चीन अपने यहां कोरोना को काबू करने के दावे तो पिछले कई दिनों से कर रहा है, लेकिन अब डर है कि कोरोना दोबारा चीन में कोहराम मचा सकता है। दरअसल, रूस से सटे चीन के उत्तर-पश्चिम इलाकों में अब कोरोना के कुछ नए मामले मिले हैं जिससे डर बढ़ गया है कि चीन में कोरोना का दूसरा दौर देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही चीन की राजधानी बीजिंग में भी स्विमिंग और जिम जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी बीच अब चीन ने कोरोना के लिए अब अपने ही नागरिकों को दोष देना शुरू कर दिया है।
NTD न्यूज़ के मुताबिक रूस में मौजूद चीनी राजदूत ने चीन में कोरोना लेने आने के लिए अपने ही देश के नागरिकों को आड़े हाथों ले लिया और उन्हें बकवास करार दिया। चीन पर पहले ही अपने यहां कोरोना के आंकड़े छिपाने के आरोप लग रहे हैं, ऐसे में उसने अपनी छवि को बचाने के लिए अब अपने ही नागरिकों को दोष देना शुरू कर दिया है।
एक मीडिया चैनल पर बैठकर रूस में चीन के राजदूत ने कहा- “चीन के लोग बेहतर चीन-रूस सम्बन्धों का फायदा उठाते हैं और अब यही लोग इन सम्बन्धों को खराब करने में लगे हैं। ये बकवास लोग हैं। ये जहां हैं, इन्हें वहीं रहना चाहिए। ये लोग चीन में कोरोना लेकर आ रहे हैं”।
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NTD न्यूज़ के मुताबिक चीन के लोगों ने इसके जवाब में सोशल मीडिया पर जमकर communist पार्टी की खिंचाई की। एक यूजर ने टिप्पणी करते हुए लिखा-
“हम चीन के नागरिक नहीं हैं, बल्कि हम तो कम्युनिस्ट पार्टी के बनाए हुए बंधक है, जो वो कहती है, हमें वो करना पड़ता है। जब कम्युनिस्ट पार्टी के गुंडे चीन कहते हैं तो इसका मतलब हमारा चीन नहीं बल्कि उनका चीन होता है। सबको यह समझना चाहिए”।
बता दें कि चीन में कोरोना का नए मामले मिलना फिर शुरू हो गए हैं। चीन के उत्तर-पश्चिमी प्रांत शानक्सी में विदेश से लौटे सात नए कोरोना संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई है। ये सभी लोग रूस से अपने देश चीन लौटे थे। अब वहां पूरे शहर में लॉकडाउन लगा दिया गया है। करीब 1 करोड़ लोगों पर इस लॉकडाउन का सीधा प्रभाव पड़ेगा। लॉकडाउन से चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा और यही कारण है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अब अपने ही ये लोग फूटी आँख भी नहीं सुहा रहे हैं।
बता दें कि अपने यहाँ कोरोना फैलने के कारण रूस चीनी नागरिकों से बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। रूस की सरकार ना सिर्फ चीन के साथ अपनी सीमा को बंद कर चुकी है बल्कि रूस की पुलिस भी चीन के नागरिकों के साथ कड़ाई से पेश आ रही है। यह तब देखने को मिल रहा है जब हाल ही में चीन और रूस के द्विपक्षीय संबंध बेहतर हुए हैं।
ऐसा लग रहा है मानो रूस में मौजूद चीन के राजदूत के लिए चीनी नागरिकों के नहीं, बल्कि रूस के हित ज़्यादा महत्वपूर्ण है और इसीलिए अब उसने रूस की सरकार की भाषा बोलना शुरू कर दिया है। अपने देश वापस आना हर एक नागरिक का अधिकार होता है, लेकिन चीन में अधिकारों की बात करना बेवकूफी ही कहलाएगा। अभी चीन चाहता है कि वह किसी भी कीमत पर रूस के साथ अपने रिश्तों को सामान्य बनाकर रखे फिर चाहे उसे अपने नागरिकों की बलि ही क्यों न देनी पड़े।