“सिर्फ इंसान ही गलत नहीं होते, वक्त भी गलत हो सकता है”
अफसोस, अब ऐसे दमदार संवाद शायद ही सुनने को मिले। 29 अप्रैल 2020 भारतीय सिनेमा प्रेमी के लिए एक ऐसा घाव दिया है, जिसे शायद ही कभी भरा जा सके। विख्यात अभिनेता इरफान खान का आज कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। वे काफी समय से कोलोन इंफेक्शन से जूझ रहे थे, जिसके कारण एक बार उनकी कीमोथेरेपी भी हुई थी।
इरफान खान के असामयिक निधन से पूरा फिल्म जगत और भारत शोक में डूब गया है। जिस उद्योग में बिना किसी पहचान और ऊंची पहुंच के अपनी पहचान बना पाना लगभग असम्भव था, उस बॉलीवुड में इरफान एक चमकते सितारे के रूप में उभर कर सामने आए। क्या बूढ़े, क्या युवा, हर कोई उनकी अदाकारी का दीवाना था। शायद यही कारण है देश और दुनिया भर में कई लोग उनके निधन से काफी ज़्यादा व्यथित है।
देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि इरफान खान का निधन वैश्विक सिनेमा और रंगमंच के लिए बहुत भारी क्षति है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि कैसे देश ने एक सदात्मा और एक उत्कृष्ट अभिनेता को खो दिया।
Irrfan Khan’s demise is a loss to the world of cinema and theatre. He will be remembered for his versatile performances across different mediums. My thoughts are with his family, friends and admirers. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2020
Anguished over the sad news of Irfan Khan’s demise. He was a versatile actor, who’s art had earned global fame and recognition. Irfan was an asset to our film industry. In him, the nation has lost an exceptional actor and a kind soul. My condolences to his family and followers.
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) April 29, 2020
T 3516 – .. just getting news of the passing of Irfaan Khan .. this is a most disturbing and sad news .. 🙏
An incredible talent .. a gracious colleague .. a prolific contributor to the World of Cinema .. left us too soon .. creating a huge vacuum ..
Prayers and duas 🙏— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) April 29, 2020
बॉलीवुड भी इरफान खान को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने में पीछे नहीं रहा। छोटे बड़े सभी कलाकारों ने इरफान खान की मृत्यु पर अपना शोक जताया। अमिताभ बच्चन और अजय देवगन के अनुसार तो इरफान की मृत्यु फिल्म जगत के लिए किसी आपदा से कम नहीं है, तो अनुपम खेर के लिए यह सिनेमा जगत को बहुत बड़ी क्षति है।
Heartbroken to hear about Irrfan’s untimely demise. It’s an irreparable loss for Indian cinema. Deepest condolences to his wife & sons. RIP Irrfan.
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) April 29, 2020
इसके अलावा मुंबई पुलिस से लेकर फिल्म और खेल जगत के अनेकों हस्तियों ने इरफान खान को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
7 जनवरी 1967 को राजस्थान के टोंक जिले में पैदा हुए साहबजादे इरफान अली खान बचपन से ही अनोखे स्वभाव के थे। एक पत्रिका से साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि कैसे मुसलमान होते हुए भी उन्हें मांस मचछी में कोई रुचि नहीं थी, और उनके रिश्तेदार कहते थे कि मौलवी के घर पंडित पैदा हो गया है। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद इरफान दिल्ली के लिए निकले, जहां उन्होंने प्रतिष्ठित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हिस्सा लिया।
बतौर अभिनेता इरफान खान ने रंगमंच पर जलवा बिखेरने के बाद टीवी की ओर रुख किया, जहां उन्होंने भारत एक खोज, चंद्रकांता, चाणक्य जैसे सीरियल में काम किया। उन्हें मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे में रोल भी मिला, पर अंत समय में उसे हटा लिया गया।
प्रारंभ में इरफान खान को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके अभिनय पर किसी को भी संदेह नहीं था, परन्तु उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल पाता। हालांकि, उनकी किस्मत ने तब पलटी खाई, जब 2003 में तिगमांशू धूलिया निर्देशित हासिल पर्दे पर आई। यूं तो इरफान का किरदार रणविजय काफी नकारात्मक था, परन्तु जिस तरह से उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लहजे को पकड़ा और जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को जिया, वे विलेन होकर भी कईयों की नजर में हीरो बन गए। इरफान को इस बेहतरीन अदाकारी के लिए 2004 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
इसके बाद तो इरफान खान को वह स्थान मिला, जो कभी बॉलीवुड में प्राण साहब के पास हुआ करता था। अपनी अदाकारी से इरफान किसी भी फिल्म में जान डाल सकते थे, चाहे वह कितनी ही घिसी पिटी क्यों ना हो। ये इरफान ही थे जिन्होंने हॉलीवुड में भारतीयों की पारंपरिक छवि को तोड़ते हुए कई अहम रोल निभाए। चाहे वो लाइफ ऑफ पाई हो, Inferno (इन्फर्नो) हो या फिर जुरासिक वर्ल्ड ही क्यों ना हो, इरफान ने भारत को हॉलीवुड में एक पहचान दिलाई।
परन्तु बॉलीवुड में वे इतने प्रसिद्ध नहीं थे। हालांकि, इसमें भी बदलाव हुआ, जब 2012 में तिगमांशू धूलिया के निर्देशन में एक बार फिर वे सामने आए पान सिंह तोमर। कैसे एक पूर्व भारतीय खिलाड़ी अपने हाथ में कानून लेने को विवश हो जाता है, इसे इरफान ने ऐसे जिया, की उन्हें आलोचकों और दर्शकों, दोनों का ही भरपूर प्यार मिला। इस रोल के लिए इरफान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
इसके बाद तो इरफान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। डी डे, तलवार, कारवां, हिंदी मीडियम जैसी फिल्मों में इन्होंने अपनी अदाकारी की बेमिसाल छाप छोड़ी। इरफान की जिजीविषा ऐसी थी कि एंडोक्राइन ट्यूमर से जूझने के बावजूद उन्होंने अंग्रेज़ी मीडियम ना सिर्फ पूरी की, बल्कि अपने किरदार को जीवंत भी किया।
आज इरफान खान हमारे बीच नहीं है, पर अपनी अदाकारी और अपने बेबाक व्यक्तित्व से उन्होंने भरीतया सिनेमा को कुछ अनमोल उपहार दिए हैं, जिन्हें सहेजना अब हमारा दायित्व है। इरफान ने जाते जाते आनंद फिल्म के इस संवाद को भी अमर कर दिया, “बाबू मोशाय, ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं।”