कोरोना से पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त हो चुकी है लेकिन कोरोना के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति और भी भयावह हो सकती है। लेकिन डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत ने इस पर भी प्लानिंग शुरू कर दी है और इसकी कमान मिली है NSA अजित डोभाल को।
यूरोप की हालत बद से बदतर होती जा रही है और अमेरिका में भी यही हाल है। हालांकि, भारत में केंद्र सरकार के कुछ अग्रिम कदम से कोरोना अभी भी काबू में है और अभी तक 7000 से अधिक पॉज़िटिव मामले सामने आए हैं। सरकार स्थिति को देखते हुए त्वरित निर्णय ले रही है और केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय समन्वय से एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। केंद्र ने न सिर्फ वर्तमान में कड़े निर्णय लिए हैं बल्कि भविष्य यानि कोरोना के बाद होने उत्पन्न होने वाली स्थिति के लिए प्लान पर भी ध्यान दे रही है और इसका जिम्मा सौंपा है NSA यानि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को।
एक तरफ जहां कोरोना के समय में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर गृह, वित्त और विदेश मंत्रालय PMO के साथ मिलजुल कर काम कर रहा है तो वहीं, PMO का ही एक अंग National Security Council Secretariat यानि NSCS कोरोना के बाद सभी क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाली स्थिति को भांपने और उसके लिए प्लान बनाने में जुटा हुआ है। बता दें कि NSCS अजित डोभाल को ही रिपोर्ट करता है।
Stratnewsglobal की रिपोर्ट के अनुसार NSA अजित डोभाल ने NSCS के विभिन्न भागों को कोरोना के बाद विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले बदलाव से लेकर उसके समाधान के लिए शोध करने का काम सौंपा है।
कोरोना के बाद आने वाले महीने सिर्फ कोरोना के मरीजों और डाक्टरों तक ही नहीं सीमित रहने वाला है। इसका असर समाज से लेकर अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा पर भी होने वाला है। पाकिस्तान अभी से ही बार्डर पर सीज फायर का उलंघन करना शुरू कर चुका है और वहीं दूसरी तरफ चीन से भी सावधान रहने की आवश्यकता है।
यह शोध सामाजिक व्यवस्था में आर्थिक गिरावट से लेकर आंतरिक सुरक्षा और पाकिस्तान तथा चीन के कोरोना के बाद व्यवहारों पर भी किया जाएगा। साथ ही इस पर भी ध्यान दिया जाएगा कि देश की सुरक्षा को इन सभी से किस तरह का खतरा हो सकता है और उसका समाधान क्या होगा।
NSCS इन सभी मुद्दों का अध्ययन करेगी कि कोरोना के बाद आने वाली सभी समस्याओं का व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्थिति में देश और समाज पर क्या असर पड़ सकता है।
इस शोध को सिर्फ सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों पर ही नहीं केन्द्रित रहेगा बल्कि NSCS इसके लिए गैर सरकारी क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भी मदद लेगी।
इसके लिए सभी क्षेत्रों जैसे अर्थव्यवस्था, मेडिसिन, वित्तीय और साइबर क्षेत्र के गैर सरकारी विशेषज्ञों से राय और इनपुट लिया जा रहा है जिससे कोरोना के बाद के लिए एक विस्तृत रोड मैप तैयार किया जा सके।
इसके लिए पूरी टीम युद्ध स्तर पर लगी हुई है। तीनों डेप्युटी NSA मिलिट्री ऐडवाइजर और national cyber security coordinator ने सभी अलग अलग क्षेत्रों की कमान संभाली हुई है। एक बार यह शोध पूरा हो गया उसके बाद इसे प्रधानमंत्री और मत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।
एक बार फिर से अजित डोभाल को कोरोना के बाद की स्थिति को संभालने के लिए अध्ययन और शोध की ज़िम्मेदारी दिया जाना दिखाता है कि वह फील्ड और ऑफिस दोनों के माहिर खिलाड़ी और लीडर हैं। यह कदम अत्यंत आवश्यक था क्योंकि बिना किसी दूरदर्शिता के हमारा देश खतरे में पड़ सकता था।
अगर अभी तक हम भारत के उठाए गए कदमों को देखें तो यह प्रभावशाली है क्योंकि जितनी आबादी हमारे देश की है और मेडिकल इनफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए यूरोप और अमेरिका से मामले काफी कम हैं। अब तो भारत अमेरिका सहित स्पेन ब्राज़ील और सार्क देशों को Hydroxychloroquine भी दे रहा है, लेकिन फिर भी यह काफी नहीं है और भविष्य की तैयारी करना अतिआवश्यक था। इसीलिए कोरोना के बाद कि स्थिति से निपटने के लिए NSCS को अजित डोभाल के नेतृत्व में यह काम सौंपा गया है।