कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जैसे ही भारत समेत दुनिया के देशों ने अपने यहां लॉकडाउन को घोषित किया, वैसे ही विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ती गयी। भारत सरकार ने इससे पहले ईरान, इटली, चीन जैसे देशों में फंसे अपने नागरिकों को निकाला था, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना का संकट गहराता गया, वैसे-वैसे सभी नागरिकों को वापस देश लाना नामुमकिन हो गया, क्योंकि भारत से लाखों की संख्या में लोग इन देशों में गए हुए हैं।
जब भारत सरकार के लिए इन लोगों की मदद करना असंभव हो गया तो भारत सरकार ने अपने राजदूतों के माध्यम से उन सभी देशों में रह रहे अनिवासी भारतीयों(NRIs) से संपर्क साधा और लॉकडाउन में फंसे हुए भारतीयों की मदद करने का अनुरोध किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ एक बार मदद के लिए कहने पर अनिवासी भारतीयों ने वहाँ फंसे नागरिकों की मदद के लिए जी-जान लगा दी।
उदाहरण के लिए अमेरिका को ही ले लीजिये, वहाँ लाखों की संख्या में भारतीय छात्र पढ़ते हैं। जब भारत में लॉकडाउन किया गया तो ये सभी वहां फंस गए। फिर क्या था, वहां की Indian-American community सामने आई और 4 होटलों के एक ग्रुप ने मिलकर इन फंसे हुए भारतीयों के लिए फ्री में रहने के लिए व्यवस्था की। देखते ही देखते, और भी लोग भारतीय-अमेरिकी कम्यूनिटी की इस पहल से जुडते गए और भारतीय छात्रों के लिए 5 हज़ार कमरों का बंदोबस्त कर दिया गया, वो भी बिलकुल मुफ्त खाने के साथ! तब अमेरिका में मौजूद भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट कर इस पर खुशी जताई थी और कहा था इसी प्रकार भारतीय समुदाय कोविड-19 की चुनौती से निपटेगा!
Continuing our efforts to reach out to Indian Students in United States.
Peer Support Line is a unique and good initiative that will help hundreds of students across the country to connect, share experiences & support each other in these difficult times. https://t.co/RIpGQLdxQV— Taranjit Singh Sandhu (ਮੋਦੀ ਦਾ ਪਰਿਵਾਰ) (@SandhuTaranjitS) March 27, 2020
इसी प्रकार कनाडा में भारतीय कम्युनिटी ने वहां फंसे भारतीयों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कनाडा में अभी लगभग 3 लाख भारतीय पासपोर्ट धारक लोग रहते हैं, और इनमें से आधे छात्र हैं। इन फंसे लोगों की मदद करने इंडो-कनाडाई संस्थाएं सामने आई। किंगस्टन और ओंटारियो में ऐसी संस्थाओं के साथ-साथ गुजराती ग्रुप ऑफ ब्रांपटन, हिन्दू हेरिटेज सेंटर और कई मंदिरों और गुरुद्वारों ने इन छात्रों की मदद करने का बीड़ा उठाया। इसके साथ ही Canada India Foundation और हिन्दू संघ ने साथ मिलकर एक ऑनलाइन पोर्टल http://covid-19-help.ca/ को शुरू किया ताकि सभी इच्छुक मददगारों को इकट्ठा एक मंच पर लाया जा सके।
कुछ ऐसे ही UK में देखने को मिला, जहां फंसे हुए छात्रों की मदद के लिए भारतीय समुदाय के छात्रों का एक संगठन INSA सामने आया, और इन छात्रों की रेंट संबन्धित कानूनी सहायता करने से लेकर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और पैसों की किल्लत को दूर करने की कोशिश की। INSA ने एक और भारतीय संगठन Friends of India Society International यानि FISI को अपने साथ लिया और सभी लोगों के लिए राहत कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया।
आपदा के समय विदेशों में जब कोई भारतीय किसी अन्य भारतीय से मदद पाता है तो उसकी चिंता कई गुना कम हो जाती है, और यही हमें UK में देखने को मिला। ये दोनों संगठन अब भी मिलकर भारतीय लोगों की मदद कर रहे हैं और हर दिन इनके पास हजारों की संख्या में फोन काल्स आते हैं।
इसी प्रकार जब ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों को मदद की ज़रूरत पड़ी, तो भारतीय समुदाय सबसे पहले आगे आया और इन फंसे हुए लोगों को हर संभव मदद पहुंचाई। WION को इंटरव्यू देते हुए ऑस्ट्रेलिया में भारत के राजदूत गीतेश शर्मा ने कहा–
“मुझे खुशी है कि भारतीय समुदाय ने राहत कार्य में सक्रिय भागीदारी निभाई है। कोई भी संस्था फिर चाहे वह भाषा से जुड़ी हो, राज्य से जुड़ी हो, समुदाय से जुड़ी हो, सभी ने भारतीयों की मदद करने का बीड़ा उठाया है”।
आज दुनियाभर में करीब 1 करोड़ 70 लाख अनिवासी भारतीय यानि NRIs रहते हैं, और ये इस विपत्ति के समय अपने देश के नागरिकों की भरपूर मदद कर रहे हैं। इनका योगदान सिर्फ इतना ही नहीं है, बल्कि ये देश की अर्थव्यवस्था में भी अपनी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
ये NRI समुदाय के लोग विदेशों से लगभग 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर हर वर्ष भारत में भेजते हैं जिससे ना केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है बल्कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, जापान सहित दुनियाभर में बसे लाखों भारतीय वहां नौकरी और व्यापार करते हैं। ये प्रवासी उन देशों की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के साथ ही हर साल भारत में अपनी कमाई का एक हिस्सा भी भेजते हैं।
यह तथ्य है कि दुनिया में भारत उन देशों में है, जहां के बाहर रहने वाले नागरिक सबसे ज्यादा पैसा अपने देश में भेजते हैं। चीन इस मामले में बहुत पीछे है। विदेश में रहने वाले चीनी नागरिकों ने 2018 में अपने देश में 67,414 मिलियन डॉलर भेजे हैं। यह हिस्सा चीन की जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है। जबकि यही एनआरआई जो पैसा भारत में भेजते हैं, वह भारत की कुल GDP का लगभग 3 प्रतिशत है। यह भारतीय समुदाय शुरू से ही भारत सरकार की मदद करता आया है, और जिस प्रकार वह कोरोना के समय में भारतीय लोगों की मदद कर रहा है, वह सराहनीय है।