कभी भूखे भारत ने अमेरिका से अनाज मांगा था, आज कोरोना के कारण अमेरिका भारत की शरण में आया है

अमेरिका ने तो हमें सड़ा अनाज दे दिया था, लेकिन भारत सच्ची दोस्ती निभाना जानता है

कोरोना, अमेरिका, गेहूं, अनाज, केमिकल, ट्रम्प, मोदी, भारत, अमेरिका

हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच वार्ता हुई, जिसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में आवेदन किया कि भारत वुहान वायरस से निपटने के लिए आवश्यक दवाई hydroxychloroquine की आवश्यक पूर्ति पर लगी रोक को हटाया जाये।

डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार, “मैंने अभी हाल ही में पीएम मोदी से बात की है। उनसे बात करने के बाद मुझे आशा है कि भारत hydroxychloroquine की आपूर्ति पर लगी रोक को जल्द ही हटाकर अमेरिका का कार्य सरल बनाएगा”

बता दें कि वुहान वायरस की चपेट में 11 लाख से ज़्यादा लोग आ चुके है, जिसमें से 65000 से ज़्यादा लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। अमेरिका की हालत इस समय सबसे बुरी है, क्योंकि 3 लाख 11 हज़ार से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, और 8000 से ज़्यादा लोग दम तोड़ चुके हैं। जैसे स्वाइन फ्लू की महामारी के दौरान टैमीफ्लू काफी कारगर रही थी, उसी भांति hydroxychloroquine वुहान वायरस के कई मामलों से निपटने में बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। फिलहाल भारत ने hydroxychloroquine दावा के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिसके कारण अमेरिका को भारत से याचना करनी पड़ रही है।

यहाँ विधि का विधान देखिये। आज वही अमेरिका हमारे समक्ष हाथ जोड़े खड़ा है, जिसने कभी भारत द्वारा सहायता मांगने पर उसे दुत्कार दिया था। ये बात है 1964 की, जब भारत कई चुनौतियों से जूझ रहा था। जवाहरलाल नेहरू का देहांत हो चुका था, लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बने कुछ ही समय हुआ था और देश में ब्रिटिश काल के बाद पहली बार भयंकर अकाल पड़ा था।

तब सहायता के लिए भारत ने US से अनाज की मदद मांगी थी। कुछ लोग कहते हैं कि भारत को US ने मदद देने से मना कर दिया, तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भारत को US ने दोयम दर्जे का अनाज भेजा था। अब कारण चाहे जो भी रहा हो, इस विश्वासघात के बाद ही भारत में हरित क्रान्ति की नींव पड़ी।

इसके अलावा भारत और अमेरिका के कूटनीतिक रिश्ते भी ज़्यादा मधुर नहीं थे, क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री को छोड़कर अधिकांश प्रधानमंत्री अमेरिका के धुर-विरोधी सोवियत संघ के प्रति ज़्यादा नर्म थे। इन गलतफहमियों के कारण भारत और अमेरिका के सम्बन्धों में काफी दरार पड़ी थी। परंतु 1991 के उदारीकरण के पश्चात भारत और US के सम्बन्धों में काफी सुधार हुआ। आज US न केवल भारत को अपना परम सहयोगी मानता है, अपितु भारत से इस संकट की घड़ी में सहायता की आँखों से देख भी रहा है।

शुरु-शुरु में जब वुहान वायरस ने अमेरिका में दस्तक दी तो ट्रम्प प्रशासन ने कोई खास एक्शन नहीं लिया. लिहाजा ये वायरस तेजी के साथ न्यू यॉर्क समेत कई राज्यों में फैलता गया जैसे किसी जंगल में आग लग गया हो. फिलहाल हालात हाथ से निकलता दिखाई दे रहा है।

ऐसे में अमेरिका अब भारत की ओर सहायता की दृष्टि से देख रहा है। कभी जिस देश को तुच्छ समझ उन्होने दुतकारा था, आज उसी देश से वह मदद मांग रहा है। अब देखना यह है कि भारत अमेरिका की सहायता करने के लिए आगे बढ़ता है कि  नहीं।

Exit mobile version