Corona: शिवराज चौहान को वापस पुराने Action में लौटना चाहिए क्योंकि MP की हालात अब तेजी से बिगड़ रही है

'संभल जाइये शिवराज वरना MP फिर हाथ से निकल जाएगा'

मध्य प्रदेश, शिवराज, कोरोना, इंदौर

देश में कोरोना का कहर जारी है। शुक्रवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश मे कोरोना पीड़ित लोंगो की संख्या 13,387 हो गयी है। इसमें 11,201 लोग अभी भी कोविड-19 वायरस से पीड़ित हैं, जबकि 1748 लोगों इस वायरस से मुक्त हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुक्रवार सुबह तक 437 लोग इस बीमारी से मारे जा चुके हैं। इनमें मध्य प्रदेश का हाल सबसे ज्यादा दयनीय होती जा रही है. राज्य में कोरोना के मामलों में एकाएक उछाल देखने को मिल रहा है. यहां यह बताना बेहद जरुरी है कि जब देश के कई राज्यों में कोरोना के मामले आ रहे थे तो मध्य प्रदेश में एक भी मामला सामने नहीं आया था. वहां राजनीतिक उठापटक चल रही थी. हालांकि जैसे ही सियासी गतिविधियां खत्म हुईं मामले बढ़ते ही गए.

एक हफ्ते में 229 कोरोना पॉजिटिव से 1341 तक

मध्य प्रदेश में पिछले एक हफ्ते में 229 कोरोना पॉजिटिव से 1341 तक पहुंच गया है. इसके साथ ही 55 लोगों की जानें भी गई हैं. 9 दिन पहले की बात करें तो मात्र 3 जिले ही रेड जोन में थे लेकिन अब हालात ये है कि 12 जिलों को रेड जोन घोषित कर दिया गया है. वहीं स्थानीय अखबार भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन में ही इंदौर में 224 मामले सामने आए हैं.

94 स्वास्थ्यकर्मी और 4 IAS कोरोना पॉजिटिव

प्रशासन की खराब मैनेजमेंट के चलते राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी आंकड़ों को मानें तो भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के कुल 94 अधिकारी और कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

इसके साथ ही ये खबर भी सामने आई कि राज्य के 4 आईएएस ऑफिसर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों के सैंपल्स की भी जांच हो रही है. इसका मतलब साफ है कि कोरोना के योद्धाओं को मैदान में बिना सुरक्षा के ही उतार दिया जा रहा है जिससे वे कोरोना की चपेट में आ जा रहे हैं.

इंदौर सबसे खतरनाक हॉट-स्पॉट

इंदौर एमपी का सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर बन चुका है. अभी तक कुल 696 मामले केवल इसी शहर से आए हैं. वहीं 55 में से कुल 39 लोगों की मौत भी इसी शहर की है.  दरअसल, पिछले काफी समय से इंदौर से परेशान करने वाली खबरें आ रही हैं।

कोरोनोवायरस संदिग्धों की जांच करने के लिए क्षेत्र में स्वास्थ्य कर्मियों के पहुंचने के बाद, इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाके से वीडियो वायरल हुआ था, जहां स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम पर एक उग्र भीड़ ने हमला कर दिया था। हमला करने वाले लोग कोई और नहीं बल्कि तबलीगी जमात से संबंध रखने वाले लोग थे. ये लोग मरकज के जलसे से होकर आए थे जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम इनकी जांच करने पहुंची थी.

उसी दिन के बाद से ही इंदौर के टाटपट्टी इलाके में कोरोना के मामलों में अचानक उछाल देखी गई. इसके साथ ही इस क्षेत्र के कब्रिस्तान में कई शवों को दफनाया गया. बताया जा रहा है कि चार कब्रिस्तानों में कुल 163 लोगों को दफनाया गया है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

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जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे कोरोना कई शहरों में अपने पांव पसार रहा है. इंदौर के बाद कई शहरों में कोरोना के मामले बढ़े हैं. राजधानी भोपाल भी अब कोरोना की चपेट में आ गया है. भोपाल में 29 नए मामले जांच में सामने आए हैं. इसके साथ ही भोपाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 196 हो गई है.

राज्य में कोरोना ने जिस तरह से विकराल रुप दिखाया है इसमें सिर्फ शिवराज सरकारी की नाकामी है. राज्य के अस्पतालों में कुप्रबंधन के कारण डॉक्टर काम करना नहीं चाहते. इसीलिए वे इस्तीफों की झड़ी लगा रहे हैं. ग्वालियर के जय आरोग्य अस्पताल के 50 डॉक्टरों ने कुप्रबंधन के कारण इस्तीफा दे दिया. यहां यह बताना जरुरी है कि कई डॉक्टर पहले ही कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं.

अब आप समझ सकते हैं कि अगर कोरोना के योद्धाओं को ही जब सरकार सुरक्षा नहीं प्रदान कर सकती तो क्या कोरोना के मरिजों को सुरक्षा देगी. सबसे पहले शिवराज चौहान की जिम्मेदारी बनती है कि राज्य के हर अस्पतालों में कोरोना डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक चीजें मुहैया कराएं. इसके साथ ही युद्ध स्तर पर कोरोना संदिग्धों की जांच करें.

शिवराज चौहान मध्यप्रदेश के लोकप्रिय सीएम रहे हैं और वहां की जनता को उनसे काफी उम्मीदें हैं कि वे कोरोना से उन्हें उबारेंगे. ऐसे में शिवराज को अपने पुराने एक्शन में लौटना चाहिए और तमाम लापरवाहियों को सुधारते हुए इस राक्षसी वायरस का खात्मा करना चाहिए.

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