पिछले कुछ सप्ताह से पूरी दुनिया ने चीन द्वारा की गयी बेहतरीन PR को देखा जिसमें ग्लोबल नैरेटिव को चीन के पक्ष दिखाने की भरपूर कोशिश की गयी। चीन ने कई देशों को मेडिकल सहायता देकर अपने इसी PR को बढ़ावा देने में लगा रहा कि चीन कि जिम्मेदार देश है जो कोरोना से लड़ने में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।
ग्लोबल टाइम्स में तो यह तक कह दिया गया कि कोरोना को काबू में करने के लिए चीन का मॉडल ही सबसे सक्षम मॉडल है। इस PR को और बड़े स्तर पर ले जाने के लिए चीन ने मास्क डिप्लोमेसी शुरू की और अन्य देशों को मास्क, वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल सामान देने लगा। अपनी PR के लिए चीन फेक न्यूज़ तक फैलाने से पीछे नहीं रहा और फेक अकाउंट से अपनी पीठ थपथपाता रहा। लेकिन कुछ ही दिनों में चीन के PR की पोल खुल गयी। कई देशों ने चीन से मिले खराब quality के मास्क और टेस्टिंग किट भी लौटा दिया।
इस बीच अगर चीन के गले की हड्डी कोई बना है तो वह ताइवान है। कई मौकों पर WHO के साथ चीन की पोल खोलने वाला यह देश अब मास्क डिप्लोमेसी कर चीन को आंखे दिखा रहा है। ताइवान ने हाल ही में 10 मिलियन मास्क दान करने का निर्णय लिया है।
एक छोटा सा देश जिसे WHO में चीन के दबाव की वजह से आज तक सदस्यता नहीं मिली उसने चीन को मास्क डिप्लोमेसी में ऐसी टक्कर दी है और चीन का ऐसा भंडाफोड़ किया है कि वह भी आने वाले कई वर्षों तक इसे नहीं भूलेगा।
दरअसल, ताइवान ही एक ऐसा देश था जो चीन के चलाये जा रहे PR के झांसे में नहीं आया और अपने देश में कोरोना को काबू करने में सफल रहा। बुधवार तक ताइवान जैसे चीन से सटे देश में मात्र 380 पॉज़िटिव मामले आए थे जिसमें से 5 की मौत हुई थी। यह चीन की सीमा से लगे देश के लिए एक अप्रत्याशित उपलब्धि है।
हालांकि ताइवान ने दिसंबर में ही WHO को कोरोना के बारे में सूचना दी थी लेकिन चीन के दबाव में आ कर WHO चीन का ही तोता बना रहा और ताइवान कि चेतावनी को नजरंदाज कर दिया। उसका परिणाम आज पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है।
इसके बाद जब चीन ने अपने देश में कोरोना को काबू करने के बाद अन्य देशों को मेडिकल किट और मास्क देकर मास्क डिप्लोमेसी करने का दिखावा करने लगा लेकिन वह इसी के साथ जिन देशों को मेडिकल सुविधा दे रहा था, उनसे या तो पैसे वसूल रहा था या फिर अपनी कंपनियों जैसे हुवावे के लिए रास्ते बना रहा था।
कई देशों को तो चीन ने नकली मेडिकल किट और मास्क बेच दिया। स्पेन से लेकर चेक गणराज्य तुर्की और मलेशिया तक ने कह दिया कि चीन से आए टेस्टिंग किट दोयम दर्जे के हैं। वहीं नीदरलैंड ने चीन की घटिया मास्क को वापस कर दिया।
लेकिन इसी बीच ताइवान ने अब मास्क डिप्लोमेसी कर चीन को यहाँ भी कड़ी टक्कर दे दिया है और सभी देश ताइवान के समर्थन में दिख रहे हैं। पहले तो ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने उन देशों को 10 मिलियन मास्क दान करने की योजना की घोषणा की है जो कोरोनोवायरस से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
ताइवान के विदेश मंत्रालय के अनुसार एक दिन में 13 मिलियन फेस मास्क का उत्पादन करने की क्षमता के साथ, ताइवान यूरोप को 7 मिलियन मास्क दान कर रहा है, जिसमें इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम और यूके हैं और साथ ही अमेरिका को भी 2 मिलियन मास्क शामिल हैं।
The European Union thanks Taiwan for its donation of 5.6 million masks to help fight the #coronavirus. We really appreciate this gesture of solidarity. This global virus outbreak requires international solidarity & cooperation. Acts like this show that we are #StrongerTogether.
