चीनी Propaganda से सावधान, ट्विटर पर नकली बोट्स बनाकर खुद को मसीहा की तरह कर रहा पेश

OBOR के बाद अब दुनिया को अपने कोरोना-जाल में फंसा रहा है

पूरी दुनिया में कोरोना से किसी देश को फायदा होता दिखाई दे रहा है, तो वह है केवल और केवल चीन। चीन कोरोना की सहायता से ना सिर्फ आर्थिक लाभ उठा रहा है बल्कि, इस वायरस की मदद से वह रणनीतिक और कूटनीतिक लाभ उठाने की भी पूरी कोशिश कर रहा है। कोरोना से ग्रसित देशों को पैसों के बदले सहायता देकर चीन ना सिर्फ अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ा रहा है, बल्कि भविष्य में इन देशों को बड़े-बड़े कर्ज देकर अपने कोरोना-जाल में फँसाने की भी कोशिश कर रहा है, और इस काम में वह ट्विटर पर नकली बोट्स बनाकर अपने पक्ष में हवा बनाने जैसे हथकंडे अपनाने से भी पीछे नहीं हट रहा है।

https://twitter.com/jakesNYT/status/1245069032602185736?s=20

जिस चीन के वुहान शहर से निकले चीनी वायरस ने इटली और स्पेन जैसे देशों के हजारों लोगों की जान ले ली, वही चीन इन देशों में राहत सामाग्री बांटकर अपने आप को इन देशों का इकलौता मसीहा दिखाने की कोशिश कर रहा है। कोरोना-काल में चीन को इन देशों पर प्रभाव जमाने का बढ़िया मौका मिल गया है क्योंकि, चीन के धुर विरोधी देश अमेरिका से तो अपने यहाँ की समस्या से ही नहीं निपटा जा रहा है। अब यह खबर भी सामने आई है कि यूरोप के कुछ देशों में चीन ट्विटर पर नकली बोट्स बनाकर अपने पक्ष में हेशटैग ट्रेंड करवा रहा है। उदाहरण के तौर पर 11 मार्च से लेकर 23 मार्च तक इटली में #forzaCinaeItalia बहुत ट्रेंड किया था । इस हैशटैग का अर्थ है “चीन और इटली, ऐसे ही साथ-साथ बढ़ते रहो”। अब सामने आया है कि इस हैशटैग के साथ किए गए लगभग आधे ट्वीट्स नकली बोट्स ने किए थे।

इसी तरह एक अन्य हैशटैग #grazieCina भी इटली में खूब ट्रेंड हुआ, जिसमें इस हैशटैग के साथ किए गए लगभग 37 प्रतिशत ट्वीट्स बोट्स ने किए थे। #grazieCina का अर्थ होता है “धन्यवाद चीन”। चीन इटली को पैसों के बदले मास्क, वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट बेचकर अपने आप को इटली का मसीहा सिद्ध करने की कोशिश में है, और इसमें वह इन ट्विटर बोट्स का सहारा ले रहा है।

लेकिन यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है? दरअसल, अभी पूरी दुनिया में कारखाने बंद पड़े हैं और कोरोना से उभरने की वजह से चीन में वेंटिलेटर, मास्क और मेडिकल किट्स का उत्पादन किया जा रहा है। कोरोना से ग्रसित देशों को अभी सबसे ज़्यादा इन्हीं चीजों की ज़रूरत है। चीन इन देशों को ये सब चीज़ें बेचता है और फिर अपने आप को इनके दोस्त की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश करता है। कोरोना की तबाही के बाद जब इन देशों के पास पैसों की कमी होगी, तो चीन अपने इसी प्रभाव और नकली दोस्ती को दिखाकर इन्हें बड़े-बड़े लोन देगा और इस प्रकार जैसे उसने OBOR के जरिये दुनिया के कई देशों को कर्ज़ जाल में फंसाया, वैसे ही अब भी वह कई देशों को अपने कोरोना-जाल में फंसा लेगा।

चीन को अभी से इसका फायदा मिलना शुरू भी हो चुका है। दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री और देश में चीनी राजदूत के बीच काफी तनाव देखने को मिला था, और चेक के प्रधानमंत्री ने चीन से अपने राजदूत को बदलने के लिए कहा था। लेकिन चीन ने जैसे ही चेक को राहत सामाग्री पहुंचाई तो चेक के वही प्रधानमंत्री चीनी राजदूत की तारीफ करने लगे और चीन को मदद के लिए धन्यवाद करने लगे

कर्ज़ जाल में फँसाने के अलावा ऐसा भी हो सकता है कि बदले में चीन इन देशों से चीन की विवादित कंपनी हुवावे को लेकर नर्म रुख अपनाने की मांग करना शुरू कर दे। पिछले दिनों इटली के प्रधानमंत्री से बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि इटली को OBOR के साथ-साथ चीन के साथ health silk route पर भी काम करना चाहिए। इससे इटली में डर बढ़ गया है कि कहीं इटली का वायरलेस हैल्थ नेटवर्क चीनी कंपनियों के हाथ में ना चला जाये।

चीन के प्रोपेगैंडे से दुनिया को सावधान होने की ज़रूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो चीन ने जिस तरह दक्षिण एशिया में पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों को अपने जाल में फंसाया, वैसे ही यूरोप के ये देश भी चीन के जाल में फंस सकते हैं। अगर ये देश अब नहीं संभले, तो भविष्य में इन देशों को चीन के इस प्रोपेगैंडे का भारी मोल चुकाना पड़ सकता है।

 

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