चीन ने दुनिया को ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन के बारे में बताने से पहले Remdesivir दवाई की पेटेंट करने की कोशिश की

Remdesivir

चीन के वुहान से कोरोना फैलने के बाद रोज नए नए खुलासे हो ही रहे हैं। Wuhan Institute of Virology फिर से विवादों के केंद्र में है। रिपोर्ट के अनुसार चीन ने एक दवा Remdesivir के ऊपर उसी दिन पेटेंट फाइल करने की कोशिश की थी जब उसे इस महामारी के बारे में यह पता चला कि कोरोना मनुष्य से मनुष्य में संचारित हो सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी दवा को ग्लोबल और अमेरिकी मीडिया कोरोना के खिलाफ इलाज के लिए बेहतर होने का दावा कर रहे हैं। 

चीन का यह कदम फिर से विवाद पैदा करने वाला है क्योंकि चीन जिस दवा के ऊपर पेटेंट करने की कोशिश कर रहा है उस दवा के ऊपर मूलभूत काम अमेरिका की Gilead साइंस ने किया है। बता दें कि ग्लोबल मीडिया जैसे ब्लूमबर्ग, न्यू यॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी कंपनी Gilead की दवा के बारे में खूब प्रचार प्रसार किया था और इस तरह से हैडलाइन दी जैसे यही दवा कोरोना के लिए चमत्कार हो। अमेरिकी मीडिया इसे भारत के HCQ के विरोध में भी प्रचारित कर रही थी जिससे HCQ को कमतर दिखाया जा सके। 

अब नए खुलासे में 21 जनवरी को चीन में Remdesivir के व्यावसायिक उपयोग के लिए एक पेटेंट दायर किया गया था, जिसे शुरू में गिलियड द्वारा इबोला के खिलाफ लड़ाई के एक हिस्से के रूप में विकसित किया गया था। इस खबर ने फिर से एक बार चीन के प्रति संदेह पैदा कर दिया है कि कैसे चीन वुहान वायरस की गंभीरता के बारे में दुनिया को गुमराह कर रहा है, और इससे फायदे निकालने की कोशिश कर रहा है। 

ज्ञात हो कि चीन के शीर्ष अधिकारियों को 14 जनवरी तक कोरोनावायरस महामारी के बारे पता था, लेकिन फिर भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने छह दिन बाद जनता को इस महामारी के बारे में चेतावनी दी थी। 

सातवें दिन, जिनपिंग ने COVID-19 महामारी के बारे में जनता को आगाह किया कि यह वायरस संक्रामक है। लेकिन उस समय तक वुहान कोरोना महामारी का पहला केंद्र बन चुका था। 

अब, नए खुलासे से यह पता चलता है कि बीजिंग को संभवतः वायरस की गंभीरता के बारे में पहले से अधिक जानकारी थी। अगर ऐसे नहीं होता तो चीन कोरोनोवायरस के खिलाफ संभावित दवा के रूप में देखी जा रही Remdesivir को पेटेंट कराने के लिए आवेदन को आगे क्यों बढ़ाएगा?

कोरोनोवायरस के बारे में बीजिंग संदेह के घेरे मे रहा है क्योंकि कम्युनिस्ट शासन हमेशा से चीजों को दबाने और मौतों की संख्या को कम बताने की कोशिश करती है। 

इस बीच, Remdesivir बनाने वाली कैलिफोर्निया स्थित Gilead ने कहा है कि वह चार साल पहले कोरोनवायरस के खिलाफ इस दवा का उपयोग करने के लिए वैश्विक आवेदन दायर कर चुका है।

अमेरिकन फ़ार्मास्युटिकल फ़र्म ने यह भी खुलासा किया है कि उसे चीन द्वारा दाखिल किए गए पेटेंट के दावे के बारे में पता चला, लेकिन पेटेंट कार्यालय के निर्णयों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है, और इसलिए इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। 

अपने खिलाफ बढ़ रहे नाराजगी को कम करने के लिए चीन ने तरह तरह का प्रोपोगेंडा फैलाया है। अब ऐसा लगता है कि वह COVID-19 के खिलाफ इलाज में Remdesivirको पेटेंट करके अपने आप को दुनिया को बचाने वाले देश के रूप में दिखाने की कोशिश करेगा। यह सोचने वाली बात है कि 14 जनवरी से 20 जनवरी तक चीनी सरकार को यह निर्णय लेने में छह दिन लगे कि वायरस प्रकृति में संक्रामक है या नहीं। लेकिन इसी 20 से 21 जनवरी के बीच चीन को इस महामारी के बारे में इतनी गहरी समझ विकसित हो गयी कि वह एक संभावित दवा को पेटेंट कराने आ गया। 

हालांकि, चीन Intellectual property की चोरी के लिए बदनाम है और Gilead का भी यह कहना है कि उसने चार साल पहले एक वैश्विक पेटेंट के लिए एक आवेदन दायर किया था। यह भी देखने वाली बात होगी कि किसने किसकी चोरी की है। 

चीन अब पूरी तरह से एक्सपोज हो चुका है और ऐसे में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। आने वाले समय में चीन को और भी कई कड़े सवालों का जवाब देना पड़ सकता है। 

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