— Ursula von der Leyen (@vonderleyen) April 1, 2020
1 अप्रैल को यूरोपियन यूनियन की सर्वोच्च नेता उर्सुला वॉन ने मदद पहुंचाने के लिए ताइवान की तारीफ़ों के पुल बांध दिये थे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा “5.6 मिलियन मास्क दान करने के लिए यूरोपियन यूनियन ताइवान की तारीफ करना चाहता है। हम एकता के इस संदेश का स्वागत करते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए इसी तरह के साथ की ज़रूरत है। यह दिखाता है कि इस लड़ाई में हम सब एक साथ है”। इससे पहले ताइवान का ऐसा समर्थन हमें अमेरिका की ओर से ही देखने को मिलता था, लेकिन EU की ओर से ऐसे बयान आने के कई मायने निकाले जा सकते हैं।
इसी वजह से ताइवान द्वारा कोरोना को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों को अभी तक 35 से अधिक देशों ने मान्यता दे दी है। सिर्फ मास्क ही नहीं बल्कि ताइवान ने अपने साथ राजनयिक संबंध रखने वाले 15 देशों को थर्मल इमेजिंग डिवाइस और इंफ्रारेड थर्मोमीटर भी देने का पेशकश की है। यही नहीं ताइवान ने चेक गणराज्य जैसे देशों के साथ चिकित्सा साझेदारी भी की है।
ताइवान के सफलता की पूरे विश्व में प्रशंसा ने इस द्वीप को बहुत आवश्यक वैश्विक एक्सपोजर प्रदान किया है, जिसने इस देश को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने और एक लोकतंत्र के रूप में पहचान हासिल करने की अपनी रणनीति में सफलता मिलेगी। इसी समर्थन के वजह से WHO में शामिल होने के लिए ताइवान की अपील का बल मिला है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि ताइवान ने कोरोना वायरस के खिलाफ चीनी मॉडल को काउंटर किया है जिससे बीजिंग को गहरा झटका लगा है। यही कारण है कि चीन के ताइवान अफेयर मिनिस्टर ने ताइवान के मास्क डिप्लोमेसी को गलत बताते हुए यह कहा “taking the wrong path of ‘worshipping everything foreign’ and engaging in a confrontation with the Motherland.”
बीजिंग ने ताइवान की संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सहयोग को एक नीच कदम और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए COVID-19 महामारी का उपयोग करने के लिए राजनीतिक साजिश का नाम दिया है।
इसी से समझा जा सकता है कि चीन ताइवान के मास्क डिप्लोमेसी से डरा हुआ है। चीन को बड़ी मात मिलती दिखाई दे रही है। ताइवान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह सक्रियता दिखाना चीन को बिलकुल भी नहीं भा रहा है। ताइवान ने अपने प्रतिकूल वातावरण में चीन के दबाव को सहकर जिस प्रकार कोरोना से टक्कर ली है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है। कोरोना के खिलाफ शानदार लड़ाई लड़ने वाले ताइवान को अब पूरी दुनिया सलाम कर रही है।
ताइवान के पास कोई सहायता नहीं थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उस पर प्रतिबंध लगाये हुए थे. इसके बावजूद ताइवान ने खुद को चीन से बेहतर साबित करके दिखाया।