भारत में सबको BCG का टीका लगाया जाता है, अब यही हम सब को कोरोना वायरस से बचाएगा

अगर भारत से सीख लेते, तो पश्चिमी देशों में इतनी तबाही नहीं आती

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कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को आज अपनी चपेट में ले लिया है। इस वायरस की वजह से दुनियाभर में 50 हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लगभग 1 मिलियन से ज़्यादा लोग इस वायरस से ग्रसित हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, यूके और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश इस वायरस के सामने बेजान दिखाई दे रहे हैं, लेकिन भारत में अभी यह वायरस बेकाबू नहीं हुआ है, और तबलीगी जमात कांड से पहले तक भारत में इतने ज़्यादा कोरोना के मामले सामने आ भी नहीं रहे थे। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में कोरोना के कम प्रभाव का सबसे बड़ा कारण BCG यानि Bacillus Calmette-Guerin का टीका भी हो सकता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बचपन में ही बच्चों को लगाया जाता है।

दरअसल, अभी New York Institute of Technology यानि (NYIT) ने अपनी एक स्टडी में खुलासा किया है कि BCG का टीका कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक साबित हो सकता है। इस स्टडी में लिखा गया है कि “हमने देखा है कि अमेरिका, इटली और नेदरलैंड जैसे जिन देशों में यूनिवर्सल इम्यूनिटी के लिए BCG के टीके नहीं लगाए जाते हैं, वहाँ इस वायरस का प्रभाव ज़्यादा बड़ा है”। यह दुनियाभर से आ रहे आंकड़ो के जरिये भी सत्यापित किया जा सकता है। जिन देशों में BCG का टीकाकरण किया जाता है, उन देशों में कोरोना वायरस के कारण होने वाली मृत्युदर बेहद कम है।

उदाहरण के लिए अमेरिका में 6 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और इटली में लगभग 15 हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इन सभी देशों ने BCG के टीकाकरण अभियान को बंद कर दिया है, और अब शायद इन्हें इसी बात का खामियाजा उठाना पड़ रहा है। Health Science server की एक रिपोर्ट से भी यह स्पष्ट होता है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे ईरान ने वर्ष 1984 में बहत समय गँवाने के बाद टीकाकरण अभियान शुरू किया था, जिसकी वजह से ईरान के बूढ़ों में इस वायरस के लिए प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है और ईरान में ज़्यादा लोग इस वायरस की वजह से मर रहे हैं।

वहीं भारत में वर्ष 1948 से ही बड़े ही आक्रामक तरीके से BCG के टीकाकरण अभियान को चलाया जाता रहा है, जिसके कारण आज लगभग हर नागरिक कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से कुछ हद तक अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के कारण बच जा रहा है। इसके साथ ही वर्ष 1985 से जब भारत ने इस कार्यक्रम में ट्यूबरक्लोसिस के लिए भी टीकाकरण करना शुरू किया, तो इस यूनिवर्सल इम्यून कार्यक्रम को और ज़्यादा बल मिला।

अब जैसे-जैसे BCG टीकाकरण और कोरोना से कम मौत होने के बीच कोई संबंध मिलना शुरू हुआ है, तो वैसे-वैसे भारत ने भी इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। दुनिया के सबसे बड़े टीका उत्पादक और पुणे में स्थित Serum Institute of India ने बर्लिन के Max Planck Institute for Infection Biology and Vaccine Projekt Management कंपनी के साथ अनुबंध किया है और दोनों कंपनियाँ इस बात पर शोध कर रही हैं कि TB की वेक्सीन VPM1002 कोरोना से लड़ने में कारगर है कि नहीं।

पश्चिमी देशों में TB के लिए कोई टीकाकरण नहीं किया जाता है क्योंकि TB उन देशों से लुप्त हो चुकी है। लेकिन भारत में TB के वैश्विक मामलों के 40 प्रतिशत मामले हैं और यहाँ वर्ष 2025 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। अगर यह सिद्ध हो जाता है कि TB की वेक्सीन ने कोरोना से लड़ने में कुछ हद तक सहायता मिलती है, तो भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई निर्णायक साबित हो सकती है।

यह पश्चिमी देशों के लिए भी सबक होगा जिन्होंने अब BCG का टीकाकरण करना छोड़ दिया है। ऐसा लगता है कि TB के खिलाफ आक्रामक युद्ध लड़ने के कारण अब भारत को वुहान वायरस से लड़ने में काफी आसानी होने वाली है।

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