हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक मौलवी लोगों को धमकाता फिर रहा है। तबलीगी जमात को निशाने पर लेने के कारण जनाब कह रहे हैं कि अगर तबलीगी के सदस्यों को निशाने पर लिया, तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
A #TabligiJamaat spokesman giving the real background of Jamaat members:
Most of them were big goondas and bad elements. They revere Maulana Saad who is uncrowned King of India – Ameerul Hind.
That’s why NSA has to be used against them. pic.twitter.com/mftxD80NYv— Koi Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) April 3, 2020
अपने आप को महाराष्ट्र में AIMIM का जनरल सेक्रेटरी बताने वाला मौलाना महफ़ूज़ उर रहमान इस वीडियो में ये कहता हुआ दिखाई दे रहा है कि कुछ मीडिया हाउस तबलीगी के सदस्यों को बदनाम करने पर तुला हुआ है और वुहान वायरस के नाम पर तबलीगी के सदस्यों के विरुद्ध झूठी अफवाह फैला रहे हैं।
इसके बाद मौलाना कुछ चैनल जैसे इंडिया टीवी, एबीपी न्यूज़ इत्यादि का उदाहरण देते हुए उन्हें धमकी देता है देता हैं कि यदि इन चैनलों ने तबलीगी के सदस्यों को बदनाम करना बंद नहीं किया, तो इसके गंभीर परिणाम उन्हे भुगतने पड़ेंगे। वो पूछता है कि आखिर किस आधार पर ये चैनल तबलीगी के सदस्यों के विरुद्ध बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
फिर मौलाना कहते हैं, “मीडिया ज़ुबान संभाल कर काम करे, तबलीगी जमात और मरकज़ को बदनाम करने की कोशिश न करे। मौलाना साद अमीर उल हिन्द हैं, वो मुसलमानों के बेताज बादशाह हैं, आप मुसलमानों के जज़्बात से खिलवाड़ मत कीजिये“।
इस एक बयान ने तबलीगी के सदस्य और उसके समर्थकों की पोल खोलकर रख दी। परंतु मौलाना यहीं पर नहीं रुका, आगे कहता है, “अगर आप किसी भी जमात के सदस्य का इंटरव्यू करें, तो आपको पता चलेगा कि वो एक समय बहुत बड़ा अपराधी है, यदि उन लोगों ने वापस अपना पेशा अपना लिया, तो आप बहुत बड़ी मुसीबत में होंगे। मैं आपको बताना चाहता हूं, मैं मीडिया और आपको चेतावनी दे रहा हूं”।
इससे स्पष्ट हो जाता है कि जमात के सदस्य वास्तव में क्या हैं। अब प्रश्न ये उठता है कि जमात यदि वास्तव में एक सुधारवादी संगठन है, जैसा कि वे दावा करती है, तो उसके सदस्य वापस अपराधी क्यों बनना चाहेंगे? क्या ये इसके संगठन के दोमुंहे स्वरूप के बारे में काफी कुछ नहीं बताता?
तबलीगी जमात के समर्थक खुलेआम ऐसी धमकियां देते हैं, और वैसे तिल का ताड़ बनाने में विशेषज्ञ मीडिया इस पर चुप्पी साधे बैठी है, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि वे कहीं न कहीं इस मौलवी के विचारों को अप्रत्यक्ष समर्थन देते हैं, जो बहुत ही शर्मनाक है। यदि मीडिया में तनिक भी शर्म बाकी है तो उन्हें ऐसे लोगों की गीदड़ भभकी से न डरकर अपनी आवाज़ मुखर करनी चाहिए।