस्तीफे देने के बाद देशभर के लोग उनकी सराहना कर रहे हैं और वे आज कल से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।

Editor Guild और द प्रिंट के संस्थापक शेखर गुप्ता पर हमला बोलते हुए अर्नब गोस्वामी ने कल LIVE TV पर कहा “मैं आज कहना चाहूँगा, शेखर गुप्ता सुनो, Editor Guild की जो भी थोड़ी बहुत विश्वसनीयता बची थी, वह भी महाराष्ट्र में हुई घटना पर उसकी चुप्पी से खत्म हो चुकी है। Editor Guild एक self-serving संगठन बन चुका है। इसलिए मैं आज Editor Guild की सदस्यता से इस्तीफा देता हूँ। मैं इस guild का पिछले काफी समय से सदस्य हूँ। मैं शेखर गुप्ता पर आरोप लगाता हूँ कि वह देश की पत्रकारिता को पक्षपात की तरफ धकेल रहे हैं। जिस दिन Editor guild ऐसी घटनाओं पर बोलना शुरू कर देगा, तब ऐसे किसी संगठन की आवश्यकता महसूस होगी”।

इसके अलावा अर्नब गोस्वामी ने कहा, “मैं सीधे बोलता हूँ, अगर कोई मुस्लिम मारा जाता तो नसीरुद्दीन शाह, अनुराग कश्यप, राम चंद्र गुहा, सिद्धार्थ वरदराजन, अवार्ड वापसी गैंग सभी चील्ला रहे होते। आज कहां है ये लॉबी? द वायर, स्क्रॉल NDTV, WASHINGTHON पोस्ट हैडलाइन सोच रहे होते की कैसे हैडलाइन बनाकर ऐसे खबर को पेश किया जाये कि ‘भारत में मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है’ पर वास्तव में अब वो कहेंगे कि क्या अब बहुसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं है? बहस है पालघर में हुई घटना को जानबूझकर दबाने की कोशिश क्यों नहीं की गयी?

बता दें कि शुक्रवार रात को महाराष्ट्र के पालघर में एक हिसंक भीड़ द्वारा दो साधुओं और एक driver की लिंचिंग कर दी गयी थी, लेकिन देश का लेफ्ट कबाल उसपर चुप्पी साधे हुए है। जिस प्रकार यह लेफ्ट लिबरल गैंग किसी अन्य मामले पर मोमबत्ती जलाकर निकलना शुरू कर देती है, इस मामले पर उसके मुंह से एक भी शब्द सुनने को नहीं मिल रहा है।

बता दें कि हिंदुस्तान टाइम्स पहले ही इस खबर को कम आँकने की कोशिश कर चुका है। HT ने इस खबर को इस headline के साथ छापा “चोर समझकर 200 लोगों की भीड़ ने महाराष्ट्र के पालघर में 3 लोगों को लिंच कर दिया”। इस लेख में HT बार-बार उस भीड़ को “अज्ञात लोग” कहकर संबोधित कर रहा था। अब आप सोचिए अगर उन मरने वाले लोगों में कुछ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल होते, तो आज देश में राणा अय्यूब जैसे पत्रकार पूरे देश को सिर पर उठा चुके होते और पश्चिम मीडिया में “हिन्दू राष्ट्रवादी” BJP सरकार पर मुस्लिमों के नरसंहार करने का आरोप लगाने वाले लेख छप चुके होते।

यहां तक कि देश में राजदीप सरदेसाई जैसे लिबरल पत्रकार भी इस घटना को नकारने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। राजदीप ने इस घटना पर ट्वीट करते हुए कहा “पालगढ़ में बेहद भयावह हादसा हुआ। 100 लोग अरेस्ट हो चुके हैं। स्थानीय लोगों ने इसे अंजाम दिया लेकिन, दक्षिण पंथ का IT सेल इसे कम्युनल एंगल दे रहा है। बहुत दुख और खतरे की बात है”।

गैरतलब है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर हिंदुओं के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले राजदीप ने पालगढ़ की घटना में कम्युनल एंगल ढूंढने के लिए दक्षिण पंथ को ही जिम्मेदार बता डाला। अगर इस घटना के पीड़ित मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते तो राजदीप जैसे लोगों का ट्विटर पर रुदनराग शुरू हो गया होता।

मीडिया ने इस बात को भलि-भांति छुपाया कि इन साधुओं की भीड़ ने हत्या कर दी थी। AAP कार्यकर्ता ध्रुव राठी को भी इस घटना पर मज़ाक ही सूझा। अनुराग कश्यप जैसे व्यक्ति को इस बार यहां कोई “नफरत का माहौल” नहीं दिखाई दिया। देश के लोगों को इन पाखंडियों के खिलाफ जागना होगा और अपने हक के लिए आवाज उठानी हो होगी। जो लोग मुस्लिम विरोधी घटनाओं के नाम पर हिंदुओं के खिलाफ पूरी दुनिया में एजेंडा चलाते हैं, उन्हें कटघरे में खड़ा करने का समय अब आ गया है। ऐसे में अर्नब गोस्वामी ने जिस तरह इन दोगले पत्रकारों को एक्स्पोज़ करके Editors Guild of India से इस्तीफा

दिया है, वह तारीफ के काबिल है और और भी सच्चे पत्रकारों को खुलकर इन पाखंडी पत्रकारों के खिलाफ बोलना ही होगा।

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