तुम TestKit बनाकर बेचो, मैं दुनिया को सलाह दूंगा ज्यादा टेस्ट करने की’ ये है WHO और चीन की भाईबंधी

इन दोनों ने दुनिया को तबाह कर डाला, इन्हें खत्म करो पहले

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कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने के लिए WHO और चीन की मिलीभगत के किस्से तो आजकल हर किसी की जुबान पर हैं। चीन जो बोलता गया, WHO एक तोते की तरह वही रटता गया। अब यह तो स्पष्ट हो गया है कि कैसे चीन ने WHO के माध्यम से अपने आप को कोरोना की ज़िम्मेदारी से बचाने के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन अब इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन ने WHO को अपने आर्थिक फायदे के लिए भी इस्तेमाल किया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि WHO शुरू से ही कोरोना से निपटने के लिए “टेस्ट-टेस्ट-टेस्ट” का मंत्र सब देशों को देता आया है, जबकि केवल बड़े पैमाने पर टेस्ट करना ही कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है। भारत ने बड़े पैमाने पर टेस्ट नहीं किए हैं, लेकिन यहां स्थिति अब तक बिगड़ी नहीं है।

वहीं यूरोप के अधिकतर देशों ने बड़े पैमाने पर टेस्ट किए, उसके बावजूद वहां कोरोना बेकाबू हो गया। फिर यहां सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर WHO ने सब को बड़े पैमाने पर टेस्ट करने की सलाह क्यों दी। क्या इसके पीछे चीन को आर्थिक फायदा पहुंचाने की कोई साजिश तो नहीं थी, क्योंकि अभी दुनिया में सबसे ज़्यादा टेस्टिंग किट्स कोई देश बनाता है, तो वह चीन ही है।

उदाहरण के लिए 16 मार्च को जिनेवा में डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा था कि “हमारा सभी देशों के लिए एक संदेश है – टेस्ट, टेस्ट, टेस्ट। सभी देशों को सभी संदिग्ध मामलों का टेस्ट करने में सक्षम होना चाहिए, वे इस महामारी से आंखों पर पट्टी बांधकर नहीं लड़ सकते”।

अब आपको बताते हैं कि आखिर सिर्फ टेस्ट करना ही पर्याप्त क्यों नहीं है। ऐसा भी तो हो सकता है कि जिस व्यक्ति का आज टेस्ट किया हो, वह अगले ही दिन फिर कोरोना से संक्रमित हो जाये और वह आगे भी कोरोना को फैलाता रहे। इसलिए टेस्ट से भी ज़्यादा लोगों को आइसोलेट करने पर ध्यान देने की ज़रूरत है। भारत ने यही किया, और समय रहते लॉकडाउन की घोषणा कर दी।

बाकी देशों ने WHO की सलाह मानकर बड़े पैमाने पर टेस्ट किए और टेस्ट करने के लिए चीन से टेस्टिंग किट्स मंगानी शुरू कर दी। चीन ने भी मौके को हाथों-हाथ लपका और स्पेन, इटली, तुर्की, चेक रिपब्लिक जैसे देशों को घटिया क्वालिटी का माल भेजना शुरू कर दिया। कोरोना की टेस्टिंग के लिए स्पेन ने चीन से 6 लाख से ज़्यादा टेस्टिंग किट्स इम्पोर्ट की थी, लेकिन बाद में यह सामने आया कि इन टेस्टिंग किट्स का accuracy level सिर्फ 30 प्रतिशत है और 70 प्रतिशत बार ये टेस्टिंग किट्स किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी नहीं दे पाती हैं।

इसके बाद स्पेन ने अब चीन से अपनी किट्स को वापस लेने को कहा था। इसी तरह तुर्की और चेक ने भी चीन को उसकी किट्स लौटा दी थी क्योंकि वे घटिया गुणवत्ता की थी। चीन में टेस्टिंग किट्स बनाने वाली फ़ैक्टरियाँ अभी दिन रात काम कर रही हैं और दुनिया को दोयम दर्जे की टेस्टिंग किट्स सप्लाई कर रही हैं, क्योंकि WHO ने सभी देशों को अधिक से अधिक टेस्ट करने के लिए बोला है।

WHO का आज चीन न सिर्फ रणनीतिक बल्कि आर्थिक फायदा भी उठा रहा है। WHO तो वही कह रहा है जो चीन उसे कहने के लिए बोल रहा है। WHO ने जनवरी महीने में चीन के अधिकारियों पर अंध विश्वास करते हुए यह दावा कर डाला था कि यह वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता है, बाद में जब यह दावा कोरा झूठ साबित हुआ तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के खिलाफ कोई जांच करने की ज़रूरत तक महसूस नहीं की, जिससे यह शक बढ़ जाता है कि WHO चीन की उंगलियों पर नाचने का काम तो नहीं कर रहा?

अमेरिका के कई सांसद अब WHO और चीन की मिलीभगत की जांच करने की बात कह चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प WHO की फंडिंग रोकने की घोषणा कर चुके हैं। जापान के उप-प्रधानमंत्री WHO को चीनी स्वास्थ्य संगठन नाम से संबोधित कर चुके हैं। यह दिखाता है कि विश्व में अब WHO के खिलाफ गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया को अब WHO की जिम्मेदारियों को तय करना ही होगा।

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