दक्षिण चीन सागर में चीन शुरू से ही गुंडागर्दी करता आया है। वह इस हिस्से पर अपना राज चाहता है. जिसका फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और इण्डोनेशिया जैसे देश कड़ा विरोध करते हैं। कोरोना वायरस के समय में भी चीन इस इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए काफी समय से आक्रामकता दिखा रहा है। हालांकि, अब लगता है कि दक्षिण चीन सागर से सटे देशों के सब्र का बांध अब टूट चुका है और उन्होंने साथ मिलकर एक स्वर में ड्रैगन को मज़ा चखाने की नीति बना ली है।
जैसे ही चीन में कोरोना का खतरा कम होता होता गया, वैसे-वैसे दक्षिण चीन सागर में उसकी गुंडागर्दी बढ़ती गयी। हाल ही में ताइवान ने यह शिकायत की थी कि चीन ने ताइवान के कुछ मछलीपालकों का न सिर्फ अपमान किया बल्कि उनकी vessels को भी निशाना बनाया। इसी प्रकार चीनी नेवी पिछले कुछ समय से मलेशिया के इलाके में भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। चीन की गुंडागर्दी की हद तो तब हो गयी जब कुछ दिनों पहले चीन ने फिलीपींस के अधिकार क्षेत्र में आने वाले हिस्से को अपने हैनान प्रांत का जिला घोषित कर दिया।
At 5:17 pm today the Chinese embassy received 2 diplomatic protests: 1. on the pointing of a radar gun at a Philippine Navy ship in PH waters & 2. declaring parts of Philippine territory as part of Hainan province—both violations of international law & Philippine sovereignty.
— Teddy Locsin Jr. (@teddyboylocsin) April 22, 2020
फिलीपींस की सरकार ने चीन से इसका कड़ा विरोध जताया और चीन के राजदूतों को पत्र भेजकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की। फिलीपींस के मुताबिक उसके हिस्से को चीन का जिला घोषित करके ना सिर्फ चीन ने अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है बल्कि फिलीपींस की संप्रभुता के साथ भी खिलवाड़ किया है। इतना ही नहीं, फिलीपींस की सरकार ने फिलीपींस की जल सीमा में चल रहे उसके जहाजों पर रडार से नज़र रखने के लिए भी चीन की आलोचना की।
सिर्फ फिलीपींस ही नहीं, बल्कि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत वियतनाम और ताइवान के इलाकों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। हालांकि, वियतनाम ने अब की बार चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में देर नहीं लगाई।
दरअसल, चीन ने पारसेल द्वीप को अपना एक जिला घोषित कर दिया। पारसेल को वियतनाम और ताइवान दोनों अपना हिस्सा मानते हैं। चीन के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए वियतनाम से इसे “कानूनों का उल्लंघन” बताया। वियतनाम के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ले थी थू हांग ने चीन को धमकी देते हुए कहा-
“चीन का यह कदम दोनों देशों की दोस्ती के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे कदम वियतनाम की संप्रभुता को ठेस पहुंचाते हैं। उम्मीद है कि चीन ना सिर्फ अपने इस कदम को वापस लेगा बल्कि भविष्य में ऐसे कदम उठाने से भी परहेज करेगा”।
मलेशिया के विदेश मंत्री भी अब चीन को जल्द से जल्द अपना आक्रामक रुख छोड़कर शांति के रास्ते पर आने की बात कर चुके हैं। दरअसल, मलेशिया के exclusive economic zone (EEZ) में चीन लगातार घुसपैठ कर रहा है, जिसके जवाब में हाल ही में मलेशिया के विदेश मंत्री ने कहा–
“हमारे इलाके में लगातार चीन की मौजूदगी ने इस क्षेत्र की शांति को खतरे में डाल दिया है। अगर चीन जल्द ही यहाँ से नहीं निकला तो यह कई गलतफहमियों को जन्म दे सकता है”।
मार्च के अंत से लेकर अब तक चीन अपने पड़ोसी देश ताइवान पर भी धाक जमाने की कोशिश करता आया है। वह लगातार ताइवान के आसपास कई सैन्य अभ्यास करके ताइवान को संदेश देने की कोशिश कर रहा है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में अपने एक ट्वीट में कहा था कि चीन को इस तरह सैन्य गुंडागर्दी करना छोड़कर कोरोना को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।
इन सब देशों के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी दक्षिण चीन सागर में चीन को आँख दिखाने के लिए अपने जंगी जहाजों को दक्षिण चीन सागर में भेज चुके हैं। इतना ही नहीं, ये दोनों देश मिलकर इसी हफ्ते दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं।
इस युद्धाभ्यास में तीन अमेरिकी और एक ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाज ने हिस्सा लिया था। अमेरिका ने चीन को धमकी जारी करते हुए कहा था कि दक्षिण चीन सागर में उसकी तानाशाही नहीं चलेगी। बीते बुधवार को अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोंपियों ने कहा था-
“अमेरिका दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडागर्दी की निंदा करता है। हम चीन द्वारा ताइवान पर दबाव बनाने और वियतनाम की वेसेल्स को निशाना बनाने की भी निंदा करते हैं”।
ये सब घटनाएँ अपने आप में बहुत गंभीर और बड़ी हैं और ये सब पिछले एक महीने के दौरान ही घटी हैं। इसका अर्थ साफ है कि दक्षिण चीन सागर से सटे देश अब चीन के खिलाफ एक स्वर में बुलंद आवाज़ में बोल रहे हैं और चीन पर लगातार कूटनीतिक दबाव बना रहे हैं। चीन दक्षिण चीन सागर पर से अपना प्रभाव लगातार खोता जा रहा है।