जिस तरह से कोरोना यूरोप और अमेरिका में फैला उस तरीके से भारत में नहीं फैला। तब से ही एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में कोरोना के कम प्रभाव का सबसे बड़ा कारण BCG यानि Bacillus Calmette-Guerin का टीका भी हो सकता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बचपन में ही बच्चों को लगाया जाता है।अब एक शोध में यह बात सामने आगई है कि BCG का टीका लगवाने वालों देशों में कोरोना के मामले 10 गुना कम पाये गए हैं। यह कोई आम बात नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन के चिकित्सा शोधकर्ताओं ने 178 देशों के डेटा का विश्लेषण कर अध्ययन में यह आंकड़ा जुटाया।
बता दें कि बीसीजी, TB के लिए एक टीका है और ऐसे देशों में जन्म के समय लगाया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से TB से जूझता आया है, जैसे भारत। वहीं कई समृद्ध देशों, जैसे कि अमेरिका, इटली और हॉलैंड में कभी भी बीसीजी टीकाकरण की नीति को लागू नहीं किया गया, क्योंकि उन देशों में कभी TB बड़ी समस्या बनी ही नहीं। इस वजह से आज इन देशों में कोरोना से तबाही अधिक है।
इस शोध में 178 देशों के डेटा विश्लेषण के दौरान 9 से 24 मार्च के बीच 15 दिनों के लिए COVID-19 के पॉज़िटिव मामलों और मृत्यु दर को देखा गया और निष्कर्ष निकाला गया कि “बीसीजी टीकाकरण वाले देशों में कोरोना वायरस के पॉज़िटिव मामलों की दर केवल 38.4 व्यक्ति प्रति मिलियन ही थी। यानि 10 लाख में केवल 38 मामले। वहीं जिन देशों में BCG का टीका नहीं लगाया जाता वहाँ यह आंकड़ा 358.4 कोरोना के पॉज़िटिव मामले प्रति मिलियन रहा। यानि 10 लाख में 358 मामले। इसका मतलब यह हुआ कि जिन देशों में BCG का टीका नहीं लगाया गया, उनमें कोरोना वायरस 10 गुना की रफ्तार से फैला।
इस तरह मृत्यु दर में भी भारी अंतर देखने को मिला। जिन देशों में BCG का टीका लगाया जाता है, वहाँ की मृत्यु दर 4.28 व्यक्ति प्रति मिलियन थी। वहीं बिना BCG वाले देशों में यह दर 40 व्यक्ति प्रति मिलियन रही। अध्ययन किए गए 178 देशों में से 21 में BCG जैसा कोई टीकाकरण कार्यक्रम नहीं था, जबकि 26 देशों में स्थिति स्पष्ट नहीं थी।
इस शोध पत्र को मैटर मिसेरिकोर्डिया यूनिवर्सिटी अस्पताल, डबलिन के पॉल हेगर्टी और हेलेन ज़ाफिरकिस तथा बेयर कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन, ह्यूस्टन के एंड्रयू डीनार्डो ने पब्लिश किया है।
ह्यूस्टन में एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर में प्रोफेसर ऑफ यूरोलॉजिक आंकोलाजी आशीष कामत ने कहा, ‘इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि टीबी के खिलाफ यूज की जाने वाली BCG वैक्सीन नवजात शिशुओं ही नहीं बल्कि वैक्सीनेटेड किए गए दूसरे लोगों में भी मृत्यु दर में कमी करता है।‘
बेसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) वैक्सीन का अविष्कार लगभग 100 साल पहले किया गया था। यह वैक्सीन ट्यूबरकुलोसिस या टीबी (तपेदिक) के बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करती है। कई रिसर्चों में इस बात की पुष्टि हुई है कि बीसीजी का टीका लगवाने के बाद लोगों के प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) में सुधार देखा गया है। यही नहीं, इन लोगों ने खुद को कई संक्रमणों से बचाया भी है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती ट्रायल में पता चला है कि जिन लोगों ने बीसीजी का टीका लगवाया है, उनका इम्यूनिटी सिस्टम ज्यादा मजबूत होता है और वे दूसरों के मुकाबले संक्रमण के खिलाफ खुद को ज्यादा सुरक्षित रख पाते हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिकियों पर किए गए एक ट्रायल में बताया गया था कि बचपन में दी गई बीसीजी वैक्सीन टीबी के खिलाफ 60 सालों तक सुरक्षा प्रदान करती है।
इससे पहले भी कई भारतीय वैज्ञानिक यह कह चुके हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में स्पेशल सेंटर के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर गोबरधन दास ने कहा था कि बड़े पैमाने पर बीसीजी (बैसिलस कैलमेट गुयरिन ) टीकाकरण वाले देशों में दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कोरोना वायरस से बेहतर प्रतिरोध होने की संभावना है।
BCG immunization has perfect inverse correlation with CVID incidence and mortality.. https://t.co/5oDQGi5qK8
— Gobardhan Das, Immunologist (@dasgobardhan) April 7, 2020
जैसे-जैसे BCG टीकाकरण और कोरोना से कम मौत होने के बीच कोई संबंध मिलना शुरू हुआ है, तो वैसे-वैसे भारत के वैज्ञानिकों ने भी इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया था। दुनिया के सबसे बड़े टीका उत्पादक और पुणे में स्थित Serum Institute of India ने बर्लिन के Max Planck Institute for Infection Biology and Vaccine Project Management कंपनी के साथ अनुबंध किया है और दोनों कंपनियाँ इस बात पर शोध कर रही हैं कि TB की वेक्सीन VPM1002 कोरोना से लड़ने में कारगर है कि नहीं।
पश्चिमी देशों में TB के लिए कोई टीकाकरण नहीं किया जाता है क्योंकि TB उन देशों से लुप्त हो चुकी है। लेकिन भारत में TB के वैश्विक मामलों के 40 प्रतिशत मामले हैं और यहाँ वर्ष 2025 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।भारत में वर्ष 1948 से ही बड़े ही आक्रामक तरीके से BCG के टीकाकरण अभियान को चलाया जाता रहा है, जिसके कारण आज लगभग हर नागरिक कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से कुछ हद तक अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के कारण बच जा रहा है। इसके साथ ही वर्ष 1985 से जब भारत ने इस कार्यक्रम में ट्यूबरक्लोसिस के लिए भी टीकाकरण करना शुरू किया, तो इस यूनिवर्सल इम्यून कार्यक्रम को और ज़्यादा बल मिला। इसी का परिणाम अब देखने को मिल रहा है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत वैश्विक नेता बन कर उभरा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कोरोना वायरस के टीके की कब खोज होती है।