ताइवान ने सबसे पहले Corona पर चीन को Expose किया, फिर Corona से लड़ाई लड़ी, अब दुनिया सलाम कर रही है

ताइवान- 'अमेरिका और यूरोपिय यूनियन का साथ तो चीन की क्या औकात'

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PC: Financial Times

यह कोरोना काल चीन के लिए चाहे कितना भी स्वर्णिम क्यों ना साबित हो रहा हो, लेकिन एक मोर्चा ऐसा भी है जहां चीन को बड़ी मात मिलती दिखाई दे रही है। दरअसल, कोरोना के खिलाफ शानदार लड़ाई लड़ने वाले ताइवान को अब पूरी दुनिया सलाम कर रही है और चीन की इच्छा के विरुद्ध जाकर अमेरिका और यहां तक कि यूरोपियन यूनियन भी अब ताइवान के योगदान की सराहना करने लगे हैं

ताइवान ने ना सिर्फ अपने यहां कोरोना को काबू किया है, बल्कि वह अब दुनिया के कई देशों को मेडिकल सहायता भी पहुंचा रहा है और इसके साथ ही EU के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस बीमारी के इलाज को खोजने की कोशिशों में भी जुटा है। दूसरी तरफ चीन WHO के जरिये ताइवान को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि चीन इस बाजी को अब हारने की कगार पर पहुंच चुका है।

चीन को पिछले महीने सबसे बड़ा झटका तब लगा था जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने TAIPEI कानून पर अपने हस्ताक्षर किए थे। इस कानून के बनने के बाद अब अगर कोई भी देश चीन के दबाव में ताइवान के साथ अपने रिश्तों को खराब करेगा तो उसके खिलाफ अमेरिका प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कदम भी उठा सकेगा। इस कानून के बनने के बाद चीन ने अमेरिका पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने और चीन की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लगाए थे।

लेकिन ये तो बस शुरुआत थी, कल यानि 1 अप्रैल को यूरोपियन यूनियन की सर्वोच्च नेता उर्सुला वॉन ने मदद पहुंचाने के लिए ताइवान की तारीफ़ों के पुल बांध दिये। उन्होंने ट्विटर पर लिखा “5.6 मिलियन मास्क दान करने के लिए यूरोपियन यूनियन ताइवान की तारीफ करना चाहता है। हम एकता के इस संदेश का स्वागत करते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए इसी तरह के साथ की ज़रूरत है। यह दिखाता है कि इस लड़ाई में हम सब एक साथ है”। इससे पहले ताइवान का ऐसा समर्थन हमें अमेरिका की ओर से ही देखने को मिलता था, लेकिन EU की ओर से ऐसे बयान आने के कई मायने निकाले जा सकते हैं।

यूरोपियन यूनियन की ताइवान को लेकर ऐसी स्वीकारोक्ति चीन और ताइवान, दोनों को ही बड़ा संदेश है। जब चीन की “मास्क डिप्लोमेसी” पर यूरोपियन यूनियन के कुछ देशों ने चिंता जताना शुरू की थी, तो चीन ने कहा था इस तरह की सहायता को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, अब यूरोपियन यूनियन ने चीन की इसी तरकीब को चीन के खिलाफ ही इस्तेमाल कर लिया है।

चीन इस कोरोना काल में शुरू से ही WHO के जरिये ताइवान को दबाने की करता आ रहा है। पिछले दिनों WHO का नाटक तब एक्सपोज हुआ जब हॉन्ग-कॉन्ग के एक न्यूज़ चैनल ने WHO के एक अधिकारी का इंटरव्यू लिया। तब रेडियो टेलीविजन हॉन्ग-कॉन्ग RTHK की एक पत्रकार ने वीडियो कॉल पर WHO से ताइवान की स्थिति के बारे में पूछा था। इसपर पहले तो सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने वीडियो कॉल ही काट दिया। लेकिन जब पत्रकार ने दोबारा उनसे सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि “वे चीन के मुद्दे पर पहले ही बात कर चुके हैं और कृपया अगला सवाल पूछें”।

अब जैसे-जैसे दुनिया के देश और ईयू जैसे संगठन ताइवान के समर्थन में खड़े होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे WHO और चीन की पोल भी खुलती जा रही है। अब आवश्यकता है कि पूरी दुनिया को एकसाथ होकर WHO और चीन से कुछ कड़े प्रश्न पूछने की और ताइवान का समर्थन करने की। ताइवान ने चीन के एजेंडे के बावजूद जो काम कर दिखाया है, उसकी जितनी सराहना की जाये, उतनी कम है।

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