जब पूरी दुनिया में कोरोना रफ्तार पकड़ रहा था तब बांग्लादेश में इक्के-दुक्के मामले आ रहे थे. यहां तक की जब पड़ोसी भारत में कोरोना के सैकड़ों मामले आ चुके थे तब भी बांग्लादेश पर कोरोना का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था. लेकिन बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देश ने कई गलतियां की और आज उसे कोरोना अपनी जकड़ में लेता जा रहा है. इसी वजह से दुनिया भर में मशहूर बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंड्रस्ट्री की कमर टूट गई है. बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी गार्मेंट उद्योग से जुड़ी है और सब के सब इस समय बेरोजगार हो गए हैं. कपड़े की फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं और लोग सड़कों पर वेतन और काम की मांग कर रहे हैं.
बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग से जुड़े एक संगठन Bangladesh Garment Manufacturers and Exporters Association (BGMEA) के अधिकारी के मुताबिक बांग्लादेश की कपड़ा फैक्ट्रियों में कोरोनावायरस फैलने से पहले करीब 41 लाख कारीगर काम करते थे. लेकिन कोरोना के बाद अब आधे से भी कम लोग फैक्ट्रियों में काम करते हैं. बताया जा रहा है कि इनमें अधिकतर महिलाएं हैं. ये कपड़ा कारीगर प्रति माह औसतन 8 से 9 हजार के आस पास कमा लेते थे.
इधर, BGMEA यानि Bangladesh Garment Manufacturers and Exporters Association ने कहा है कि इंटरनेशनल ब्रांड्स ने बांग्लादेश में करीब 3.17 अरब डॉलर के आर्डर या तो रदद् कर दिए हैं या फिर फिलहाल के लिए टाल दिया गया है. इस पर BGMEA की प्रेसिडेंट रिबाना हक कहती हैं कि हमारी फैक्ट्रियों के पास कोई कानूनी हक नहीं है कि हम विदेशी कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करें. मैं किसी भी मुआवजे की मांग नहीं कर रही हूं, मैं बस न्यूनतम न्याय की मांग कर रही हूं.
बता दें कि बांग्लादेश चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा गारमेंट एक्सपोर्ट करने वाला देश है. CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक गारमेंट उद्योग बांग्लादेश के कुल निर्यात में करीब 80 फीसदी योगदान करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश ने पीछले साल करीब 30 अरब डॉलर से ज्यादा का एक्सपोर्ट किया था. यही नहीं बांग्लादेश की जीडीपी में कपड़ा उद्योग करीब 16 प्रतिशत का योगदान करता है.
बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि गारमेंट उद्योग से करीब 1.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है. इनमें कारीगर, ट्रक चालक, फूड सेलर्स आदि शामिल हैं. वाणिज्य मंत्री टीपू मुंशी का मानना है कि देश में बेहद खराब स्थिति हो चुकी है और लाखों लोगों के रोजगार खतरे में हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर आर्डर यूरोपीय और अमेरिकी ब्राड्स की तरफ से आए थे. जिनमें से अधिकतर ने महामारी के कारण अपने आर्डर्स कैंसिल कर दिए हैं. विदेशी ब्रांड्स ने मुआवजे देने से भी इंकार कर दिए हैं. ऐसे में बांग्लादेश का सबसे बड़ा उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है.
गौरतलब है कि इस साल बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार देखा गया था लेकिन देश की जीडीपी में 16 फीसदी योगदान देने वाले कपड़ा उद्योग के संकट में पड़ते ही हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
सोचिए छोटे से क्षेत्रफल वाले बांग्लादेश की आबादी 16 करोड़ के पार है. उसमें 1.5 लोग इसी कपड़ा रोजगार से जुड़े हैं. ऐसे में कपड़ा उद्योग ही जब बर्बाद हो जाएगा तो बांग्लादेश की क्या हालत होगी आप समझ सकते हैं. इसके साथ ही बांग्लादेश में भयंकर बेरोजगारी आने वाली है.