‘हिंदुओं-मुसलमानों को अलग Ward में रखा जाता है’, Indian Express के Fake News पर लिबरलों की छाती फटी

सच्चाई ये है कि लक्षणों के आधार पर अलग-अलग वार्डों में रखा गया था!

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कहते हैं ”चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए”। कभी पत्रकारिता की मिसाल माने जाने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने मानो पत्रकारिता की धज्जियां उड़ाते हुए गुजरात के अस्पतालों के बारे में एक झूठी खबर फैला दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि गुजरात के अस्पतालों में धर्म के आधार पर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक- मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ गुणवंत एच राठौड़ कहते हैं, वैसे तो हमारे यहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं, परन्तु यहां हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए भी अलग-अलग वार्ड हैं। ये सरकार के दिशानिर्देश अनुसार है

इस हिट जॉब को वायरस होने में ज़रा भी समय नहीं लगा और चीखते चिल्लाते हुए वामपंथियों की टोली अपने आइकॉनिक रूदाली के लिए सामने आ गए। गुजरात पर अपने घटिया दावों के साथ सुर्खियों में आई राणा अय्यूब को मानो दिव्य दृष्टि मिल गई हो0, और मोहतरमा ट्वीट करती हैं-

“आमतौर पर, पुरुष और महिला रोगियों के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं। लेकिन यहां हमें हिंदू और मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड देखने को मिल रहे हैं। यह गुजरात सरकार के निर्देश पर किया गया है.

राणा अय्यूब के ट्वीट का समर्थन करते हुए राजदीप सरदेसाई भी अपना करुण क्रंदन दिखाने के लिए प्रकट हुए। जनाब कहते हैं-

एक खांटी अमदावादी होने के नाते मैं स्तब्ध हूं। धर्म के नाम पर वार्ड बांटे जा रहे हैं? शर्मनाक!”

फिर सामने आईं अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कमिशन फॉर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम, जिसे भारत से कुछ विशेष लगाव है। तभी तो ये ट्वीट करते हैं-

“USCIRF काफी चिन्तित है इन रिपोर्ट्स से। ऐसे मामले केवल भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को बढ़ावा देते हैं

अब ऐसी रेस में भला प्रशांत भूषण कैसे पीछे छूट सकते थे? जनाब ट्वीट करते हैं-

शॉकिंग! अहमदाबाद के अस्पतालों में धर्म के आधार पर वार्ड बांट जा रहे हैं? सुना है इसे सरकार की मंजूरी मिली है। क्या यही है गुजरात मॉडल?”

सभी इंडियन एक्सप्रेस के इस लिंक को ज़ोर-शोर से प्रोमोट कर रहे थे, परन्तु किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने तुरंत इन खबरों का खंडन किया है। इसके अलावा PIB ने भी अपने फैक्ट चेक ट्वीट में इंडियन एक्सप्रेस के खोखले दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं.

हाल ही में पता चला कि जिस व्यक्ति के बयान को आधार बना द इंडियन एक्सप्रेस ने यह पूरा खेल रचा था, द क्विंट के झूठे रिपोर्ट की भांति वह भी बेबुनियाद और गलत था। स्वयं डॉ राठौड़ ने बताया-

ये जो न्यूज़ छापी गई है, और वह भी मेरे नाम से, वह सरासर झूठ है, गलत है। ऐसा मैने ना कुछ कहा, ना कहलवाया।

तो राई का पहाड़ द इंडियन एक्सप्रेस ने बनाया, और सभी वामपंथी इस पर हो हल्ला मचाकर गुजरात की छवि बिगाड़ने सामने आ गए। ये काफी शर्मनाक है कि ऐसे विकट परिस्थिति में भी द इंडियन एक्सप्रेस जैसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान देश में नफरत फैलाने में लगी हुई है.

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