चीन को लेकर अफ्रीका में गुस्सा अपने सांतवे आसंमान पर है। अफ्रीका के लोग खुलेतौर पर चीन के खिलाफ बोल रहे हैं। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि अफ्रीका के लोगों को चीन में पीटा जा रहा है और उन पर कोरोना को फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं, इसके बाद से केन्या, गिनी और तंजानिया जैसे अफ्रीकी देशों ने खुलकर चीन के विरोध में बोला है।
ऐसे समय में जब अफ्रीका में जमकर चीन का विरोध हो रहा है, अब भारत ने अफ्रीका को अपने पाले में करने और वहाँ अपना प्रभाव बढ़ाने का बढ़िया मौका ढूंढा है। दरअसल, कल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूरा दिन अफ्रीका के कई नेताओं के साथ बातचीत की और उन्हें हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। कूटनीति में माहिर एस जयशंकर का यह दांव मौके पर चौके के सामान माना जा रहा है।
कल एस जयशंकर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि वे पूरा दिन अफ्रीका के देशों पर फोकस करके ही बिता रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया- “आज मैंने बुरकिना फासो, कोमरोस, युगांडा और माली के विदेश मंत्रियों से बातचीत की। इस चुनौती के समय हमारा ऐतिहासिक सहयोग बरकरार है”।
An Africa-focus working day.
Useful conversations with Foreign Ministers of Burkina Faso, Comoros, Uganda and Mali.
Historical solidarity on display in the midst of contemporary challenges.— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 25, 2020
इससे पहले 24 तारीख को विदेश मंत्री जयशंकर ने नाइजर और नाइजीरिया अफ्रीकी देशों के विदेश मंत्री के साथ फोन पर बात की थी, वहीं 21 अप्रैल को जयशंकर ने केन्या के विदेश मंत्री को फोन किया था। पिछले एक हफ्ते से अफ्रीका से चीनी विरोध की कई खबरें देखने को मिल रही थी, ऐसे समय में भारत के विदेश मंत्री का इन देशों के साथ कूटनीतिक संबंध बढ़ाना दिखाता है कि भारत अफ्रीका में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है, और ऐसे ही चलता रहा तो भारत इसमें जल्द ही सफल हो सकता है।
जैसे जैसे अफ्रीका में चीनी विरोधी आवाज़ें बुलंद होती जा रही हैं, वैसे ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफ्रीकी देशों के साथ अपनी कूटनीति को और तीव्र कर दिया है।
इसे कहते है मौके पर चौका💪 pic.twitter.com/oDed9P2j4n— Vikrant Singh (@VikrantThardak) April 25, 2020
बता दें कि अफ्रीका में पहले BRI और फिर कोरोना के कारण पहले ही चीन विरोधी मानसिकता पनप रही थी, वहीं चीन में लगातार हो रहे अफ्रीकी लोगों पर हमलों ने इस मानसिकता को और ज़्यादा बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप अफ्रीका ने अब चीन को आड़े हाथों लेने की ठान ली है। हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी देश तंजानिया के राष्ट्रपति ने पिछली सरकारों के समय चीन के साथ final किए गए 10 बिलियन डॉलर्स के एक प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। साथ ही तंजानिया के राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शर्तें इतनी बकवास थीं कि कोई पागल व्यक्ति ही इन शर्तों को मान सकता था। इससे अफ्रीका में चीन के BRI प्रोजेक्ट को गहरा धक्का पहुँच सकता है।
इसके अलावा अफ्रीकी देशों जैसे गिनी और केन्या से भी चीन के कड़े विरोध होने की खबरें सामने आ चुकी हैं। गिनी ने हाल ही में अपने यहां मौजूद कई चीनी नागरिकों को बंदी बना लिया था, क्योंकि चीन से लगातार अफ्रीकी लोगों के पीटे जाने की खबरें सोशल मीडिया पर आ रही थीं। ऐसे ही केन्या के एक सांसद ने सोशल मीडिया पर अपने यहाँ चीनी लोगों को पत्थर मारकर दूर भगाने के लिए कहा था, क्योंकि उनके मुताबिक चीनी लोग केन्या में कोरोना वायरस फैला रहे हैं। चीन के इस भारी विरोध के बीच भारत का एकदम अफ्रीका के साथ बातचीत को बढ़ाना चीन की रातों की नींद उड़ा सकता है।
भारत पहले ही दुनियाभर में मेडिकल एक्स्पोर्ट्स से अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ा चुका है, और दुनिया भारत को चीन के मुक़ाबले एक बेहतर पार्टनर मानती है। दक्षिण एशिया में तो भारत पहले ही कई देशों की मदद कर रहा है, अब भारत अफ्रीका में अपना दबदबा बढ़ाने के मिशन पर जुट चुका है।